Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

देवी महागौरी की 3 प्रचलित पौराणिक कथाएं

देवी महागौरी की 3 प्रचलित पौराणिक कथाएं
नवरात्र‍ि के आठवें दिन, मां दुर्गा की आठवीं शक्ति महागौरी का पूजन किया जाता है। मां के महागौरी नाम और स्वरूप को लेकर 3 पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं। अवश्य पढ़ें महागौरी की पावन कथाएं...
 
प्राप्त कथा के अनुसार देवी पार्वती रूप में महागौरी ने भगवान शिव को पति-रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। एक बार भगवान भोलेनाथ द्वारा कहे गए किसी वचन से पार्वती जी का मन का आहत होता है और पार्वती जी तपस्या में लीन हो जाती हैं।
 
इस प्रकार वषों तक कठोर तपस्या करने पर जब पार्वती नहीं आती तो पार्वती को खोजते हुए भगवान शिव उनके पास पहुंचते हैं। वहां पहुंचकर वे पार्वती को देखकर आश्चर्य चकित रह जाते हैं। पार्वती जी का रंग अत्यंत ओजपूर्ण होता है, उनकी छटा चांदनी के समान श्वेत और कुन्द के फूल के समान धवल दिखाई पड़ती है, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न होकर देवी उमा को गौरवर्ण का वरदान देते हैं और वे महागौरी कहलाती हैं।
 
एक अन्य कथा के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी की कठोर तपस्या के बाद उनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान उन्हें स्वीकार कर, उनके उनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं। तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तथा तभी से इनका नाम गौरी पड़ा।
 
महागौरी की एक अन्य कथा भी प्रचलित है, इसके जिसके अनुसार, जब मां उमा वन में तपस्या कर रही थीं, तभी एक सिंह वन में भूखा विचर रहा था। एवह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी उमा तपस्या कर रही थीं। देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गई, लेकिन वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया।
 
इस इंतजार में वह काफी कमजोर हो गया। देवी जब तप से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आई और मां उसे अपना सवारी बना लेती हैं क्योंकि एक प्रकार से उसने भी तपस्या की थी। इसलिए देवी गौरी का वाहन बैल और सिंह दोनों ही हैं।


Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

आज इन राशियों का होगा भाग्योदय,जानिए 13 अक्टूबर 2021 के सितारे