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हाथ से जाने ना दें आंवला नवमी पूजन का यह सबसे खास मुहूर्त, जानिए कब करें पूजन

हाथ से जाने ना दें आंवला नवमी पूजन का यह सबसे खास मुहूर्त, जानिए कब करें पूजन
Amla Navami 2020
 

- राजश्री कासलीवाल 

इस वर्ष आंवला/अक्षय नवमी (Akshaya Navami 2020) का पर्व 23 नवंबर, सोमवार को मनाया जा रहा है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म में आंवला नवमी पूजन का विशेष स्थान है। कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि को यह दिन परंपरापूर्वक मनाया जाता है। 
 
आंवला नवमी के दिन इस बार दोपहर में 01.05 मिनट से रवि योग लग रहा है, इस समय विधि-विधान से आंवला वृक्ष का पूजन करना अतिलाभदायी रहेगा। यह दिन कई मायनों में फलदायी होता है। इस दिन किए गए कार्य अक्षय फल प्रदान करते हैं। यह रवि योग 25 नवंबर तक जारी रहेगा। 
 
पूजन विधि : आंवला नवमी के दिन स्नान आदि करके किसी आंवला वृक्ष के समीप जाएं। उसके आसपास साफ-सफाई करके आंवला वृक्ष की जड़ में शुद्ध जल अर्पित करें। फिर उसकी जड़ में कच्चा दूध डालें। इस योग में सूर्य देव को जल अर्पित कर उनकी पूजा करें। पूजन सामग्रियों से वृक्ष की पूजा करें और उसके तने पर कच्चा सूत या मौली 8 परिक्रमा करते हुए लपेटें। कुछ जगह 108 परिक्रमा भी की जाती है। इसके बाद परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करके वृक्ष के नीचे ही बैठकर परिवार, मित्रों सहित भोजन किया जाता है। 
 
माता लक्ष्मी की कथा : इसकी कथा के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी धरती पर घूमने के लिए आईं।  लक्ष्मी मां ने सोचा एक साथ किस प्रकार विष्णु जी और शिव जी की पूजा की जा सकती है। तब उन्होंने सोचा कि आंवला एक ऐसा फल है जिसमें तुलसी और बेल के गुण होते हैं। भगवान विष्णु जी को तुलसी और शिव जी को बेल प्रिय है। आंवले के वृक्ष को विष्णु जी और शिव जी का प्रतीक चिन्ह मानकर मां लक्ष्मी ने आंवले की वृक्ष की पूजा की। तब पूजा से प्रसन्न होकर विष्णु और शिव प्रकट हुए। लक्ष्मी जी ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु जी और शिव जी को भोजन करवाया। इसके बाद उन्होंने स्वयं भोजन किया।

उसी समय से यह परंपरा चली आ रही है, तभी से आंवला नवमी मनाई जाती है। आंवला नवमी का व्रत संतान और पारिवारिक सुखों की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत पति-पत्नी साथ में रखें तो उन्हें इसका दोगुना शुभ फल प्राप्त होता है। 

पूजन का सबसे शुभ मुहूर्त : इस साल अक्षय/आंवला नवमी आज यानी 23 नवंबर को मनाई जा रही है। पूजन का कुल समय 5 घंटे और 08 मिनट रहेगा। नवमी तिथि का आरंभ 22 नवंबर, रविवार की रात्रि 10:52 मिनट से हो गया है, जो कि 23 नवंबर 2020, सोमवार को रात्रि 12.33 मिनट तक रहेगी। इसके लिए पूजा का शुभ मुहूर्त 06.45 बजे से 11.54 मिनट तक रहेगा। साथ ही 01.05 मिनट से रवि योग का अतिशुभ मुहूर्त होने के कारण इस समय पूजन करना भी समृद्धशाली रहेगा। 

 

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