Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

51 Shaktipeeth : जयंती जयंतीया बांग्लादेश शक्तिपीठ-15

51 Shaktipeeth : जयंती जयंतीया बांग्लादेश शक्तिपीठ-15

अनिरुद्ध जोशी

देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। प्रस्तुत है माता सती के शक्तिपीठों में इस बार जयंती जयंतीया बांग्लादेश शक्तिपीठ के बारे में जानकारी।
 
 
कैसे बने ये शक्तिपीठ : जब महादेव शिवजी की पत्नी सती अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूदकर भस्म हो गई। शिवजी जो जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया। बाद में शिवजी अपनी पत्नी सती की जली हुई लाश लेकर विलाप करते हुए सभी ओर घूमते रहे। जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए। हालांकि पौराणिक आख्यायिका के अनुसार देवी देह के अंगों से इनकी उत्पत्ति हुई, जो भगवान विष्णु के चक्र से विच्छिन्न होकर 108 स्थलों पर गिरे थे, जिनमें में 51 का खास महत्व है।
 
जयंती- जयंतीया : बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के जयंतीया परगना के भोरभोग गांव कालाजोर के खासी पर्वत पर जयंती मंदिर जहां माता की बायीं जंघा गिरी थी। इसकी शक्ति है जयंती और भैरव को क्रमदीश्वर कहते हैं।
 
हालांकि कुछ जगहों पर इस शक्तिपीठ का उल्लेख मेघायल में होने का मिलता है। मेघालय भारत का पूर्वी राज्य है जहां पर गारी, खासी और जयंतीया नामक मुख्‍य पहाड़ियां हैं। यहां की जयंतीया पहाड़ी पर ही 'जयंती शक्तिपीठ' है, जहाँ सती के "वाम जंघ" का निपात हुआ था। यह शक्तिपीठ शिलांग से 53 किलोमीटर दूर जयंतीया पर्वत के बाउर भाग ग्राम में स्थित है। यहाँ की सति 'जयंती' तथा शिव 'क्रमदीश्वर' हैं। शिलांग रेलमार्ग से नहीं जुड़ा है, अत: निकटस्थ रेलवे स्टेशन गोलपारा टाउन है या लुमडिंग है, जहां से यात्रा सड़क मार्ग से कर सकते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

Navratri 2020 : नवरात्रि में पढ़ें मां दुर्गा का प्रिय यह पाठ, मिलेगा मनोवांछित फल