Uttarkashi rescue operation : उत्तराखंड में सिलक्यारा सुरंग में 400 घंटों से ज्यादा समय से सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमिकों को विभिन्न एजेंसियों के संयुक्त बचाव अभियान के तहत मंगलवार को सकुशल बाहर निकाल लिया गया। रेस्क्यू में लगे लोगों के अथक परिश्रम से इस सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। अब राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (NIDM) ने इस हादसे पर देश के लिए केस स्टडी तैयार करने का फैसला किया है।
एनआईडीएम के कार्यकारी निदेशक राजेंद्र रतनू ने कहा कि भविष्य में सुरंग निर्माण में हम क्या-क्या सावधानियां बरतें, कैसे कमियों को दूर करें, इस पर एनआईडीएम पूरा चेप्टर तैयार करेगा।
कैसे चला रेस्क्यू ऑपरेशन : कई केंद्रीय और राज्य एजेंसियों द्वारा युद्धस्तर पर चलाए गए अभियान में कई बाधाएं आईं। लेकिन अंतत: सफलता हाथ लगी। सुरंग में मलबा हटाने के लिए सबसे पहले जेसीबी लगाई गई लेकिन ऊपर से मलबा गिरने के कारण इसमें सफलता नहीं मिली जिसके बाद अमेरिकी ऑगर मशीन मंगाकर मलबे में ड्रिलिंग शुरू की गई।
हालांकि, मलबे के अंदर 47 मीटर ड्रिलिंग करने के बाद ऑगर मशीन के हिस्से मलबे के अंदर फंस गए और बचाव अभियान में बाधा आ गई। मशीन के हिस्सों को हैदराबाद से प्लाज्मा कटर मंगाकर काटकर अलग किया गया और उसके बाद सोमवार को 'रैट होल माइनिंग' तकनीक की मदद से हाथ से ड्रिलिंग शुरू की गई जिसके बाद मंगलवार को मलबे में पाइप को आर-पार करने में सफलता मिल गई।
हाफ गई मशीनें, रैट होल माइनर्स ने किया कमाल : निर्माणाधीन सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के अभियान में अमेरिकी ऑगर मशीन भी फेल हो गई। इसके बाद रैट होल माइनर्स ने ऑपरेशन की कमान संभाली और कुछ ही घंटों में सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया।
रेंगकर मजदूरों तक पहुंचे NDRF कर्मी : NDRF सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए जैसे ही राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) के चार जवान मलबे के दूसरे छोर तक पहुंचे श्रमिकों की सुरक्षित निकासी की उम्मीदें बढ़ गई। एनडीआरएफ के टीम कमांडर मनमोहन और सुरंग के दूसरे छोर तक रेंग कर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति मनमोहन ने बताया कि जैसे ही हमने उनकी ओर हाथ हिलाया और घोषणा की कि एनडीआरएफ की एक टीम उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए यहां है और उन्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, श्रमिकों के समूह के बीच जबरदस्त उत्साह पैदा हो गया।
बिने पहिए वाले स्ट्रेचर से निकले मजदूर : श्रमिकों को एक-एक करके 800 मिमी के उन पाइपों से बनाए गए रास्ते से बाहर निकाला गया जिन्हें अवरूद्ध सुरंग में फैले 60 मीटर मलबे में ड्रिल करके अंदर डाला गया था। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुसार 60 मीटर के बचाव शॉफ्ट में स्टील के पाइप से इन मजदूरों को बिना पहिये वाले स्ट्रेचर के बाहर निकाला गया।
मजदूरों को बाहर निकाले जाने के बाद सुरंग के बाहर खड़ी एंबुलेंस के जरिए उन्हें सिलक्यारा से 30 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया जहां श्रमिकों के लिए 41 बिस्तरों का वार्ड तैयार रखा था। वहां से मजदूरों को सामुदायिक स्वास्थ्य ले जाये जाने से पहले उनका सुरंग के अंदर त्वरित स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।
Edited by : Nrapendra Gupta