Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं हैं हिंसक धमकियां : वेंकैया नायडू

Webdunia
शनिवार, 25 नवंबर 2017 (17:57 IST)
नई दिल्ली। 'पद्मावती' फिल्म विवाद के बीच उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि हिंसक धमकियां देना और किसी को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए इनाम की घोषणा करना लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है।
 
उपराष्ट्रपति ने इस विवाद पर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा, लेकिन सामान्य तौर से फिल्मों और कला का जिक्र करते हुए उन्होंने देश में कानून के राज के उल्लंघन के खिलाफ चेतावनी दी।
 
यहां एक साहित्यिक समारोह में नायडू ने कहा कि अभी कुछ फिल्मों को लेकर नई समस्या पैदा हो गई है, जहां कुछ लोगों को लगता है कि उन्होंने कुछ धर्मों या समुदायों की भावनाओं को आहत किया है और इस वजह से प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शन करने के दौरान कुछ लोग अतिरेक में बह जाते हैं और इनाम की घोषणा कर देते हैं।
 
उपराष्ट्रपति ने कहा कि इन लोगों के पास इतना धन है भी या नहीं, मुझे संदेह है। सभी 1 करोड़ रुपए इनाम की घोषणा कर रहे हैं। क्या 1 करोड़ रुपए उपलब्ध होना इतना आसान है? उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में यह स्वीकार्य नहीं है। आपको लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है, सक्षम प्राधिकार के पास जाएं। आप शारीरिक अवरोध पैदा नहीं कर सकते और हिंसक धमकियां नहीं दे सकते। विधि के शासन का उल्लंघन न करें।
 
उन्होंने कहा कि वे किसी फिल्म विशेष के संबंध में नहीं बल्कि सभी फिल्मों और कलाओं के बारे में बात कर रहे हैं और उन्होंने पहले प्रतिबंधित की गई फिल्मों गर्म हवा, किस्सा कुर्सी का और आंधी का हवाला दिया।
 
उनकी टिप्पणी वर्तमान परिस्थितियों में काफी महत्वपूर्ण हो गई है, क्योंकि फिल्मकार संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' में ऐतिहासिक तथ्यों के साथ कथित छेड़खानी के आरोपों को लेकर बहुत विवाद चल रहे हैं। रानी पद्मावती के अस्तित्व को लेकर इतिहासकार भी एकमत नहीं हैं।
 
कुछ नेताओं और समूहों ने कथित तौर पर भंसाली और फिल्म की मुख्य पात्र दीपिका पादुकोण का सिर काटकर लाने वालों के लिए इनाम की घोषणा की है। नायडू ने कहा कि कानून को अपने हाथों में लेने का आपको कोई अधिकार नहीं है। इसके साथ ही आपको दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का भी कोई अधिकार नहीं है। 
 
उपराष्ट्रपति ने चुनिंदा तरीके से निंदा करने पर चेतावनी दी और कहा कि इसे धर्म से जोड़ना गलत है। उन्होंने कहा कि धर्म और संस्कृति के बीच अंतर होता है। धर्म पूजा की एक पद्धति है जबकि संस्कृति जीवन जीने का तरीका है। असहमति और विरोध की घटनाओं पर उन्होंने कहा कि असहमति तो स्वीकार्य है लेकिन अलगाव नहीं।
 
नायडू ने कहा कि देश में हो रहीं इन घटनाओं को पहचानने, सीमित करने और उनसे कड़ाई से निबटने की जरूरत है और यह एक 'चुनौती' है। उन्होंने कहा कि लोगों को जाति, लिंग, धर्म से ऊपर उठकर एकजुट होकर रहने की जरूरत है, मतभेदों के बावजूद भारत एक है। यही भारत की खासियत है और इस खासियत को हमें साहित्य, व्यंग्य चित्रों, सिनेमा और कला के जरिए युवा मस्तिष्कों में बनाकर रखना जरूरी है। आपको बहुमत को स्वीकार करना होगा तथा जनादेश के प्रति सहिष्णुता होनी चाहिए। (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

महाराष्ट्र चुनाव : NCP शरद की पहली लिस्ट जारी, अजित पवार के खिलाफ बारामती से भतीजे को टिकट

कबाड़ से केंद्र सरकार बनी मालामाल, 12 लाख फाइलों को बेच कमाए 100 करोड़ रुपए

Yuvraj Singh की कैंसर से जुड़ी संस्था के पोस्टर पर क्यों शुरू हुआ बवाल, संतरा कहे जाने पर छिड़ा विवाद

उमर अब्दुल्ला ने PM मोदी और गृहमंत्री शाह से की मुलाकात, जानिए किन मुद्दों पर हुई चर्चा...

सिख दंगों के आरोपियों को बरी करने के फैसले को चुनौती, HC ने कहा बहुत देर हो गई, अब इजाजत नहीं

सभी देखें

नवीनतम

cyclone dana live : CM मोहन माझी बोले, शून्य मानवीय क्षति का मिशन सफल

cyclone dana से जनजीवन प्रभावित, 500 से ज्यादा ट्रेनों और 300 उड़ानों पर पड़ा असर

जर्मनी का आधा मंत्रिमंडल इस समय भारत में

weather update : चक्रवात दाना का कहर, 3 राज्यों में भारी बारिश

NCP अजित पवार गुट में शामिल हुए जिशान सिद्दीकी, बांद्रा पूर्व से लड़ेंगे चुनाव

આગળનો લેખ