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ओशो रजनीश के पिछले जन्म की 3 खास बातें

अनिरुद्ध जोशी
ओशो रजनीश का जन्म 11 दिसम्बर, 1931 को कुचवाड़ा गांव, बरेली तहसील, जिला रायसेन, राज्य मध्यप्रदेश में हुआ था। उन्हें जबलपुर में 21 वर्ष की आयु में 21 मार्च 1953 मौलश्री वृक्ष के नीचे संबोधि की प्राप्ति हुई। 19 जनवरी 1990 को पूना स्थित अपने आश्रम में सायं 5 बजे के लगभग अपनी देह त्याग दी। उनका जन्म नाम चंद्रमोहन जैन था। आओ जानते हैं उनके पिछले जन्म की 3 खास बातें।
 
 
उनकी नानी ने एक प्रसिद्ध ज्योतिषी से ओशो की कुंडली बनवाई थी। कुंडली पढ़ने के बाद वह बोला, यदि यह बच्चा सात वर्ष जिंदा रह जाता है, उसके बाद ही मैं इसकी कुंडली बनाऊंगा- क्योंकि इसके लिए सात वर्ष से अधिक जीवित रहना असंभव ही लगता है, इसलिए कुंडली बनाना बेकार ही है। परंतु यह जीवित रह गया तो महान व्यक्ति होगा।...ओशो को सात वर्ष की उम्र में मृत्यु का अहसास हुआ परंतु वे बच गए।
 
ओशो रजनीश के तीन गुरु थे। मग्गा बाबा, पागल बाबा और मस्तो बाबा। इन तीनों ने ही रजनीश को आध्‍यात्म की ओर मोड़ा, जिसके चलते उन्हें उनके पिछले जन्म की याद भी आई।
 
1. ओशो की एक प्रेमिका थी जिससे ओशो प्रेम करते थे। वह उसकी तस्वीर अपने बटुवे में रखते थे परंतु वह लड़की बेवक्त ही मर गई। उसके छूटने के बाद रजनीश ने बांसुरी बजाना भी छोड़ दिया और फिर उन्हें उनके पिछले जन्म की प्रेमिका मिली जो जर्मन से पुना आई थी जिसको नाम दिया गया मां प्रेम निर्वाणा।
 
 
2. रजनीश अपने पिछले जन्म में एक कठिन उपवास पर थे जिसमें तीन दिन ही शेष रह गए थे परंतु (संभवत: उनके अनुयायी ने) उनकी हत्या कर दी थी। अपने इस जन्म के पूर्व 700 वर्ष पूर्व ओशो मृत्यु से पूर्व इक्कीस दिन के उपवास की साधना कर रहा थे। पूरे इक्कीस दिन के उपवास के बाद शरीर छोड़ना था। इसके पीछे कुछ कारण थे, लेकिन इक्कीस दिन पूरे नहीं कर सके, तीन दिन बच गए। वे तीन दिन इस जीवन में पूरे करने पड़े। यह जीवन उसी जीवन के क्रम में है। कहते हैं कि जिसने उनकी हत्या की थी वहीं पुन: लौटकर उन्हें मारने आया था, परंतु इस बार वह संन्यासी बन गया। ग्लिम्प्सेज ऑफ गोल्डन चाइल्डहुड में उन्होंने इस बात का खुलासा किया है।
 
 
3. यह भी कहा जाता है कि ओशो अपने एक जन्म में तिब्बत के एक मठ में थे। वे तिब्बित के किसी रहस्यमयी मठ के एक भिक्षु थे। कहते हैं कि उस जन्म में जब उन्होंने देह छोड़ दी थी तो उनकी देह को उन 99 बुद्धों के साथ रख दिया था जो अतीत में कभी हुए या भविष्य में कभी होंगे। कहते हैं कि 16वें करमापा ने ओशो के संबंध में कुछ कहा था। ओशो ध्यान योग प्रवनन श्रंखला में इसका खुलासा हुआ है। करमापा ने कहा था कि तिब्बत की गुफाओं में 99 शरीर सुरक्षित है उसमें से एक ओशो का शरीर है।

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