Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

कौन है गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन जिसकी रिहाई करवाकर विवादों में फंसी नीतीश सरकार

Webdunia
गुरुवार, 27 अप्रैल 2023 (14:10 IST)
बिहार की राजनीति में माफियाओं का शुरू से दखल रहा है। यूपी जैसे राज्‍य में भी राजनीति और अपराध का लंबा नाता रहा है। हालांकि यूपी में मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने माफियाओं के खात्‍मे का अभियान चला रखा है। लेकिन दूसरी तरफ बिहार में नीतीश कुमार जेल में बंद कुख्‍यात अपराधियों को रिहा कर रहे हैं। यहां तक कि आनंद मोहन की रिहाई के लिए नीतीश सरकार ने नियमों का मैन्‍यूअल तक बदल डाला।

कई साल से जेल में बंद बिहार के माफिया आनंद मोहन को रिहा कर के नीतीश कुमार विवादों में आ गई है। बता दें कि आनंद मोहन आईएएस की हत्‍या के अपराध में जेल में सजा काट रहा था। नीतीश पर आरोप है कि चुनावी समीकरणों को अपने पक्ष में करने के लिए सरकार ऐसे कुख्‍यात अपराधी को जेल से रिहा करवा रही है। आइए जानते हैं कौन है JDU के पूर्व MP और माफिया आनंद मोहन सिंह।

कौन है बाहुबली नेता आनंद मोहन?
आनंद मोहन बिहार के सहरसा जिले के पचगछिया गांव का रहने वाला है। आनंद मोहन महज 17 साल की उम्र में राजनीति में आ गया था। वो 1974 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति के दौरान राजनीति में आया था। राजनीति के लिए उसने कॉलेज की भी पढ़ाई छोड़ दी थी। इमरजेंसी के दौरान पहली बार 2 साल जेल में रहा। 1990 के दशक में बिहार की राजनीति में आनंद मोहन की तूती बोला करती थी। 1990 में सहरसा जिले की महिषी सीट से जनता दल के टिकट पर चुनाव जीता, उस वक्‍त बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव थे। स्वर्णों के हक के लिए उसने 1993 में बिहार पीपल्स पार्टी बना ली थी। कहा जाता है कि लालू यादव का विरोध कर के ही आनंद मोहन राजनीति बड़ा कद होता गया।

क्‍यों हुई थी सजा?
पिछले कई सालों से आनंद मोहन गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में जेल में सजा काट रहा था। गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन सिंह समेत 27 दोषियों को रिहा करने की अनुमति देने के जेल नियमों में बदलाव के अपने फैसले के लिए बिहार सरकार को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। गुरुवार को सुबह-सुबह आनंद मोहन की जेल से रिहाई हो भी चुकी है। उसके बाहर आते ही अब बिहार की राजनीति की आबोहवा बदलती नजर आ रही है।

985 बैच के आईएएस जी कृष्णैया की हत्‍या
बिहार में चुनाव के दौरान जाति के नाम पर आए दिन हत्‍याएं और हिंसाओं का दौर था। यह लालू यादव की राजनीति का भी चरम था। उस दौर में आनंद मोहन लालू के घोर विरोधी था। 90 के दशक में आनंद मोहन पर हत्या, लूट, अपहरण, फिरौती, दबंगई समेत दर्जनों मामले दर्ज किए गए। इन अपराधों में 1985 बैच के आईएएस जी कृष्णैया की लिंचिंग कर हत्‍या करने का भी एक मामला आनंद मोहन पर था।

क्‍या था आनंद मोहन की सजा का मामला?
5 दिसंबर 1994 को 1985 बैच के आईएएस और गोपाल गंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्‍या कर दी गई थी।
2007 में एक अदालत ने मोहन को मौत की सजा सुनाई थी। हालांकि, एक साल बाद निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करने पर पटना उच्च न्यायालय द्वारा मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया।
युवा आईएएस अधिकारी गोपालगंज जा रहे थे, जब उन्हें 'गैंगस्टर' और आनंद मोहन के सहयोगी ने छोटन शुक्ला के अंतिम संस्कार के दौरान मुजफ्फरपुर के पास भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था। आनंद मोहन जेल में रहते हुए 1996 में शिवहर लोकसभा सीट से सांसद भी था। इससे पहले साल 1993 में आनंद मोहन ने खुद की पार्टी बिहार पीपुल्स पार्टी बनाई थी।
Edited: By Navin Rangiyal

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

दिग्विजय और जीतू पटवारी पर FIR दर्ज, जानिए क्‍या है मामला...

ट्रंप को सता रहा है तीसरे विश्व युद्ध का खतरा, कमला हैरिस पर किया बड़ा हमला

लखनऊ के 10 होटलों को बम से उड़ाने की धमकी, 55 हजार डॉलर की मांगी फिरौती

अमित शाह ने बताया, बंगाल में कैसे स्थापित होगी शांति?

पीएम मोदी ने की डिजिटल अरेस्ट की चर्चा, बताया कैसे करें सुरक्षा?

सभी देखें

नवीनतम

जम्‍मू के अखनूर सेक्‍टर में सेना की एम्‍बुलेंस पर आतंकी हमला, मुठभेड़ जारी

विजयपुर उपचुनाव में कांग्रेस नेताओं के खिलाफ FIR से गर्माया सियासी पारा

US Elections: ऑनलाइन सर्वे में 61 प्रतिशत NRI मतदाता हैरिस और 32 प्रतिशत ट्रंप समर्थक

स्पेन के पीएम के साथ प्रधानमंत्री मोदी का मेगा रोड शो, वडोदरा से देश को कई सौगातें

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कर्मचारियों को दीपावली गिफ्ट, जनवरी 2024 से मिलेगा 50% महंगाई भत्ता, DA में 4 फीसदी का इजाफा

આગળનો લેખ
Show comments