Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

निर्जला एकादशी सहित 10 भारतीय पर्व जो समझाते हैं जल का महत्व

Webdunia
भारतीय तीज, त्योहार और पर्वों की यह विशेषता है कि वे जिस मौसम या ऋतु में आते हैं उसी के अनुसार संदेश उनमें गुंथे होते हैं। इन दिनों जबकि गर्मी का मौसम चल रहा है और जल यानी पानी को लेकर हाहाकार मचा है, हमारे सांस्कृतिक पर्व अपनी सामाजिक जिम्मेदारी भी निभाते हैं। वरूथिनी एकादशी से लेकर निर्जला एकादशी तक और अक्षय तृतीया से लेकर गंगा सप्तमी तक हर पर्व जल के महत्व को प्रतिपादित करता है, जल का गुणगान करता है। जल को बचाने का संदेश भी देता है। वैज्ञानिक भी इस तथ्य को स्वीकार करते हैं कि मनुष्य शरीर में यदि जल की कमी आ जाए तो जीवन खतरे में पड़ जाता है। वर्तमान युग में जब जल की कमी की गंभीर चुनौतियां सारा संसार स्वीकार कर रहा है, जल को एक पेय के स्थान पर तत्व के रूप में पहचानना दार्शनिक धरातल पर जरूरी है।
 
आइए जानें भारतीय पर्व जो बताते हैं जल का महत्व....वैसे तो पूरा वैशाख मास जल, जलदान, जल के लिए प्याऊ खुलवाने का संदेश देता है।
 
1. वरूथिनी एकादशी : यह व्रत जल चढ़ाने से लेकर जल दान का महत्व बताता है। इस व्रत की विधि में स्पष्ट कहा गया है कि वैशाख मास में आने वाली एकादशी को प्याऊ खुलवाने से करोड़ों महायज्ञ का फल मिलता है।
 
2. अक्षय तृतीया : इस पर्व में जल की मटकी दान का विशेष महत्व है। मिट्टी के पात्र में जल भर कर खरबूजे के साथ दान का विशेष महत्व पुराणों में मिलता है। इस दिन जल दान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
 
3. निर्जला एकादशी : निर्जला एकादशी व्रत पंचतत्व के एक प्रमुख तत्व जल की महत्ता को निर्धारित करता है। इस व्रत में जल कलश का विधिवत पूजन किया जाता है। निर्जला व्रत में व्रती जल के बिना समय बिताता है। जल उपलब्ध होते हुए भी उसे ग्रहण न करने का संकल्प लेने और समयावधि के पश्चात जल ग्रहण करने से जल की उपयोगिता पता चलती है। व्रत करने वाला जल तत्व की महत्ता समझने लगता है।
 
4. प्रदोष : हम 12 मास शिव को जल चढ़ाते हैं लेकिन पुराणों में वर्णित है कि शिव का संदेश है कि मैं स्वयं जल हूं, अत: साक्षात भोलेनाथ भी जल के अपव्यय का समर्थन नहीं करते हैं। प्रदोष के उपवास में 1 ही जल कलश से अभिषेक और आचमन का प्रसंग मिलता है।
 
5. गंगा सप्तमी : गंगा नदी को सबसे पवित्र और जीवनदायिनी माना जाता। गंगा सप्तमी का पर्व नदी की उत्पत्ति और उसके महत्व को दर्शाता है। गंगा के कारण ही सैंकड़ों नदियों की उत्पत्ति हुई है। गंगा का पानी पीने से सभी तरह के रोग और शोक मिट जाते हैं। मरने वाले के मुंह में गंगा का जल अर्पित करने से उसे मुक्ति मिलती है।
 
6. गंगा दशहरा : ज्येष्ठ माह के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता हैं इसके अगले ही दिन एकादशी तिथि पर पूरे दिन बिना पानी पिए निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता हैं इनके साथ ही पूरे माह में जल का दान किया जाता हैं। ज्येष्ठ माह के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता हैं इसके अगले ही दिन एकादशी तिथि पर पूरे दिन बिना पानी पिए निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता हैं इनके साथ ही पूरे माह में जल का दान किया जाता हैं।
 
7. सूर्य उपासना : सूर्यदेव की उपासना में भी जल दान का महत्व है। सूर्यदेव को अर्घ्‍य देने से सभी तरह के रोग मिट जाते हैं। सूर्य की उपासना में छठ सबसे पड़ा त्योहार है और फिर रथ सप्तमी के दिन भी जल दान का महत्व माना गया है।
 
8. वैशाख पूर्णिमा : वैशाख पूर्णिमा के दिन पितरों को तर्पण के रूप में जल अर्पण करने का महत्व है। साथ ही इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। वैशाख माह में जल दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 
9. केवट जयंती : केवट निषादराज गुह्‍ ने प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता के चरण धोकर ही उन्हें अपनी नाव में बैठाया था। प्रभु राम ने गंगा पार करने को कहा। केवट ने कहा कि आपके चरणोदक को पीकर में पहले अपने पितरों को भवसागर से पार कराऊंगा और फिर मैं आपको गंगा पार कराऊंगा। केवट जयंती पर निषाद और मछुआरा समाज श्रीराम के साथ ही जल की पूजा भी करते हैं।
 
10. वट सावित्री : वट सावित्री के दिन बरगद की पूजा और उसमें जल अर्पण करने का महत्व है। वट एक विशाल वृक्ष होता है, जो पर्यावरण की दृष्टि से एक प्रमुख वृक्ष है, क्योंकि इस वृक्ष पर अनेक जीवों और पक्षियों का जीवन निर्भर रहता है।
 
'वृक्षाद् वर्षति पर्जन्य: पर्जन्यादन्न सम्भव:' अर्थात् वृक्ष जल है, जल अन्न है, अन्न जीवन है। 'अरण्यं ते पृथिवी स्योनमस्तु'  त्रिपुरा में नीरमहल जल उत्सव का पर्व मनाया जाता है। अथर्ववेद में बताया गया है कि आवास के समीप शुद्ध जलयुक्त जलाशय होना चाहिए।
हर पर्व पर जल दान, प्याऊ खुलवाने, कुुुएं,बावड़ी, सरोवर आदि बनवाने का जिक्र पुराणोंं में मिलता है।    

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

Vrishchik Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: वृश्चिक राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष माह की 20 खास बातें

Kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव जयंती कब है? नोट कर लें डेट और पूजा विधि

Tula Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: तुला राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

Job and business Horoscope 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों के लिए करियर और पेशा का वार्षिक राशिफल

આગળનો લેખ
Show comments