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कुंभ संक्रांति क्या है, जानिए महत्व, कथा, पूजा विधि और 12 राशियों पर असर

कुंभ संक्रांति क्या है, जानिए महत्व, कथा, पूजा विधि और 12 राशियों पर असर
, शनिवार, 12 फ़रवरी 2022 (03:36 IST)
Kumbha sankranti 2022: 13 फरवरी 2022 को है कुंभ संक्रांति का पर्व। इस दिन स्नान, दान और पूजा का खासा महत्व होता है। कुंभ संक्रांति का सभी 12 राशियों पर भी शुभाशुभ असर होता है। आओ जानते हैं कि क्या होती है कुंभ संक्रांति, क्या है इसका महत्व, कथा, पूजा विधि ( Kumbh Sankranti Puja Katha And Mahatva ) और 12 राशियों पर इसका असर।
 
 
कुंभ संक्रांति क्या है? : सूर्य का राशि परिवर्तन संक्रांति कहलाता है। सूर्य के कुंभ राशि में प्रवेश को कुंभ संक्रांति कहते हैं। सूर्यदेव मकर से निकलकर अब कुंभ में प्रवेश करेंगे। 13 फरवरी 2022 को सूर्य कुंभ राशि में प्रवेश कर रहे हैं। 
 
महत्व : कुंभ संक्रांति में ही विश्‍वप्रसिद्ध कुंभ मेले का संगम पर आयोजन होता है। इस दिन स्नान, दान और यम एवं सूर्यपूजा का खासा महत्व होता है।
 
कुंभ संक्रांति पर क्या करें :
1. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सूर्य देव की उपासना, उन्‍हें अर्घ्‍य देना और आदित्‍य ह्रदय स्रोत का पाठ करने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की प्राप्‍ति होती है।
 
 
2. इस शुभ दिन सूर्य भगवान की विधि-विधान से पूजा करने पर उस घर-परिवार में किसी भी सदस्‍य के ऊपर कोई मुसीबत या रोग नहीं आता है। साथ ही भगवान आदित्‍य के आशीर्वाद से जीवन के अनेक दोष भी दूर हो जाते हैं। इससे प्रतिष्‍ठा और मान-सम्‍मान में भी वृद्धि होती है।
 
 
3. इस दिन खाद्य वस्‍तुओं, वस्‍त्रों और गरीबों को दान देने से दोगुना पुण्‍य मिलता है। इस दिन दान करने से अंत काल में उत्तम धाम की प्राप्‍ति होती है। इस उपाय से जीवन के अनेक दोष भी समाप्‍त हो जाते हैं।
 
 
4. मान्‍यता है कि इस दिन गंगा नदी में स्‍नान करने से मोक्ष की प्राप्‍ति होती है। इस दिन सुख-समृद्धि पाने के लिए मां गंगा का ध्‍यान करें। अगर आप कुंभ संक्रांति के अवसर पर गंगा नदी में स्‍नान नहीं कर सकते हैं तो आप यमुना, गोदावरी या अन्‍य किसी भी पवित्र नदी में स्‍नान कर पुण्‍य की प्राप्‍ति कर सकते हैं।
 
 
5. अगर इस शुभ दिन पर सूर्यदेव के बीज मंत्र का जाप किया जाए तो मनुष्‍य को अपने दुखों से छुटकारा शीघ्र मिल जाता है।
 
 
12 राशियों पर कुंभ संक्रांति का असर : 
 
मेष राशि (Aries): सूर्य ग्रह के कुंभ में गोचर से आपमें आत्मविश्‍वास बढ़ जाएगा। यश में वृद्धि होगी। व्यापार में लाभ होगा और नौकरी में उन्नति होगी।
 
वृषभ राशि (Taurus): सूर्य ग्रह के कुंभ में गोचर से आपके स्वभाव में कटुता बढ़ जाएगी। आपको नौकरी या करियर में अतिरिक्त मेहनत करने से लाभ होगा। आपकी व्यस्तता बढ़ जाएगी। खर्चे भी बढ़ जाएंगे इसलिए सावधानी से खर्च करें।
 
मिथुन राशि (Gemini): सूर्य ग्रह के कुंभ में गोचर से नौकरी और करियर में पहले की अपेक्षा सुधार होगा। व्यापार में लाभ होगा। आपको सेहत का ध्‍यान रखना होगा। 
 
कर्क राशि (Cancer): सूर्य ग्रह के कुंभ में गोचर से आपकी आमदानी में बढ़ोतरी होगी। भूमि, भवन या वाहन का सुख मिलेगा।
 
सिंह राशि (Leo): सूर्य ग्रह के कुंभ में गोचर से आपका बजट गड़बड़ा सकता है इसलिए फालतू खर्चों पर लगाम लगाएं। क्रोध करने से नुकसान होगा। कार्यक्षेत्र में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। 
 
कन्या राशि (Virgo): सूर्य ग्रह के कुंभ में गोचर से आपके स्वभाव में कटुता आ सकती है अत: कड़वा न बोलें, क्रोध न करें और करियर-कारोबार पर ध्‍यान दें। 
 
तुला राशि (Libra): सूर्य ग्रह के कुंभ में गोचर से कार्यक्षेत्र में चुनौति और व्‍यस्‍तता बढ़ जाएगी। आपको पिता की सेहत का ध्यान रखना होगा। 
 
वृश्चिक राशि (Scorpio): सूर्य ग्रह के कुंभ में गोचर से यह समय मिलेजुले परिणाम वाला रहेगा। माता-पिता की सेहत का ध्‍यान रखें।
 
धनु राशि (Sagittarius): सूर्य ग्रह के कुंभ में गोचर से नौकरी और व्यपार में उन्नति होगी। यात्रा का योग है और नौकरी में स्‍थान परिवर्तन भी हो सकता है। क्रोध पर काबू रखना होगा और व्यर्थ के वाद विवाद से बचकर रहें।
 
मकर राशि (Capricorn): सूर्य ग्रह के कुंभ में गोचर से आपको ज्यादा मेहनत करना पड़ेगी, लेकिन मनचाहा परिणाम नहीं मिलेगा फिर भी धैर्य से कामलें। भवन और वाहन का सुख मिल सकता है। 
 
कुंभ राशि (Aquarius): सूर्य ग्रह के कुंभ में गोचर से नौकरी में उन्नति के योग बन रहे हैं। कार्यक्षेत्र में व्‍य‍स्‍तता रहेगी। सेहत का ध्‍यान रखें।  
 
मीन राशि (Pisces): सूर्य ग्रह के कुंभ में गोचर से आपकी आमदानी में बढ़ोतरी होगी। व्यर्थ के वाद विवाद से बचकर रहें वरना बेवजह मुश्किल हो सकती है। सम्पत्ति से धन लाभ की संभावना है। 
 
Disclaimer : उपरोक्त लेख ज्य‍ोतिष की गोचर मान्यता, प्राचलित धारणा और विभिन्न स्रोत पर आधारित है। वेबदुनिया इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है। पाठकगण किसी ज्योतिष से सलाह जरूर लें।

कुंभ संक्रांति कथा : प्राचीन काल में देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया। समुद्रा से 14 रत्न उत्पन्न हुए और अंत में अमृत भरा घढ़ा निकला। अमृत बंटवारे को लेकर देवता और असुरों में संघर्ष हुआ। इस संघर्ष में चार जगहों पर अमृत की बूंदे गिरी थी। प्रयाग (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। जब सूर्य कुंभ राशि में गोचर करता है तब हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन होता है। यहां पर स्नान, दान और पूजा का खास महत्व होता है।
 
संक्रांति की कथा : 
प्राचीनकाल में हरिदास नाम का एक धार्मिक और दयालु स्वभाव का ब्राह्मण था। उसकी पत्नी का नाम गुणवती था। वह भी पति की तरह धर्मपरायण थी। गुणवती ने सभी देवी-देवताओं का व्रत रखा और पूजा की परंतु धर्मराज की कभी पूजा नहीं की और न ही उनके नाम से कोई व्रत, दान पुण्य किया। मृत्यु के बाद जब चित्रगुप्त उनके पापों का लेखा-जोखा पढ़ रहे थे तब उन्होंने गुणवती को अनजाने में हुई अपनी इस गलती के बारे में बताया कि तुमने कभी धर्मराज के नाम से न व्रत रखा और न ही दान पुण्‍य किया और न ही पूजा-पाठ किया। यह बात सुनकर गुणवती ने कहा, 'हे देव! यह भूल मुझसे अनजाने में हुई है। ऐसे में इसे सुधारने का कोई उपाय बताइए।' 
 
तब धर्मराज ने कहा कि, जब सूर्य देवता उत्तरायण होते हैं अर्थात मकर संक्रांति के दिन से मेरी पूजा प्रारंभ करके पूरे वर्ष भर मेरी कथा सुननी और पूजा करनी चाहिए। पूजा के बाद यथाशक्ति दान करना चाहिए। इसके बाद सालभर के बाद उद्यापन करने से ऐसे व्यक्ति के जीवन में सभी तरह की सुख-समृद्धि अवश्य प्राप्त होती है। मेरे साथ चित्रगुप्त जी की भी पूजा अवश्य करनी चाहिए। उन्हें सफेद और काले तिलों के लड्डू का भोग अर्पित करें और यथाशक्ति ब्राह्मणों को अन्न दान और दक्षिणा आदि दें। ऐसा करने वाले व्यक्ति के जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार का कोई कष्ट नहीं रहता है और उसके जीवन में समस्त सुख जीवन पर्यंत बने रहते हैं।
 

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