Jairam Ramesh: कांग्रेस ने उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग (Silkyara Tunnel) से मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाले जाने के बाद बुधवार को कहा कि ऐसी सभी परियोजनाओं का ऑडिट (Audit) कराया जाना चाहिए जिनका क्रियान्वयन जारी है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने यह भी कहा कि हिमालयी क्षेत्र में भविष्य की सभी परियोजनाओं को रोककर उन्हें पेशेवर पारिस्थितिकी जांच के अंतर्गत लाना चाहिए।
सिलक्यारा सुरंग में करीब 17 दिन तक फंसे रहे सभी 41 श्रमिकों को विभिन्न एजेंसियों के संयुक्त बचाव अभियान के तहत मंगलवार को सकुशल बाहर निकाल लिया गया। रमेश ने 'एक्स' पर पोस्ट किया कि सिलक्यारा सुरंग से बचाए गए श्रमिकों को सलाम करते हुए और पूरी बचाव टीम की सराहना करते हुए हमें सुरंग के ढहने से उठे कुछ बड़े सवालों पर भी विचार करना चाहिए। इस घटना ने पश्चिमी हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की संवेदनशीलता और जटिलता को पूरी स्पष्टता के साथ हमारे सामने ला दिया है।
उनका कहना था कि इस क्षेत्र में सिविल निर्माण और अन्य परियोजनाओं की योजना, डिजाइन और कार्यान्वयन के मामले में पर्यावरण मूल्यांकन प्रक्रिया की विफलता भी सामने आई है। उदाहरण के लिए चारधाम परियोजना में जिसमें सुरंग एक हिस्सा ढह गया था। निर्माण कार्यों को इस तरह से आवंटित किया गया ताकि पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन से पूरी तरह बचा जा सके! सुरंग पर व्यापक रूप से स्वीकृत सुरक्षा सुविधाएं नहीं होने पर रिपोर्ट्स आई हैं। पूर्व पर्यावरण मंत्री रमेश के अनुसार 41 श्रमिकों को 17 दिनों तक जिस सदमे से गुजरना पड़ा है, उससे हमें थोड़ा रुककर सोचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वैसी सभी परियोजनाएं जिनका क्रियान्वयन जारी है, उनका गहन ऑडिट किया जाना चाहिए और हिमालयी क्षेत्र में भविष्य की सभी परियोजनाओं को रोक कर उन्हें पेशेवर पारिस्थितिकी जांच के अंतर्गत लाना चाहिए।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि एक दशक पहले उद्घाटन किए गए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के कार्यालय के प्रवेश द्वार पर ये शब्द हैं: 'प्रकृति रक्षति रक्षित:।' यह हमारी सभ्यता की विरासत में अंतर्निहित एक सरल लेकिन बेहद महत्वपूर्ण सिद्धांत है। लेकिन दुख की बात है कि इसका केवल दिखावा किया जा रहा है जिसका परिणाम हमारे लिए विनाशकारी होगा।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta