Chaitra Navratri 2022: 2 अप्रैल से चैत्र माह की नवरात्रि प्रारंभ प्रारंभ हो रही है जो 11 अप्रैल 2022, सोमवार को समाप्त होगी। 10 अप्रैल को रामनवमी मनाई जाएगी। इस नवरात्रि का महत्व उसी तरह है जिस तरह की आश्विन माह में शारदीय नवरात्रि का है। आओ जानते हैं कि इन 9 दिनों में कौनसी 15 गलतियां नहीं करना चाहिए और कौनसे 10 शुभ काम करके देवी को प्रसन्न करना चाहिए।
10 शुभ कामों को करें :
1. मूर्ति और कलश स्थापना : माता की मूर्ति लाकर उसे विधि विधान से घर में स्थापित किया जाता है। इसके साथ ही घर में घट या कलश स्थापना भी की जाती है। साथ ही एक दूसरे कलश में जावरे या जौ उगाए जाते हैं।
2. माता का जागरण : कई लोग अपने घरों में माता का जागरण रखते हैं। खासकर पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल आदि प्रदेशों में किसी एक खास दिन रातभर भजन-कीर्तन होते हैं। इन नौ दिनों में गरबा नृत्य का आयोजन भी होता है।
3. व्रत और पाठ : पूरे नौ दिन व्रत रखा जाता है। इसमें अधिकतर लोग एक समय ही भोजन करते हैं। इस दिन प्रतिदिन दुर्गा चालीसा, चंडी पाठ या दुर्ग सप्तशती का पाठ करते हैं।
4. कन्या भोज : जब व्रत के समापन पर उद्यापन किया जाता है तब कन्या भोज कराया जाता है।
5. इनकी होती है पूजा : इस नवरात्रि में नौ देवियों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री का पूजन विधि विधान से किया जाता है।
6. नौ भोग और औषधि : शैलपुत्री कुट्टू और हरड़, ब्रह्मचारिणी दूध-दही और ब्राह्मी, चन्द्रघंटा चौलाई और चन्दुसूर, कूष्मांडा पेठा, स्कंदमाता श्यामक चावल और अलसी, कात्यायनी हरी तरकारी और मोइया, कालरात्रि कालीमिर्च, तुलसी और नागदौन, महागौरी साबूदाना तुलसी, सिद्धिदात्री आंवला और शतावरी।
7. नौ दिन के प्रसाद : पहले दिन घी, दूसरे दिन शक्कर, तीसरे दिन खीर, चौथे दिन मालपुए, पांचवें दिन केला, छठे दिन शहद, सातवें दिन गुड़, आठवें दिन नारियल और नौवें दिन तिल का नैवेद्य लगाया जाता है।
8. माता को अर्पित करें ये भोग : खीर, मालपुए, मीठा हलुआ, पूरणपोळी, मीठी बूंदी, घेवर, पंच फल, मिष्ठान, घी, शहद, तिल, काला चना, गुड़, कड़ी, केसर भात, साग, पूड़ी, भजिये, कद्दू या आलू की सब्जी भी बनाकर भोग लगा सकते हैं।
9. हवन : कई लोगों के यहां सप्तमी, अष्टमी या नवमी के दिन व्रत का समापन होता है तब अंतिम दिन हवन किया जाता है।
10. विसर्जन : अंतिम दिन के बाद अर्थात नवमी के बाद माता की प्रतिमा और जवारे का विसर्जन किया जाता है।
1. ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है।
2. दुर्गासप्तशति का पाठ करें या चंडी पाठ करें लेकिन भूलकर भी इसे बीच में न छोड़े और विधिवत ही इसका पाठ करें।
3. नवरात्रि में अगर अखंड ज्योति जला रहे हैं तो इन दिनों घर खाली छोड़कर नहीं जाएं।
4. नौ दिनों तक नाखून नहीं काटने चाहिए।
5. व्रत रखने वालों को दाढ़ी-मूंछ और बाल नहीं कटवाने चाहिए।
6. खाने में प्याज, लहसुन और नॉन वेज न खाएं।
7. नौ दिन का व्रत रखने वालों को गंदे और बिना धुले कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
8. व्रत रखने वाले लोगों को बेल्ट, चप्पल-जूते, बैग जैसी चमड़े की चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
9. व्रत रखने वालों को नौ दिन तक नींबू नहीं काटना चाहिए।
10. व्रत में नौ दिनों तक खाने में अनाज और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
11. विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्रि व्रत के समय दिन में सोना निषेध है।
12. फलाहार एक ही जगह पर बैठकर ग्रहण करें।
13. चालीसा, मंत्र या सप्तशती पढ़ रहे हैं तो पढ़ते हुए बीच में दूसरी बात बोलने या उठने की गलती कतई ना करें। इससे पाठ का फल नकारात्मक शक्तियां ले जाती हैं।
14. शारीरिक संबंध बनाने से व्रत का फल नहीं मिलता है।
15. कई लोग भूख मिटाने के लिए तम्बाकू चबाते हैं यह गलती व्रत के दौरान बिलकुल ना करें। व्यसन से व्रत खंडित होता है।