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Article 371 : क्या है अनुच्छेद 371 और इन दिनों क्यों चर्चा में है...

Article 371 : क्या है अनुच्छेद 371 और इन दिनों क्यों चर्चा में है...

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शनिवार, 26 जून 2021 (15:15 IST)
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 (Article 370) को हटाने के बाद हाल ही में प्रधानमंत्री कश्मीरी नेताओं से रूबरू हुए। कश्मीरी नेताओं में विशेष अधिकार खत्म होने की कसक दिखी, वहीं उन्होंने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग भी की है। हालांकि अभी इस संबंध में कोई स्पष्ट फैसला नहीं हुआ है, लेकिन माना जा रहा है कि सरकार अनुच्छेद 371 (Article 371) के तहत जम्मू-कश्मीर को कुछ राहत दे सकती है। 
 
क्या है आर्टिकल 371 : भारतीय संविधान के अनुसार देश के कुछ राज्यों को अनुच्छेद 371 (Article 371) के तहत सीमित स्वायत्तता दी गई है। ऐसे राज्यों में नगालैंड समेत पूर्वोत्तर के कुछ राज्य शामिल हैं। आर्टिकल 371 (A-J) नगालैंड, असम, मणिपुर, सिक्किम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश आदि राज्यों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। इन राज्यों को विशेष दर्जा उनकी जनजातीय संस्कृति को संरक्षण प्रदान करता है। अनुच्छेद 371 में गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और आंध्रप्रदेश के लिए भी कुछ मामलों में विशेष उपबन्ध किए गए हैं। हालांकि अनुच्छेद 371 के तहत कुछ राज्यों के लिए किए गए विशेष प्रावधान समय के साथ खत्म हो चुके हैं। 
 
अनुच्छेद 371 में किस तरह के विशेष अधिकार : यदि अनुच्छेद 371 से जुड़े विशेषाधिकार की बात करें तो हिमाचल प्रदेश में बाहरी व्यक्ति खेती के लिए जमीन नहीं खरीद सकता। इतना ही नहीं हिमाचल प्रदेश का निवासी यदि किसान नहीं है तो वह भी खेती की जमीन नहीं खरीद सकता।
 
इसी तरह अनुच्छेद 371-A के तहत नगालैंड तीन विशेष अधिकार दिए गए हैं- 1. भारतीय संसद का कोई भी कानून नगालैंड के लोगों के सांस्कृतिक और धार्मिक मामलों में लागू नहीं होगा। 2. नगा लोगों के प्रथागत कानूनों और परंपराओं को लेकर संसद का कानून और सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश लागू नहीं होगा। और 3. नगालैंड में जमीन और संसाधन किसी गैर नगा को स्थानांतरित नहीं किया जा सकेगा। इसके साथ ही स्थानीय नागरिक ही नगालैंड की जमीन खरीद सकता है। दूसरे राज्य का व्यक्ति यहां जमीन नहीं खरीद सकता। 
 
अनुच्छेद 371 G के तहत मिजोरम में भी जमीन का मालिकाना हक सिर्फ वहां बसने वाले आदिवासियों का है। कोई बाहरी व्यक्ति वहां जमीन नहीं खरीद सकता। 
 
जम्मू-कश्मीर में मिल सकते हैं कुछ विशेष अधिकार : ऐसे में माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को संतुष्ट करने लिए अनुच्छेद 371 के तहत कुछ विशेष प्रावधान किए जा सकते हैं। क्योंकि प्रधानमंत्री के साथ बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्‍यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने डोमिसाइल और जमीन का मुद्दा उठाया था।
 
पीडीपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी कहा है कि वह खुद तब तक कोई चुनाव नहीं लड़ेंगी जब तक कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल नहीं हो जाता। हालांकि यह भी सही है कि अब अनुच्छेद 370 वाली स्थिति राज्य में नहीं रहेगी, लेकिन वहां कुछ मामलों में राहत जरूर दी जा सकती है। 
 
फिलहाल केन्द्र सरकार का जोर वहां नए सिरे से परिसीमन पर होगा, फिर राज्य में चुनाव कराए जाने की बात कही है बाद में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा सकता है। पूर्ण राज्य का दर्जा देने का निर्णय काफी हद तक चुनाव परिणामों से भी तय हो सकता है। 
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अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले थे विशेष अधिकार-
  • संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार था, लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन आवश्यक था। 
  • राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं था। 
  • 1976 का शहरी भूमि कानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता था। 
  • भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं ख़रीद सकते।
  • धारा 360 जिसके अंतर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता था। 
  • जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता।
  • जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग।
  • जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता था। 
  • जम्मू कश्मीर में भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता था। 
  • भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर के अंदर मान्य नहीं होते थे। 
  • भारत की संसद को जम्मू-कश्मीर के संबंध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बनाने का अधिकार। 
  • जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाती थी। इसके विपरीत यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे (पुरुष) भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती थी। 
  • कश्मीर में आरटीआई (RTI) और सीएजी (CAG) जैसे कानून लागू नहीं होते थे। 
  • कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू था। 
  • धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती थी।

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