कैलिफोर्निया। ट्रम्प प्रशासन द्वारा एच-1 बी वीज़ा को लेकर की जा रही सख़्ती का असर दिखने लगा है। अमेरिका के भीतर भी इसको लेकर कार्रवाई तेज़ हो गई है। पिछले सप्ताह सिलिकॉन वैली में स्टाफ की भर्ती का काम करने वाली एक फर्म के मालिक पर अवैध तरीके से एच-1 बी वीजा हासिल करने का आरोप लगा है। फेडलर ग्रेंड ज्यूरी ने डायनासॉफ्ट सिनर्जी के सीईओ जवागल मुरुगन और एक दूसरे व्यक्ति सैयद नवाज पर झूठे दस्तावेजों के सहारे वीजा हासिल करने के आरोप लगाए हैं। इन लोगों पर आरोप है कि इन्होंने फर्जी दस्तावेजों के सहारे कई लोगों को अमेरिका में बुलाया है।
आरोप है कि इन दोनों लोगों ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे एक दर्जन से अधिक लोगों के लिए वीजा हासिल किया और दावा किया कि ये लोग स्टानफोर्ड यूनिवर्सिटी, सिस्को सिस्टम्स और ब्रोकेड कम्युनिकेशन्स में काम करते हैं। डायनासॉफ्ट पर आरोप लगा है कि उसने कथित तौर पर कार्मिकों को अमेरिका में बुलाया और अपने लाभ के लिए उन्हें दूसरी कंपनियों में लगाया।
विदित हो कि मुरूगन को इस मामले की जानकारी भी नहीं थी जबतक कि एपी ने उनसे संपर्क नहीं किया था। उनका कहना है कि इस जानकारी से उन्हें 'गहरा धक्का' लगा है और वे इस मामले में अपने वकील से सम्पर्क करेंगे। लेकिन उन्होंने इस मामले पर कोई अतिरिक्त टिप्पणी नहीं की। ट्रम्प के शासन काल में एच-1 बी वीजा एक बहुत विवादित मुद्दा बन गया है। वीजा प्रोग्राम में सरकार ने बड़े बदलाव करने की भी बात कही है जिससे कि बे एरिया के उन शहरों पर भारी असर पड़ सकता है जहां बड़ी संख्या में एच-1 बी वीजा रखने वाले कार्मिक काम करते हैं।
सान फ्रांसिस्को में पिछले वर्ष इस प्रोग्राम के तहत वीजा लेकर आने वालों की संख्या 13, 761 थी। गौरतलब है कि इस आशय की रिपोर्ट हाल ही में सिलिकॉन वैली बिजनेस जर्नल में प्रकाशित हुई जिसमें इस बात का हवाला दिया गया कि इस व्यवस्था से किन लोगों पर असर पड़ने वाला है। ऐसा माना जाता है कि अमेरिकी सरकार वीजा जारी करने के लिए लॉटरी सिस्टम की बजाय योग्यता को आधार बनाएगी।