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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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नवरात्रि में उपवास के 10 नियम जान लें वर्ना पछताएंगे

नवरात्रि में उपवास के 10 नियम जान लें वर्ना पछताएंगे

अनिरुद्ध जोशी

व्रत ही तप है। यह उपवास भी है। हालांकि दोनों में थोड़ा फर्क है। व्रत में मानसिक विकारों को हटाया जाता है तो उपवास में शारीरिक। मानसिक और शारीरिक दोनों ही तरह के संयम का नवरात्रि में पालन करना जरूरी है अन्यथा आप नवरात्रि में व्रत या उपवास ना ही रखें तो अच्‍छा है। आओ जानते हैं इसके 10 नियम।
 
 
उपवास कई प्रकार के होते हैं। 1.प्रात: उपवास, 2.अधोपवास, 3.एकाहारोपवास, 4.रसोपवास, 5.फलोपवास, 6.दुग्धोपवास, 7.तक्रोपवास, 8.पूर्णोपवास, 9.साप्ताहिक उपवास, 10.लघु उपवास, 11.कठोर उपवास, 12.टूटे उपवास, 13.दीर्घ उपवास, 14.पाक्षिक व्रत 15.त्रैमासिक व्रत 16.छह मासिक व्रत और 17.वार्षिक व्रत।
 
कभी भी भोजन करने, दूध या रस पीने के बाद माताजी की पूजा नहीं करना चाहिए। माता की पूजा जूठे मुंह नहीं करते हैं। नवरात्रियों में कठिन उपवास और व्रत रखने का महत्व है। उपवास रखने से अंग-प्रत्यंगों की पूरी तरह से भीतरी सफाई हो जाती है। उपवास में रहकर इन नौ दिनों में की गई हर तरह की साधनाएं और मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
 
 
1. इन नौ दिनों में स्त्रीसंग शयन वर्जित माना गया है।
2. इन नौ दिनों में किसी भी प्रकार से क्रोध न करें।
3. इन नौ दिनों में बुरा देखना, सुनना और कहना छोड़ दें।
4. इन नौ दिनों में पवित्रता का ध्यान रखें।
5. इन नौ दिनों में किसी भी प्रकार से किसी महिला या कन्या का अपमान न करें।
 
6. नवरात्रि के दौरान रसोपवास, फलोपवास, दुग्धोपवास, लघु उपवास, अधोपवास और पूर्णोपवास किया जाता है। जिसकी जैसी क्षमता होती है वह वैसा उपवास करता है।
 
7. अधोपवास- इन नौ दिनों में अधोपवास अर्थात एक समय भोजन किया जाता है जिसमें बगैर लहसुन व प्याज का साधारण भोजन किया जाता है। वह भी सूर्योस्त से पूर्व। बाकी समय सिर्फ जल ग्रहण किया जाता है।
 
8. पूर्णोपवास- बिलकुल साफ-सुथरे ताजे पानी के अलावा किसी और चीज को बिलकुल न खाना पूर्णोपवास कहलाता है। इस उपवास में उपवास से संबंधित बहुत सारे नियमों का पालन करना होता है। इस कठिन उपवास को करने वाले नौ दिन कहीं भी बाहर नहीं जाते हैं।
 
9. बहुत से लोग अधोपवास में एक समय भोजन और एक समय साबूदाने की खिचड़ी खा लेते हैं। कुछ लोग दोनों ही समय भरपेट साबूदाने की खिचड़ी या राजगिरे के आटे की रोटी और भींडी की सब्जी खा लेते हैं। ऐसा करना किसी भी तरह से व्रत और उपवास के अंतर्गत नहीं आता है। उपवास वास का अर्थ होता है एक समय या दोनों समय भूखे रहना। लेकिन लोगों ने अपनी सुविधानुसार रास्ते निकाल लिए हैं जो कि अनुचित है।
 
10. इन नौ दिनों में यदि आप उपवास नहीं भी कर रहे हैं तो भी आपको मद्यपान, मांस-भक्षण और मसालेदार भोजन नहीं करना चाहिए।

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