Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

Vasudev Diwadashi : वासुदेव द्वादशी की यह कथा आपने पहले नहीं पढ़ी होगी

Webdunia
Vasudev Dwadashi 2023 
 
इस वर्ष 30 जून 2023, दिन शुक्रवार को वासुदेव द्वादशी पर्व (Vasudev Dwadashi 2023) मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वासुदेव द्वादशी पर्व के रूप में मनाया है। वासुदेव द्वादशी पर भगवान कृष्ण, श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है।
 
वामन विष्णु के पांचवें तथा त्रेता युग के पहले अवतार थे। वे विष्णु के पहले ऐसे अवतार थे जो मानव रूप में प्रकट हुए। इनको दक्षिण भारत में उपेन्द्र के नाम से भी जाना जाता है। द्वादशी तिथि को मनाए जाने के कारण इसे वामन द्वादशी भी कहते हैं। 
 
आइए यहां जानते हैं वासुदेव द्वादशी की कथा- Vamana Avtar Katha 2023
 
श्रीमद्भगवदपुराण में वामनावतार के विषय में एक कथा आती है जिसके अनुसार एक बार देव-दैत्य युद्ध में दैत्य पराजित हुए तथा मृत दैत्यों को लेकर वे अस्ताचल की ओर चले गए। दैत्यराज बलि की इंद्र वज्र से मृत्यु हो जाती है। तब दैत्य गुरु शुक्राचार्य अपनी मृत संजीवनी विद्या से बलि तथा दूसरे दैत्यों को जीवित तथा स्वस्थ कर देते है। 
 
राजा बलि के लिए शुक्राचार्य एक यज्ञ का आयोजन करते है तथा अग्नि से दिव्य बाण तथा अभेद्य कवच पाते है और असुर सेना अमरावती पर आक्रमण कर देती है। असुर सेना को आते देख देवराज इंद्र समझ जाते है कि इस बार वे असुरों का सामना नहीं कर पाएंगे और इसलिए देवता भाग जाते हैं। स्वर्ग दैत्यों की राजधानी बन जाता है। तब शुक्राचार्य राजा बलि के अमरावती पर अचल राज्य के लिए सौ अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन करवाते है। 
 
इंद्र को राजा बलि की इच्छा का ज्ञान होता है कि राजा बलि के सौ यज्ञ पूरे होने पर फिर उनको स्वर्ग से कोई नहीं निकाल सकता है। इसलिए इंद्र भगवान विष्णु की शरण में जाते हैं तथा भगवान विष्णु इंद्र को सहायता करने का आश्वासन देते है। तब भगवान विष्णु वामन रूप में अदिति के गर्भ से उत्पन्न होने का वचन देते हैं।
 
इधर कश्यप जी के कहने पर माता अदिति पयोव्रत का अनुष्ठान करती है जो कि पुत्र प्राप्ति के लिए होता है। तब भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन प्रभु, माता अदिति के गर्भ से प्रकट हो अवतार लेते है तथा ब्रह्मचारी ब्राह्मण का रूप धारण करते है। महर्षि कश्यप ऋषियों के साथ उनका उपनयन संस्कार करते है। 
 
वामन बटुक को महर्षि पुलक यज्ञोपवीत, अगस्त्य ने मृगचर्म, मरीचि ने पलाशदण्ड, सूर्य ने छ्त्र, भृगु ने खड़ाऊ, सरस्वती ने रुद्राक्ष माला तथा कुबेर ने भिक्षा पात्र दिया। 
तत्पश्चात भगवान वामन पिता की आज्ञा लेकर बलि के पास जाते हैं। उस समय राजा बलि नर्मदा नदी के उत्तर तट पर अंतिम यज्ञ कर रहे होते हैं। वामन अवतारी श्री विष्णु राजा बलि के पास पहुंच जाते हैं।
 
राजा बलि वामन को देख कर पूछते है कि 'आप कौन हैं?'
तब वामन उत्तर देते है कि 'हम ब्राह्मण हैं।'
बलि फिर प्रश्न करते हैं 'तुम्हारा कहां वास रहा है?'
'ये संपूर्ण ब्रह्मसृष्टि है वही हमारा निवास है।' वामन उत्तर देते हैं।
यह सुनकर राजा बलि ने सोचा कि जैसे सब लोग सृष्टि में रहते हैं, वैसे ही यह ब्राह्मण भी रहता है। फिर बलि पूछते हैं कि- 'तुम्हारा नाथ कौन है?'
'हम सबके नाथ है, हमारा कोई नाथ नहीं है।' वामन उत्तर देते हैं।
राजा सोचते हैं कि हो सकता है कि इनके माता-पिता आदि की मृत्यु हो गई हो। तब राजा फिर से प्रश्न करते हैं- 'तुम्हारे पिता कौन है?'
वामन उत्तर देते हैं कि 'पिता का स्मरण नहीं करते अर्थात हमारा कोई पिता नहीं है, हम ही सबके पिता है।'
 
बलि पूछते हैं कि 'तुम मुझसे क्या चाहते हो?' वामन उनसे भिक्षा मांगते हैं- तीन पग धरती। बलि को आश्चर्य होता है वामन की तीन पग धरती तो बहुत थोड़ी होती है। वे कहते हैं यह तो बहुत थोड़ी है। वामन कहते हैं कि इतने से हम तीनों लोकों की भावना करते है अर्थात् हम तीन पग में ही त्रिलोकी नाप लेंगे। बलि के गुरु, शुक्राचार्य बलि को वचन देने से रोकते हैं, फिर भी बलि नहीं मानते हैं। वामन एक पग में सभी लोग और दूसरे में पूरी धरती नाप लेते हैं, अब तीसरा पग रखने का स्थान नहीं रह जाता है।
 
बलि के समक्ष संकट उत्पन्न हो जाता है कि वे अपना वचन कैसे निभाएं? तब वे अपना सिर आगे कर देते हैं। भगवान ठीक वैसा ही करते हैं और बलि को सुतल लोक में रहने का आदेश देते हैं। बलि सहर्ष भगवान की आज्ञा का पालन करते हैं। इससे प्रसन्न होकर विष्णु बलि से वरदान मांगने के लिए कहते हैं। इस पर राजा बलि दिन-रात भगवान को अपने पास दिव्य लोक में रहने का वर मांगते हैं तथा भगवान विष्णु अपना वचन पालन करते हुए राजा बलि का द्वारपाल बनना स्वीकार करते है, जिन्हें फिर बाद में देवी लक्ष्मी राजा बलि से वर मांग कर मुक्त करवा लेती है।
 
अस्वीकरण (Disclaimer)  चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

vaman avtar katha

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: 25 नवंबर के दिन किसे मिलेंगे नौकरी में नए अवसर, पढ़ें 12 राशियां

25 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

25 नवंबर 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 25 नवंबर से 1 दिसंबर 2024, जानें इस बार क्या है खास

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

આગળનો લેખ
Show comments