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Chaturmas 2020 : चातुर्मास में क्यों नहीं होंगे शुभ मांगलिक कार्य, जानिए क्या खाएं और क्या न खाएं

आचार्य राजेश कुमार
Chaturmas 2020
 
चातुर्मास में ब्रज की यात्रा का महत्व, इन चार महीनों में क्या वर्जित और क्यों :-
 
जहां आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी का पर्व मनाया गया, वहीं इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत भी हो गई। इस बार चातुर्मास का प्रारंभ 01 जुलाई 2020 से 25 नवंबर 2020 यानी चार महीने तक विवाह व मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी। आगामी 4 महीने तक मांगलिक कार्य नहीं होंगे।
      
चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल देवउठनी एकादशी तक चलता है। चातुर्मास में मांगलिक कार्य नहीं होते और धार्मिक कार्यों पर अधिक ध्यान दिया जाता है।
 
चातुर्मास के अंतर्गत सावन, भादौ, अश्विन व कार्तिक मास आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान भगवान विष्णु विश्राम करते हैं। हमारे धर्म ग्रंथों में चातुर्मास के दौरान कई नियमों का पालन करना जरूरी बताया गया है और उन नियमों का पालन करने से मिलने वाले फलों का भी वर्णन किया गया है।
 
चातुर्मास एक ऐसा विशिष्ट अवसर है, जिसमें हम स्वाद ज्ञानेन्द्रि व कामेन्द्रि पर नियंत्रण रखकर आध्यात्मिक ऊर्जा का भरपूर लाभ लेकर तन-मन से स्वस्थ रह सकते है। इन चार मास तक करेंगे भगवान विष्णु अनंत शैया पर विश्राम करेंगे। 
 
पुराणों में ऐसा उल्लेख है कि इन दिनों में विश्व के पालनकर्ता चार मास तक पाताल लोक में क्षीरसागर की अनंत शैय्या पर शयन करते है। इसीलिए इन दिनों में कोई धार्मिक कार्य नहीं किया जाता है। इन दिनों तपस्वी एक स्थान पर रहकर ही जप-तप करते है।
         
धार्मिक यात्राओं में सिर्फ ब्रज की यात्रा की जा सकती है। ब्रज के विषय में ऐसी मान्यता है कि इस काल में सभी देवता ब्रज में ही निवास करते है।
 
ये कार्य हैं वर्जित :- इन चार महीने में दूर की यात्राओं से बचने के लिए भी कहा जाता है। इस दौरान घर से बाहर तभी निकलना चाहिए जब जरूरी होल क्योंकि वर्षा ऋतु के कारण कुछ ऐसे जीव-जंतु सक्रिय हो जाते हैं जो आपको हानि पहुंचा सकते हैं।
 
 जानिए क्या खाएं और क्या न खाएं :-

* चार्तुमास के पहले महीने यानी सावन में हरी सब्जी़,
 
इसके दूसरे माह भादौ में दही,
 
तीसरे माह आश्विन में दूध, 
 
चौथे माह कार्तिक में दाल विशेषकर उड़द की दाल नहीं खाने की सलाह दी जाती है।
 
उक्त 4 माह में विवाह संस्कार, गृह प्रवेश आदि सभी मंगल कार्य निषेध माने गए हैं।

इस काल में दूध, शकर, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन या मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन नहीं किया जाता।
 
श्रावण में पत्तेदार सब्जियां यथा पालक, साग इत्यादि भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध, कार्तिक में प्याज, लहसुन और उड़द की दाल आदि का त्याग कर दिया जाता है।

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