Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

संतान सुख हेतु करते हैं ललिता षष्ठी व्रत पूजन, जानिए विधि

संतान सुख हेतु करते हैं ललिता षष्ठी व्रत पूजन, जानिए विधि

अनिरुद्ध जोशी

, रविवार, 23 अगस्त 2020 (11:59 IST)
ललिता जयंती प्रत्येक साल माघ मास की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाई जाती है। इसके अलावा प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्रि के आश्विन शुक्‍ल पंचमी को ललिता पंचमी पर्व मनाया जाता है जिसे उपांग ललिता व्रत भी कहते हैं। इसी तरह प्रतिवर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को ललिता षष्ठी का व्रत रखता जाता है। ललिता षष्ठी के व्रत को संतान षष्ठी व्रत भी कहा जाता है। इस व्रत से संतान प्राप्ति होती है और संतान की पीड़ाओं का शमन होता है। इस बार 24 अगस्त 20 को मोरयाई छठ, सूर्य/चम्पा षष्ठी और ललिता षष्ठी व्रत पूजन का पर्व है।
 
 
संतान सुख हेतु करते हैं ये व्रत : इस व्रत के बारे में भगवान श्री कृष्ण जी ने स्वयं कहा है कि यह व्रत शुभ सौभाग्य एवं योग्य संतान को प्रदान करने वाला होता है।... संतान के सुख एवं उसकी लंबी आयु की कामना हेतु इस व्रत का बहुत महत्व है।
 
किसे करना चाहिए ये व्रत : जिसे संतान नहीं है उसे और पुत्रवती स्त्रियों को यह व्रत करना चाहिए। इसके अलावा अपने पति की रक्षा और आरोग्य जीवन तथा संतान सुख के लिए भी यह व्रत करना चाहिए। 
 
कैसे करते हैं व्रत पूजन : इस दिन षोडषोपचार विधि से मां ललिता का पूजन करते हैं। सबसे पहले स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके घर के ईशान कोण में पूर्वा या उत्तराभिमुख बैठकर पूजा करते हैं। इसके लिए पहले से ही भगवान शालिग्राम जी का विग्रह, कार्तिकेय का चित्र, माता गौरी और शिव भगवान की मूर्तियों सहित पूजन सामग्री को एक जगह एकत्रित रखते हैं जैसे तांबे का लोटा, नारियल, कुंकुम, अक्षत, हल्दी, चंदन, अबीर, गुलाल, दीपक, घी, इत्र, पुष्प, दूध, जल, मौसमी फल, मेवा, मौली, आसन इत्यादि। 
 
फिर पूजन के दौरान "ओम ह्रीं षष्ठी देव्यै स्वाहा" मंत्र से षष्ठी देवी का पूजन करते हैं। अंत में जो भी मनोकामना हो उसकी प्रार्थना करके संतान सुख और सौभाग्य देने वाली ललिता देवी आपको नमस्कार है। इसके बाद मेवा मिष्टान्न और मालपुआ एवं खीर इत्यादि का प्रसाद वितरित किया जाता है. कई जगहों पर इस दिन चंदन से विष्णु पूजन एवं गौरी पार्वती और शिवजी की पूजा का भी चलन है। इस दिन मां ललिता के साथ साथ स्कंदमाता और शिव शंकर की भी पूजा की जाती है।
 
 
कौन है माता ललिता : दस महाविद्याओं में से एक है माता ललिता। इन्हें राज राजेश्वरी और ‍त्रिपुर सुंदरी भी कहा जाता है। देवी ललिता आदि शक्ति का वर्णन देवी पुराण में प्राप्त होता है। भगवान शंकर को हृदय में धारण करने पर सती नैमिषारण्य में लिंगधारिणीनाम से विख्यात हुईं इन्हें ललिता देवी के नाम से पुकारा जाने लगा। एक अन्य कथा अनुसार ललिता देवी का प्रादुर्भाव तब होता है जब भगवान द्वारा छोडे गए चक्र से पाताल समाप्त होने लगा। इस स्थिति से विचलित होकर ऋषि-मुनि भी घबरा जाते हैं और संपूर्ण पृथ्वी धीरे-धीरे जलमग्न होने लगती है। तब सभी ऋषि माता ललिता देवी की उपासना करने लगते हैं। उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर देवी जी प्रकट होती हैं तथा इस विनाशकारी चक्र को थाम लेती हैं। सृष्टि पुन: नवजीवन को पाती है।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

Name of Lord ganesha : श्री गणेश के 108 नामों के हिन्दी अर्थ