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1 लाख नौकाओं में लग चुका है ट्रांसपोंडर, समुद्री सीमा पार नहीं कर पाएंगे मछुआरे

1 लाख नौकाओं में लग चुका है ट्रांसपोंडर, समुद्री सीमा पार नहीं कर पाएंगे मछुआरे

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , सोमवार, 5 अगस्त 2024 (23:50 IST)
Transponders have been installed in the boats of 1 lakh fishermen : केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन ने सोमवार को लोकसभा को बताया कि इसरो की मदद से मछुआरों की नौकाओं पर ट्रांसपोंडर लगाए जा रहे हैं, जिससे वे अपने परिवारों और तटरक्षक आदि से सूचना का आदान-प्रदान कर सकते हैं।
 
ललन ने सदन में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान की मांगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि तीन एजेंसियों को ट्रांसपोंडर लगाने का काम सौंपा गया है और अब तक मछुआरों की एक लाख नौकाओं में यह उपकरण लग चुका है।
 
उन्होंने कहा कि मछुआरों की नौका में ट्रांसपोंडर लगाने से वे ‘टू-वे’ प्रणाली के जरिए अपने परिजनों, तटरक्षक या अन्य संपर्कों से सूचना का आदान-प्रदान कर सकते हैं। मंत्री ने कहा कि इसके माध्यम से मछुआरों को चक्रवात, खराब मौसम, समुद्री तूफान आदि की सूचना मिल जाती है। ललन ने कहा कि मछुआरों को मछलियों के संभावित क्षेत्रों की भी सूचना मिल सकती है।
 
उन्होंने कहा, मछुआरे यदि अंतरराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र में चले जाते हैं तो ऐसे समय में उन्हें ट्रांसपोंडर से स्वत: चेतावनी जारी की जाती है। मछुआरे अगर इसका लाभ उठाएंगे तो कभी समुद्री सीमा पार नहीं कर पाएंगे। ललन ने कहा कि ट्रांसपोंटर के लिहाज से मछुआरों को प्रशिक्षित करने की भी व्यवस्था है। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान की मांगों को पारित कर दिया।
उन्होंने विपक्ष के कुछ सदस्यों के बयानों के संदर्भ में कहा, हमारा देश गाय के मांस का निर्यात नहीं करता, ‘बफेलो मीट’ का निर्यात करता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में पशुओं की नस्ल सुधार के लिए सरकार आईवीएफ तकनीक पर काम कर रही है और 22 आईवीएफ लैब कार्यरत हैं।
 
उन्होंने कहा कि अभी आईवीएफ इंजेक्शन की कीमत अधिक है, लेकिन सीमांत और गरीब किसानों के लिए किफायती आईवीएफ इंजेक्शन बनाने पर काम हो रहा है। उन्होंने कहा, सरकार सस्ती दर पर आईवीएफ इंजेक्शन दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। ललन ने कहा कि सरकार दुग्ध उत्पादन में असंगठित क्षेत्र को संगठित क्षेत्र में लाने का प्रयास कर रही है और इसके लिए सहकारिता मंत्रालय से बातचीत चल रही है।
 
उन्होंने मछुआरों के लिए 2020 में शुरू की गई प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना को शानदार और क्रांतिकारी बताते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल की सरकार ने 2020-21 अरौर 2021-22 में इस योजना का लाभ उठाने से इनकार कर दिया, लेकिन अब उसने इसके महत्व को समझा है।
ललन ने कहा, केंद्र सरकार की जो भी हिस्सेदारी है, पश्चिम बंगाल को दी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसी भी राज्य के साथ भेदभाव नहीं करते। उनका ध्यान समग्र देश के विकास पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि 2013-14 तक देश में मत्स्यपालन उत्पादन के क्षेत्र में उतना काम नहीं हुआ, जितना प्रधानमंत्री मोदी ने 10 साल में किया है। ललन ने कहा कि 2013-14 में 95.7 लाख टन मछली उत्पादन होता था, जो 2023-24 में 174.45 लाख टन हो गया।
 
उन्होंने कहा कि 2019 फरवरी में मत्स्य उत्पादन के लिए अलग विभाग बनाया गया और जून में डेरी तथा पशुपालन को इससे जोड़ा गया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज भारत 60,523 करोड़ रुपए से ज्यादा का मछली निर्यात कर रहा है और पिछले दस साल में केवल मत्स्य उत्पादन ही नहीं, बल्कि निर्यात भी दोगुना हुआ है।
 
ललन ने कहा कि देश में पशुपालन और डेयरी के साथ नौ करोड़ लोग जुड़े हैं, जिनमें 90 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र का उत्पादन मूल्य धान और गेहूं उत्पादन के कुल मूल्य से ज्यादा मूल्य है। ललन ने कहा, मोदी सरकार ने नौ वर्ष में इस क्षेत्र में 58 प्रतिशत की वृद्धि की है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन की वजह से हम इस ऊंचाई पर पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार मवेशियों के रोग नियंत्रण और टीकाकरण के लिए भी काम कर रही है।
 
ललन ने कांग्रेस समेत विपक्ष के सदस्यों की टोकाटोकी के बीच उन्हें आड़े हाथों लेते हुए कहा, आप लोग साठ साल तक मेवा खा रहे थे। मोदी जी जनता की सेवा कर रहे हैं। आपका (विपक्ष का) योगदान देश में किसी भी क्षेत्र में नहीं है। आपने एक ही क्षेत्र में सफलता प्राप्त की है, वो है कि आपके समय घोटालों की लंबी सूची रही। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour

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