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आज है व्रत पूर्णिमा और वैकुंठ चतुर्दशी, भगवान विष्णु दूर करेंगे हर संकट

आज है व्रत पूर्णिमा और वैकुंठ चतुर्दशी, भगवान विष्णु दूर करेंगे हर संकट
, गुरुवार, 18 नवंबर 2021 (07:19 IST)
Dev Diwali Kartik Purnima 2021 : कार्तिक मास अर्थात देव दिवाली की पूर्णिमा के पूर्व व्रत पूर्णिमा रहती है। 19 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा रहेगी। पंचांग भेद से गुरुवार 19 नवंबर को वैकुंठ चतुर्दशी का पर्व भी मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और भगवान शिव की पूजा का खास महत्व है। 
 
 
बैकुंठ चतुर्दशी (Vaikuntha Chaturdashi): इस बार बैकुंठ चतुर्दशी 17 नवंबर 2021 बुधवार के दिन है, परंतु पंचांग भेद से 18 नवंबर को भी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान शिव और विष्णु की पूजा करने से दोनों देव प्रसन्न होते हैं। इस दिन पूजा, पाठ जप, एवं व्रत करने से श्रद्धालु को बैकुंठ की प्राप्ति होती है। वैकुंठ चतुर्दशी की कथा पढ़ने से 14000 पाप कर्मों का दोष मिट जाता है। 
 
एक कथा के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने श्रीहरि विष्णु के जागने के बाद उन्हें सृष्‍टि का संचालन पुन: सौंप दिया था। कहते हैं कि देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्‍णु पाताललोक राजा बली के यहां योग निद्रा में विश्राम करने जाते हैं। श्रीहरि के शयनकाल के दौरान संपूर्ण सृष्टि की सत्‍ता का संचालन शिवजी के पास होता है। फिर जब वे नींद्र से जागते हैं तो श्रीहरि को शिवजी पुन: सृष्टि का संचालन सौंप देते हैं।
 
एक अन्य कथा के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु शिवजी तपस्या करने के बाद उन्हें 1000 कमल अर्पित कर रहे थे। शिवजी ने एक कमल गायब कर दिया तो विष्णुजी ने अपनी आंखें ही निकाल का अर्पित कर दी तब भगवान शिव ने कहा कि आज की यह कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी अब 'बैकुंठ चतुर्दशी' कहलाएगी और इस दिन व्रतपूर्वक जो पहले आपका पूजन करेगा, उसे बैकुंठ लोक की प्राप्ति होगी। एक बार नारदी कहते हैं कि आपके भक्तों के लिए वैकुंठ प्राप्ति का सरल उपाय क्या है तो श्रीहिर विष्णु कहते हैं कि हे नारद! मेरी बात सुनो, कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को जो नर-नारी व्रत का पालन करेंगे और श्रद्धा-भक्ति से मेरी पूजा-अर्चना करेंगे, उनके लिए स्वर्ग के द्वार साक्षात खुले होंगे।... धनेश्वर नामक पापी ब्राह्मण को इसीलिए वैकुंठ प्राप्त हुआ क्योंकि उससे वैकुंड चतुर्दशी के दिन तीर्थ स्नान किया था।
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स्नान का महत्व ( Kartik Purnima Snan ) : देव उठनी एकादशी के दिन देवता जागृत होते हैं और कार्तिक पूर्णिमा के दिन वे यमुना तट पर स्नान कर दिवाली मानाते हैं। कार्तिक के पूरे माह में पवित्र नदी में स्नान करने का प्रचलन और महत्व रहा है। इस मास में श्री हरि जल में ही निवास करते हैं। मदनपारिजात के अनुसार कार्तिक मास में इंद्रियों पर संयम रखकर चांद-तारों की मौजूदगी में सूर्योदय से पूर्व ही पुण्य प्राप्ति के लिए स्नान नित्य करना चाहिए। खासकर पूर्णिमा के दिन स्नान करना अति उत्तम माना गया है। श्रद्धालु लोग जहाँ यमुना में स्नान करने पहुंचते हैं वहीं गढ़गंगा, हरिद्वार, कुरुक्षेत्र तथा पुष्कर आदि तीर्थों में स्नान करने के लिए जाते हैं। स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।
 
 
दीपदान ( Kartik Purnima Deepdan ) : मान्यताओं के अनुसार देव दीपावली के दिन सभी देवता गंगा नदी के घाट पर आकर दीप जलाकर अपनी प्रसन्नता को दर्शाते हैं। इसीलिए दीपदान का बहुत ही महत्व है। कार्तिक माह में भगवान विष्णु या उनके अवतारों के समक्ष दीपदान करने से समस्त यज्ञों, तीर्थों और दानों का फल प्राप्त होता है।

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