Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

कविता : ईद पर गले मिलते हिन्दी-उर्दू

राजीव रत्न पाराशर
चन्द्रमा के दर्शन पर,
इफ्तार के आमंत्रण पर।
 
तज़रीद के आवरण में,
ज़ुहाद के वातावरण में।
 
शोखियां पर्याप्त हों,
जब रोज़े समाप्त हों।
 
नेमतें हों, नाम हो,
प्रत्येक से सलाम हो।
 
परस्पर गलबहियां हों,
शीरो-शकर सिवइयां हों।
 
संज्ञान हो आबिदों का,
सम्मान हो ज़हिदों का।
 
मित्रगणों में दावत हो,
बंधु-बांधव सलामत हो।
 
ज़द्दो ज़िबह से इतर हो,
शुभकर इदुल फितर हो।
 
000
 
तज़रीद = श्रद्धा
ज़ुहाद = धर्म की बात
आबिद = श्रद्धालु
ज़हिद = पुजारी
 

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

जरुर पढ़ें

इस Festive Season, इन DIY Ubtans के साथ घर पर आसानी से बनाएं अपनी स्किन को खूबसूरत

दिवाली पर कम मेहनत में चमकाएं काले पड़ चुके तांबे के बर्तन, आजमाएं ये 5 आसान ट्रिक्स

दिवाली पर खिड़की-दरवाजों को चमकाकर नए जैसा बना देंगे ये जबरदस्त Cleaning Hacks

जानिए सोने में निवेश के क्या हैं फायदे, दिवाली पर अच्छे इन्वेस्टमेंट के साथ और भी हैं कारण

दीपावली की तैयारियों के साथ घर और ऑफिस भी होगा आसानी से मैनेज, अपनाएं ये हेक्स

सभी देखें

नवीनतम

दीपावली पर कैसे पाएं परफेक्ट हेयरस्टाइल? जानें आसान और स्टाइलिश हेयर टिप्स

Diwali Skincare : त्योहार के दौरान कैसे रखें अपनी त्वचा का ख्याल

Diwali 2024 : कम समय में खूबसूरत और क्रिएटिव रंगोली बनाने के लिए फॉलो करें ये शानदार हैक्स

धनतेरस पर कैसे पाएं ट्रेडिशनल और स्टाइलिश लुक? जानें महिलाओं के लिए खास फैशन टिप्स

पपीते का ये हिस्सा जिसे बेकार समझकर फेंक देते हैं, फायदे जानकर आज से ही करने लगेंगे स्टोर

આગળનો લેખ
Show comments