नई दिल्ली। विशेषज्ञों का कहना है कि बाढ़ का पानी पहुंचने के कारण इस साल पहली बार यमुना नदी की स्थिति बेहतर हुई है। उनका कहना है कि बाढ़ के पानी के कारण ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने से हालत ठीक हुई है और इससे नदी में प्रदूषणकारी तत्व बह गए हैं।
हथिनी कुंड बैरेज से 5,13,554 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद यमुना में जल स्तर कल 204.83 मीटर को पार कर गया, जिसके बाद निचले इलाके में रहने वाले 10,000 लोगों को बाहर निकालना पड़ा। देश की सबसे महत्वपूर्ण नदियों में एक यमुना उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली और उत्तरप्रदेश से होकर गुजरती है। यह इलाहाबाद में गंगा में मिल जाती है। यमुना को देश में सबसे प्रदूषित नदी भी माना जाता है।
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि प्रवाह बढ़ने से पिछले दो दिनों में यमुना के जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। यमुना जिए अभियान के संयोजक मनोज मिश्रा ने सुधार को अस्थाई प्रभाव बताया और यह मानसून के बीतने के साथ ही खत्म हो जाएगा।
उन्होंने कहा, इस साल यमुना के पानी की गुणवत्ता पहली बार बेहतर स्थिति में है लेकिन यह प्रवाह बढ़ने के कारण हुआ है। प्रवाह होने से प्रदूषणकारी तत्व बह जाते हैं और पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है। यमुना जैवविविधता पार्क में वैज्ञानिक फयाज खुदसर ने कहा कि हर साल कुछ समय के लिए गुणवत्ता ठीक हो जाती है और इस गुणवत्ता को बरकरार रखने के लिए आर्दभूमि बनाने की जरूरत है। (भाषा)