Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

वृंदा के तुलसी बनने की रोचक कथा, अवश्य पढ़ें...

Webdunia
- दिव्या माहेश्वरी 


 


पढ़ें रोचक पौराणिक कथा : वृंदा कैसे बनी तुलसी... 
 
पौराणिक काल में एक थी लड़की। नाम था वृंदा। राक्षस कुल में उसका जन्म हुआ था। वृंदा बचपन से ही भगवान विष्णु जी की परम भक्त थी। बड़े ही प्रेम से भगवान की पूजा किया करती थी। जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षस कुल में दानव राज जलंधर से हो गया, जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ था। वृंदा बड़ी ही पतिव्रता स्त्री थी सदा अपने पति की सेवा किया करती थी। 
 
एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध हुआ। जब जलंधर युद्ध पर जाने लगे तो वृंदा ने कहा- स्वामी आप युद्ध पर जा रहे हैं, आप जब तक युद्ध में रहेंगे मैं पूजा में बैठकर आपकी जीत के लिए अनुष्ठान करूंगी और जब तक आप वापस नहीं आ जाते मैं अपना संकल्प नहीं छोडूंगी। जलंधर तो युद्ध में चले गए और वृंदा व्रत का संकल्प लेकर पूजा में बैठ गई। उनके व्रत के प्रभाव से देवता भी जलंधर को ना जीत सके। सारे देवता जब हारने लगे तो भगवान विष्णु जी के पास गए। 
 
सबने भगवान से प्रार्थना की तो भगवान कहने लगे कि- वृंदा मेरी परम भक्त है मैं उसके साथ छल नहीं कर सकता, पर देवता बोले - भगवान दूसरा कोई उपाय भी तो नहीं है, अब आप ही हमारी मदद कर सकते हैं। 

 

 

 
भगवान ने जलंधर का ही रूप रखा और वृंदा के महल में पहुंच गए। जैसे ही वृंदा ने अपने पति को देखा, वे तुरंत पूजा में से उठ गई और उनके चरण छू लिए। जैसे ही उनका संकल्प टूटा, युद्ध में देवताओं ने जलंधर को मार दिया और उसका सिर काटकर अलग कर दिया। उनका सिर वृंदा के महल में गिरा। जब वृंदा ने देखा कि मेरे पति का सिर तो कटा पड़ा है, तो फिर ये जो मेरे सामने खड़े है ये कौन है?
 
उन्होंने पूछा- आप कौन हैं जिसका स्पर्श मैंने किया, तब भगवान अपने रूप में आ गए। पर वे कुछ ना बोल सके, वृंदा सारी बात समझ गई। उन्होंने भगवान को श्राप दे दिया आप पत्थर के हो जाओ, भगवान तुरंत पत्थर के हो गए। सभी देवता हाहाकार करने लगे। लक्ष्मी जी रोने लगीं और प्रार्थना करने लगीं तब वृंदा जी ने भगवान को वापस वैसा ही कर दिया और अपने पति का सिर लेकर वे सती हो गई। 
 
उनकी राख से एक पौधा निकला तब भगवान विष्णु जी ने कहा- आज से इनका नाम तुलसी है और मेरा एक रूप इस पत्थर के रूप में रहेगा जिसे शालिग्राम के नाम से तुलसी जी के साथ ही पूजा जाएगा और मैं बिना तुलसी जी के प्रसाद स्वीकार नहीं करूंगा। तब से तुलसी जी की पूजा सभी करने लगे और तुलसी जी का विवाह शालिग्राम जी के साथ कार्तिक मास में किया जाता है।

देवउठनी एकादशी के दिन इसे तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है। 



 
 
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Guru Pushya Nakshatra 2024: पुष्य नक्षत्र में क्या खरीदना चाहिए?

जानिए सोने में निवेश के क्या हैं फायदे, दिवाली पर अच्छे इन्वेस्टमेंट के साथ और भी हैं कारण

झाड़ू से क्या है माता लक्ष्मी का कनेक्शन, सही तरीके से झाड़ू ना लगाने से आता है आर्थिक संकट

30 को या 31 अक्टूबर 2024 को, कब है नरक चतुर्दशी और रूप चौदस का पर्व?

गुरु पुष्य योग में क्यों की जाती है खरीदारी, जानें महत्व और खास बातें

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: क्या कहती है आज आपकी राशि, पढ़ें 25 अक्टूबर 2024 का दैनिक राशिफल

25 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

25 अक्टूबर 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

Dhanteras Rashifal: धनतेरस पर बन रहे 5 दुर्लभ योग, इन राशियों को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा

Rama ekadashi date time: रमा एकादशी कब है, क्या है इसका महत्व और कथा

Show comments