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अलगाववादी नेता यासीन मलिक की पार्टी JKLF पर सरकार ने लगाया प्रतिबंध

अलगाववादी नेता यासीन मलिक की पार्टी JKLF पर सरकार ने लगाया प्रतिबंध
, शुक्रवार, 22 मार्च 2019 (21:49 IST)
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा ने कहा कि कई हिंसक कृत्यों और 1988 से आतंकवाद प्रभावित राज्य में अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के कारण यासीन मलिक नीत जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) पर शुक्रवार को प्रतिबंध लगा दिया गया।
 
उसकी विध्वंसक और हिंसक गतिविधियों को सूचीबद्ध करते हुए गौबा ने कहा कि जेकेएलएफ ने कश्मीर घाटी में अलगाववादी विचारधारा को बढ़ावा दिया और आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की केंद्र सरकार की नीति के तहत यह कार्रवाई की गई है।
 
उन्होंने कहा कि 1989 में जेकेएलएफ द्वारा कश्मीरी पंडितों की हत्याओं से घाटी से उनका पलायन शुरू हुआ। मलिक घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन का षडयंत्रकारी और उनके नरसंहार के लिए जिम्मेदार है।
 
सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति ने अलगाववादी समूह पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। इसके बाद उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जेकेएलएफ के खिलाफ कई गंभीर मामले दर्ज हैं। यह संगठन तत्कालीन वीपी सिंह सरकार में गृह मंत्री रहे मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण और वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या के लिए जिम्मेदार है।
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मलिक अभी जम्मू की कोट बलवाल जेल में बंद है। रूबिया सईद के अपहरण और श्रीनगर में चार वायुसेना कर्मियों की हत्या के तीन दशक पुराने मामलों में उसके मुकदमे का सामना करने की संभावना है।
 
जेकेएलएफ की स्थापना 1970 के मध्य में बर्मिंघम में पाकिस्तानी नागरिक अमानुल्लाह खान द्वारा की गई थी। यह संगठन 1971 में उस समय सुर्खिया में आया, जब उसके सदस्य ने श्रीनगर से जम्मू जा रहे इंडियन एयरलाइंस के एक विमान को अगवा कर लिया।
 
मेहबूबा बोलीं, जेकेएलएफ पर प्रतिबंध कश्मीर को खुली जेल में बदल देगा : पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यासीन मलिक के नेतृत्व वाले जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट पर प्रतिबंध एक हानिकारक कदम है, जो कश्मीर को एक खुली जेल में बदल देगा।
 
अधिकारियों ने नई दिल्ली में बताया कि संगठन पर जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को कथित तौर पर बढ़ावा देने को लेकर प्रतिबंध लगाया गया है। महबूबा मुफ्ती ने एक ट्वीट में कहा कि ऐसे हानिकारक कदमों से कश्मीर सिर्फ खुली जेल में तब्दील होगा।
 
उन्होंने बताया कि सुरक्षा पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद संगठन को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत प्रतिबंधित किया गया है और केंद्र की राय है कि जेकेएलए‍फ आतंकी संगठनों के संपर्क में है तथा जम्मू-कश्मीर व अन्य जगहों पर उग्रवाद और आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है।
 
मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर मुद्दे के हल के लिए यासिन मलिक ने काफी समय पहले हिंसा की आलोचना की थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयीजी की वार्ता पहल में उन्हें एक पक्षकार के तौर पर देखा गया था। उनके संगठन पर प्रतिबंध से क्या हासिल होगा? 

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