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हरिद्वार में उप राष्ट्रपति नायडू ने किया 'दक्षिण एशियाई शांति एवं सुलह संस्थान' का शुभारंभ

हरिद्वार में उप राष्ट्रपति नायडू ने किया 'दक्षिण एशियाई शांति एवं सुलह संस्थान' का शुभारंभ

एन. पांडेय

, शनिवार, 19 मार्च 2022 (18:02 IST)
देहरादून। शनिवार को देश के उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू एक दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड पहुंचे। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय परिसर में दक्षिण एशियाई शांति एवं सुलह संस्थान का शुभारंभ किया। यह संस्थान दक्षिण एशियाई देशों के बीच तमाम राजनीतिक चुनौतियों के मद्देनजर क्षेत्रीय स्थिरता और आपसी सकारात्मक व्यवहार की स्थापना को प्रेरित करता है।

उप राष्ट्रपति ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर शहीदों की याद में बनी शौर्य दीवार पर पुष्पांजलि अर्पित की। साथ ही उन्होंने देव संस्कृति विश्वविद्यालय में स्थापित एशिया के प्रथम बाल्टिक सेंटर का अवलोकन किया।

उन्होंने बाल्टिक देशों के सेंटर द्वारा संचालित कार्यक्रमों को सराहा।उप राष्ट्रपति एवं राज्यपाल ने कुटीर उद्योग, हस्तकरघा का अवलोकन किया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति एवं राज्यपाल ने देसंविवि के नवीनतम वेबसाइट, प्रज्ञायोग प्रोटोकॉल एवं उत्सर्ग पुस्तक का भी विमोचन किया।
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इस दौरान उप राष्ट्रपति नायडू मुख्य अतिथि के रूप में शांतिकुंज स्थापना की स्वर्ण जयंती के मौके पर आयोजित व्याख्यानमाला में शामिल हुए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने मां, मातृभाषा और मातृभूमि को सदैव आत्मा से जोड़े रहने के लिए उपस्थित लोगों को प्रेरित किया।

उन्होंने कहा कि देश के उच्च पदों पर आसीन लोगों ने अपनी मातृभाषा में अध्ययन कर उंचाइयों को प्राप्त किया। उन्होंने मातृभाषा को आगे बढ़ाने पर विशेष जोर दिया। हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति पर गर्व होना चाहिए।

उन्होंने आह्वान किया की हमें भारतीय संस्कृति और परंपरा से अपने बच्चों को अवगत कराना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा के दिव्य प्रकाश में ही व्यक्ति समाज के प्रति जिम्मेदार नागरिक बन पाता है। शिक्षा का भारतीयकरण नई शिक्षा नीति का मूल उद्देश्य है।

सभा को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने स्वागत उद्बोधन एवं दक्षिण एशियाई शांति एवं सुलह संस्थान की परिकल्पना की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा शांति, समानता और सौहार्द की रही है। इसी कार्य को इस संस्थान के माध्यम से और आगे बढ़ाएंगे। इसी क्रम में वेदों और उपनिषदों के सार को भी विश्वभर में फैलाएंगे।

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