हर महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। अलग-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष की महिमा अलग-अलग होती है। सोमवार का प्रदोष, मंगलवार को आने वाला प्रदोष और अन्य वार को आने वाला प्रदोष सभी का महत्व और लाभ अलग अलग है। आओ जानते हैं इस व्रत को रखने का फल।
1.एकादशी और प्रदोष दोनों ही तिथियां चंद्र से संबंधित है। जोभी व्यक्ति दोनों में से एक या दोनों ही तिथियों पर व्रत रखकर मात्र फलाहार का ही सेवन करना है उसका चंद्र कैसा भी खराब हो वह सुधरने लगता है। अर्थात शरीर में चंद्र तत्व में सुधार होता है।
चंद्रमा की स्थिति के कारण व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति खराब या अच्छी होती है। चंद्रमा की स्थिति का प्रत्येक व्यक्ति पर असर पड़ता ही पड़ता है। ऐसी दशा में एकादशी या प्रदोष का ठीक से व्रत रखने पर, सही तरीके से व्रत रखने पर आप चंद्रमा के खराब प्रभाव को, नकारात्मक प्रभाव को रोक सकते हैं।
2.माना जाता है कि चंद्र के सुधार होने से शुक्र भी सुधरता है और शुक्र से सुधरने से बुध भी सुधर जाता है। इस तरह तीन ग्रह शुभ फल देने लगते हैं। चंद्र से धन समृद्धि बढ़ती है, शुक्र से स्त्री सुख और ऐश्वर्य बढ़ता है तो बुध से नौकरी एवं व्यापार में लाभ मिलता है।
3.दोनों ही व्रतों का संबंध चंद्र के सुधारने और भाग्य को जागृत करने से है अत: किसी भी देव का पूजन करें। वैसे प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस व्रत को अच्छे से रखने से भाग्य जागृत हो जाता है।
4. चंद्रमा ही नहीं यहां तक की इन व्रतों से बाकी ग्रहों के असर को भी आप बहुत हद तक कम कर सकते हैं। शुक्र और बुध में सुधा तो होगी ही साथ ही गुरु, मंगल और सूर्य भी अच्छा प्रभाव देने लगते हैं।
5. एकादशी और प्रदोष के व्रत का प्रभाव आपके मन और शरीर दोनों पर पड़ता है। इस व्रत से आप अशुभ संस्कारों को भी नष्ट कर सकते हैं।
6.पुराणों अनुसार जो व्यक्ति एकादशी या प्रदोष का व्रत करता रहता है वह जीवन में कभी भी संकटों से नहीं घिरता और उनके जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है।