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World poetry day: चाहे कितना ही अंधेरा क्‍यों न हो, कव‍िता अपना रास्‍ता बना ही लेती है

नवीन रांगियाल
कव‍िता दिल के सबसे करीब की बात होती है। जो बात हम कई पन्‍नों में व्‍यक्‍त नहीं कर सकते वो कविता की एक पंक्‍त‍ि कर देती है। कविता से ही सत्‍ता हिल जाती है और दिल भी महसूस करने लगते हैं। भले ही इस नए दौर में सबकुछ मशीनी हो गया हो और जीवन इंटरनेट की जद में आ चुका हो, हमारे मन और आत्‍मा को एक सुंदर कविता की जरूरत महसूस होती ही है। कविता भीतर की ताकत है। कहना गलत नहीं होगा कि चाहे कितना ही अंधेरा क्‍यों न हो कव‍िता अपना रास्‍ता बना ही लेती है।

आज कोरोना वायरस के इस भयावह समय में भी कविता और किताब का महत्‍व कम नहीं हुआ है। बल्‍की इसने हमें कविताओं के पास जाने का समय ही दिया है, मौका ही दिया है।

आज जब हम दुनि‍याभर की तमाम आपाधापी और इंटरनेट की सवारी करने से थक जाते हैं तो अंत में अपने प्र‍िय लेखक की कविताओं की किताब के पास ही लौटते हैं। हम कविता का साथ चाहते हैं, उसका संग चाहते हैं, इसलिए कि कुछ समय या कम से कम एक रात के लिए ही सही वो हमें राहत दे सके, आराम दे सके। अपने मन की एक आहट हम तक पहुंचा सके।

आज 21 मार्च को वर्ल्‍ड पोएट्री डे है। वैसे कविता रोज ही जरूरी है, लेकिन यह दिन कविताओं के बारें में बात करने के लिए शायद ज्‍यादा जरूरी हो जाता है। आइए जानते हैं कैसे शुरुआत हुई विश्‍व कविता दिवस की और क्‍या है इसका महत्‍व।

दरअसल, हर साल 21 मार्च को विश्व कविता दिवस मनाया जाता है। पहली बार संयुक्त राष्ट्र ने 21 मार्च को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा 1999 में की थी। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन ने हर साल 21 मार्च को कवियों और उनकी कविता की खुद से लेकर प्रकृति और ईश्वर आदि तक के भावों को सम्मान देने के लिए यह दिवस मनाने का निर्णय लिया था।

विश्व कविता दिवस के अवसर पर भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और साहित्य अकादमी के द्वारा हर साल विश्व कविता उत्सव मनाया जाता है।

यह दिवस मनाने का मुख्य मकसद कविताओं का प्रचार- प्रसार करना है। इस दिन के माध्यम से नए लेखकों एवं प्रकाशकों को प्रोत्साहित किया जाता है। कविताओं के लेखन और पठन दोनों का ही संतुलन बना रहे इसलिए भी यह दिन अहम है।

किसी जमाने में कविता एक ताकत थी, इसका भविष्‍य और वर्तमान भी उज्‍जवल हो यह भी एक उदेश्‍य है इस दिन की शुरुआत का।

पहले कविताओं के लिए मंच सजते थे, कई आयोजन होते थे। आमने सामने बैठकर कविताएं कही और सुनी जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब पिछले कुछ समय से जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में है कविता कहने का माध्‍यम बदल गया है। अब इंटरनेट पर वेबि‍नार और ऑनलाइन आयोजन की मदद से कविताओं का वर्चुअल पाठ किया जा रहा है।

कहने का मतलब यह है कि समय चाहे कैसा भी हो कवि‍ता अपनी राह बना ही लेती है। अब हजारों कवि और लेखक फेसबुक, ट्व‍िटर और अन्‍य सोशल मीड‍िया की मदद से कविता कह रहे हैं। कविता हर दौर में कही जाती रहना चाहिए। जिससे कविताओं के सहारे हम जिंदा रहे, हमारे दिल धड़कते रहे और हम अपने होने की आहट को सुनते रहे।

(इस आलेख में व्‍यक्‍त विचार लेखक की निजी अभिव्‍यक्‍ति और राय है, बेवदुनिया डॉट कॉम से इससे कोई संबंध नहीं है)

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