Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

भारत में विदेशी विश्वविद्यालय के लिए UGC की अनुमति जरूरी

भारत में विदेशी विश्वविद्यालय के लिए UGC की अनुमति जरूरी
, गुरुवार, 5 जनवरी 2023 (12:23 IST)
नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने बताया कि विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में परिसर स्थापित करने के लिए यूजीसी से मंजूरी लेनी होगी, प्रारंभ में इन्हें 10 साल के लिये मंजूरी दी जायेगी तथा उन्हें दाखिला प्रक्रिया, फीस ढांचा तय करने की छूट होगी।
 
कुमार ने यूजीसी (भारत में विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों का परिसर स्थापित करने एवं परिचालन करने) संबंधी नियमन 2023 पर संवाददाताओं से चर्चा के दौरान यह बात कही। कुमार ने कहा, 'भारत में परिसर स्थापित करने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों को अपनी स्वयं की प्रवेश प्रक्रिया तैयार करने की छूट होगी। ये संस्थान फीस ढांचा तय कर सकते हैं।'
 
यूजीसी के अध्यक्ष ने बताया कि यूरोप के कुछ देशों के विश्वविद्यालयों ने भारत में परिसर स्थापित करने में रूचि दिखाई है। उन्होंने कहा कि चूंकि विदेशी विश्वविद्यालय भारत सरकार से वित्त पोषित संस्थान नहीं हैं, ऐसे में उनकी दाखिला प्रक्रिया, फीस ढांचे के निर्धारण में यूजीसी की भूमिका नहीं होगी।
 
कुमार ने कहा कि विदेशी विश्वविद्यालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके भारतीय परिसरों में प्रदान की जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता, उनके मुख्य परिसर में दी जाने वाली शिक्षा के समान ही गुणवत्तापूर्ण हो। उन्होंने कहा कि विदेशी विश्वविद्यालय, भारत में शैक्षणिक संस्थानों के साथ गठजोड़ करके परिसर स्थापित कर सकते हैं।
 
यूजीसी के अध्यक्ष ने कहा कि विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में परिसर स्थापित करने के लिए यूजीसी की मंजूरी की जरूरत होगी तथा उन्हें शुरू में 10 साल के लिए ही मंजूरी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि विदेश से कोष का आदान-प्रदान विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत होगा।
 
कुमार ने कहा कि भारत में परिसर स्थापित करने वाले विदेशी विश्वविद्यालय केवल परिसर में प्रत्यक्ष कक्षाओं के लिए पूर्णकालिक कार्यक्रम पेश कर सकते हैं, ऑनलाइन माध्यम या दूरस्थ शिक्षा माध्यम से नहीं।
 
यह पूछे जाने पर कि क्या इन विदेशी विश्वविद्यालयों के परिसरों में आरक्षण नीति लागू होगी, कुमार ने कहा कि दाखिले संबंधी नीति निर्धारण के बारे में निर्णय विदेशी विश्वविद्यलय करेंगे तथा इसमें यूजीसी की भूमिका नहीं होगी।
 
उन्होंने कहा कि मूल्यांकन प्रक्रिया और छात्रों की जरूरतों का आकलन करने के बाद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति की व्यवस्था हो सकती है, जैसा कि विदेशों में विश्वविद्यालयों में होता है। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

यूपी के बांदा में दिल्ली जैसा मामला, स्कूटी सवार महिला को ट्रक ने 3 KM घसिटा