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दुर्गा अष्टमी की 8 शुभ बातें और 5 उपाय आपके जीवन में लाएंगे 8 अच्छे समाचार

दुर्गा अष्टमी की 8 शुभ बातें और 5 उपाय आपके जीवन में लाएंगे 8 अच्छे समाचार
, शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022 (16:47 IST)
Ashtami Puja And Upay: 9 अप्रैल 2022 शनिवार को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है जिसे दुर्गाष्टमी या महाष्टमी कहते हैं। इस दिन विधिवत व्रत रखके हवन, पूजा, भोज आदि कराया तो आपके जीवन में आपको मिलेंगे 8 शुभ समाचार। हैं इस दिन की 8 शुभ बातें और 5 उपाय आपके जीवन में लाएंगे 8 अच्छे समाचार।
 
 
8 शुभ बातें (Ashtami Ki Shubha Baten) :
 
1. अष्टमी तिथि कलावती नाम की यह तिथि जया संज्ञक है। मंगलवार की अष्टमी सिद्धिदा और बुधवार की मृत्युदा होती है। इस तिथि की की दिशा ईशान है। ईशान में शिव सहित सभी देवताओं का निवास है इसीलिए इस अष्टमी का महत्व अधिक है। यह तिथि परम कल्याणकारी, पवित्र, सुख को देने वाली और धर्म की वृद्धि करने वाली है।
 
2. अष्टमी के दिन नारियल खाना निषेध है, क्योंकि इसके खाने से बुद्धि का नाश होता है। इसके आवला तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना निषेध है। हालांकि माता को नारियल का भोग लगा सकते हैं। कई जगह कद्दू और लौकी का भी निषेध माना गया है क्योंकि यह माता के लिए लि के रूप में चढ़ता है।
 
3. यदि अष्टमी को पराण कर रहे हैं तो विविध प्रकार से महागौरी का पूजन कर भजन, कीर्तन, नृत्यादि उत्सव मनाना चाहिए विविध प्रकार से पूजा-हवन कर 9 कन्याओं को भोजन खिलाना चाहिए और हलुआ आदि प्रसाद वितरित करना चाहिए। माता को अर्पित करें ये- 1.खीर, 2.मालपुए, 3.मीठा हलुआ, 4.पूरणपोळी, 5.केले, 6.नारियल, 7.मिष्ठान्न, 8.घेवर, 9.घी-शहद और 10.तिल और गुड़।
 
 
4. देव, दानव, राक्षस, गंधर्व, नाग, यक्ष, किन्नर, मनुष्य आदि सभी अष्टमी और नवमी को ही पूजते हैं। कथाओं के अनुसार इसी तिथि को मां ने चंड-मुंड राक्षसों का संहार किया था।
 
 
5. अष्टमी के दिन कुल देवी की पूजा के साथ ही मां काली, दक्षिण काली, भद्रकाली और महाकाली की भी आराधना की जाती है। माता महागौरी अन्नपूर्णा का रूप हैं। इस दिन माता अन्नपूर्णा की भी पूजा होती है इसलिए अष्टमी के दिन कन्या भोज और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।
 
6. मां भगवती का पूजन अष्टमी को करने से कष्ट, दुःख मिट जाते हैं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती। मां की शास्त्रीय पद्धति से पूजा करने वाले सभी रोगों से मुक्त हो जाते हैं और धन-वैभव संपन्न होते हैं। कई लोगों के यहां सप्तमी, अष्टमी या नवमी के दिन व्रत का समापन होता है तब अंतिम दिन हवन किया जाता है। अष्‍टमी के दिन हवन करना शुभ होता है।
 
7. महाष्टमी के दिन महास्नान के बाद मां दुर्गा का षोडशोपचार पूजन किया जाता है। महाष्टमी के दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है इसलिए इस दिन मिट्टी के नौ कलश रखे जाते हैं और देवी दुर्गा के नौ रूपों का ध्यान कर उनका आह्वान किया जाता है।
 
 
8. जब व्रत के समापन पर उद्यापन किया जाता है तब कन्या भोज कराया जाता है। अष्‍टमी पर 9 कन्याओं को भोजन कराने के बाद छोटी कन्याओं को छोटे-छोटे पर्स में दक्षिणा रखकर लाल रंग के किसी भी गिफ्ट के साथ भेंट करें। अष्टमी पर पारण करके उद्यापन करना चाहिए।
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Navratri Durga Worship
5. उपाय करें ( Ashtami ke Upay) :
 
1. शनि मुक्ति के लिए करें पूजा : अष्टमी और नवमी तिथि पर शनि का भी प्रभाव रहता है। इस दिन माता की अच्छे से आराधना करने से शनि के प्रभाव से माता रक्षा करती है।
 
2. संधि पूजा : संधि पूजा के समय देवी दुर्गा को पशु बलि चढ़ाई जाने की परंपरा तो अब बंद हो गई है और उसकी जगह भूरा कद्दू या लौकी को काटा जाता है। कई जगह पर केला, कद्दू और ककड़ी जैसे फल व सब्जी की बलि चढ़ाते हैं। इससे माता गौरी के साथ ही माता सिद्धिदात्री भी प्रसन्न होती हैं। इस दिन संधिकाल में 108 दीपक जलाने से जीवन में छाया अंधकार मिट जाता है।
 
 
3. पीपल के पत्ते : अष्टमी के दिन पीपल के 11 पत्ते लें। उन पर राम नाम लिखें पत्तों की माला बनाकर हनुमानजी को पहना दें। इससे सभी प्रकार की परेशानियां दूर होती हैं और पूरा वर्ष अच्छा बितता है। 
 
4. धन समृद्धि हेतु : कहते हैं कि स्थिर लक्ष्मी प्राप्ति के लिए पान में गुलाब की 7 पंखुरियां रखकर तथा मां दुर्गा को अर्पित करें। 
 
5. मनोकामना पूर्ति हेतु : नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना के लिए लाल रंग के कंबल पर बैठना बहुत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इससे सभी मनोकामना पूरी होती है।
 
 
8 अच्छे समाचार :
1. जीवन के संकट दूर होंगे।
2. कर्ज से मुक्ति मिलेगी।
3. सभी प्रकार के रोग दूर होंगे।
4. मानसिक तनाव कम होगा।
5. आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।
6. दांपत्य जीवन में सुख मिलेगा।
7. संतान पक्ष से शुभ समाचार मिलेगा।
8. नौकरी और व्यापार में उन्नति होगी।
 
महागौरी की पूजा : अष्‍टमी पर माता दुर्गा के गौरी रूप की पूजा होती है। माता का वर्ण पूर्णत: गौर अर्थात गौरा (श्वेत) है इसीलिए वे महागौरी कहलाती हैं। देवी मंदिर में लाल रंग की ध्वजा (पताका, परचम, झंडा) किसी भी दिन जाकर चढ़ाएं। अष्‍टमी के दिन माता यदि सुहागन महिलाएं मां गौरी को लाल चुनरी अर्पित करती हैं तो उनके पति की उम्र बढ़ जाती है। माता को इस दिन लाल चुनवरी अर्पित करना चाहिये। आप चाहे तो आरती और पूजा के दौरान इस दिन पांच प्रकार के सूखे मेवे लाल चुनरी में रखकर माता रानी को अर्पित करें। अष्टमी के दिन माता के मंदिर में जाकर लाल चुनरी में मखाने, बताशे के साथ सिक्के मिलाकर देवी को अर्पित करें। इसके साथ ही देवी को मालपुए और खीर का भोग लगाएं। किसी सुहागिन स्त्री को चांदी की बिछिया, कुमकुम से भरी चांदी की डिबिया, पायल, अंबे माता का चांदी का सिक्का और अन्य श्रृंगार की सामग्री भेंट करें।

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