Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

सातुड़ी तीज : बड़ी तीज के दिन जरूर पढ़ें यह पौराणिक व्रतकथा

सातुड़ी तीज : बड़ी तीज के दिन जरूर पढ़ें यह पौराणिक व्रतकथा
सुहागिनों का सौंधा-सा पर्व सातुड़ी तीज रक्षाबंधन पर्व के तीसरे दिन आता है। वास्तव में इस मौसम में तीज व्रत मनाने का अवसर तीन बार आता है।
 
हरियाली तीज, सातुड़ी तीज व हरतालिका तीज धूमधाम से मनाई जाती है। सातुड़ी तीज को कजली तीज और बड़ी तीज भी कहते है। सातुड़ी तीज की पूजा करते है। सातुड़ी तीज की कथा, नीमड़ी माता की कथा, गणेश जी की कथा और लपसी तपसी की रोचक कहानी सुनते हैं। इस पर्व पर सत्तु के बने विशेष व्यंजनों का आदान प्रदान होता है। आइए पढ़ें सातुड़ी तीज पौराणिक व्रत कथा...  
 
एक साहूकार था उसके सात बेटे थे। उसका सबसे छोटा बेटा अपाहिज था। वह रोजाना एक वेश्या के पास जाता था। उसकी पत्नी बहुत पतिव्रता थी। खुद उसे कंधे पर बैठा कर वेश्या के यहां ले जाती थी। बहुत गरीब थी। जेठानियों के पास काम करके अपना गुजारा करती थी। 
 
भाद्रपद के महीने में कजली तीज के दिन सभी ने तीज माता के व्रत और पूजा के लिए सातु बनाए। छोटी बहु गरीब थी उसकी सास ने उसके लिए भी एक सातु का छोटा पिंडा बनाया। शाम को पूजा करके जैसे ही वो सत्तू पासने लगी उसका पति बोला मुझे वेश्या के यहां छोड़ कर आ। 
हर दिन की तरह उस दिन भी वह पति को कंधे पैर बैठा कर छोड़ने गई, लेकिन वो बोलना भूल गया, ''तुम जाओ।'
 
वह बाहर ही उसका इंतजार करने लगी इतने में जोर से वर्षा आने लगी और बरसाती नदी में पानी बहने लगा। कुछ देर बाद नदी से आवाज आई... आवतारी जावतारी दोना खोल के पी, पिया प्यारी होय..., आवाज़ सुनकर उसने नदी की तरफ देखा तो दूध का दोना नदी में तैरता हुआ आता दिखाई दिया। उसने दोना उठाया और सात बार उसे पी कर दोने के चार टुकड़े किए और चारों दिशाओं में फेंक दिए। 
 
उधर तीज माता की कृपा से वेश्या अपना सारा धन उसके पति को वापस देकर सदा के लिए वहां से चली गई। पति ने सारा धन लेकर घर आकर पत्नी को आवाज दी- दरवाज़ा खोल..., तो उसकी पत्नी ने कहा मैं दरवाज़ा नहीं खोलूंगी। तब उसने कहा कि अब मैं वापस नहीं जाऊंगा। दोनों मिलकर सातु पासेगें। 
 
लेकिन उसकी पत्नी को विश्वास नहीं हुआ, उसने कहा मुझे वचन दो वापस वेश्या के पास नहीं जाओगे। पति ने पत्नी को वचन दिया तो उसने दरवाजा खोला और देखा उसका पति गहनों और धन माल सहित खड़ा था। उसने सारे गहने कपड़े अपनी पत्नी को दे दिए। फिर दोनों ने बैठकर सातु पासा। 
 
सुबह जब जेठानी के यहां काम करने नहीं गई तो बच्चे बुलाने आए, काकी चलो सारा काम पड़ा है। उसने कहा अब तो मुझ पर तीज माता की पूरी कृपा है अब मैं काम करने नहीं आऊंगी। बच्चों ने जाकर मां को बताया, आज से काकी काम करने नहीं आएगी उन पर तीज माता की कृपा हुई है, वह नए-नए कपड़े  गहने पहन कर बैठी हैं और काका जी भी घर पर बैठे हैं। सभी लोग बहुत खुश हुए। 
 
हे तीज माता !!! जैसे आप उस पर प्रसन्न हुई वैसे ही सब पर प्रसन्न होना, सब के दुःख दूर करना।


Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

कजली तीज की पौराणिक व्रत कथा