चैत्र नवरात्रि या शारदीय नवरात्रि दोनों में ही जवारे अर्थात मिट्टी के पात्र में जौ या गेहूं उगाने की परंपरा है। इससे माता प्रसन्न होती हैं और शुभ-अशुभ संकेत भी मिलते हैं। आओ जानते हैं कि किस तरह बोकर उगाना चाहिए जवारे? 7 अक्टूबर 2021, गुरुवार से शारदीय नवरात्रि का पर्व प्रारंभ हो रहा है। इस पर्व में कलश और घटस्थापना के साथ ही एक घट में जवारे अर्थात जौ या गेहूं बोए जाते हैं।
1. एक मिट्टी के सकोरे या कटोरे में जवारे उगाए जाते हैं। मिट्टी के इस पात्र को अच्छे से धो लें। उसके भीतर तल में स्वास्तिक बना लें।
2. अब इस पात्र को स्वच्छ और काली मिट्टी एवं उपले के चूर्ण से आधा भर दें, इसके बाद जल का छिड़काव करें।
3. इसके बाद भीगे हुए 1 मुट्ठी जौ या गेहूं लेकर उन्हें उस मिट्टी के पास में डालकर फैला दें।
4. अब पुन: उस पात्र में जौ या गेहूं के ऊपर मिट्टी डालकर पूरे पात्र को भर दें। अब इस पर जल का छिड़काव करें।
5. अब इस पात्र को माता दुर्गा की प्रतिमा के समक्ष स्थापित करके इसका पूजन करें।