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ट्रेनी IAS विवाद : दोषी पाए जाने पर किया जा सकता है बर्खास्त, केंद्र सरकार ने शुरू की जांच

ट्रेनी IAS विवाद : दोषी पाए जाने पर किया जा सकता है बर्खास्त, केंद्र सरकार ने शुरू की जांच

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली/मुंबई , शुक्रवार, 12 जुलाई 2024 (23:39 IST)
Trainee IAS officer controversy : विशेषाधिकारों के दुरुपयोग को लेकर विवादों में घिरी परिवीक्षाधीन आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को दोषी पाए जाने पर सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है। सिविल सेवा परीक्षा और तदुपरांत सेवा में चयन के लिए उनके द्वारा प्रस्तुत सभी दस्तावेजों की आगामी बृहस्पतिवार को केंद्र द्वारा गठित एक सदस्‍यीय समिति द्वारा पुनः जांच की जाएगी।
आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा और तदुपरांत सेवा में चयन के लिए उनके द्वारा प्रस्तुत सभी दस्तावेजों की आगामी बृहस्पतिवार को केंद्र द्वारा गठित एक सदस्‍यीय समिति द्वारा पुनः जांच की जाएगी। सूत्रों ने बताया कि समिति ने अपनी जांच शुरू कर दी है।
 
आपराधिक आरोपों का भी सामना करना पड़ सकता है : एक सूत्र ने बताया, यदि अधिकारी दोषी पाई जाती है तो उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है। यदि यह पाया जाता है कि उन्होंने तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया है या यह पाया जाता है कि उनका चयन जिन दस्तावेजों के आधार पर किया गया है, उनमें किसी तरह का फर्जीवाड़ा है तो उन्हें आपराधिक आरोपों का भी सामना करना पड़ सकता है।
वर्ष 2023 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी खेडकर परिवीक्षाधीन हैं और वर्तमान में अपने गृह कैडर महाराष्ट्र में तैनात हैं। खेडकर (34) पर भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल होने के लिए शारीरिक दिव्यांगता श्रेणी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटा के तहत लाभों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया है।
 
पुणे से किया गया था तबादला : सूत्रों ने कहा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग में अतिरिक्त सचिव मनोज कुमार द्विवेदी की एकल जांच समिति को दो सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है। इस बीच, खेडकर ने बृहस्पतिवार को विदर्भ क्षेत्र में वाशिम जिला कलेक्ट्रेट में सहायक कलेक्टर के रूप में अपनी नई भूमिका संभाल ली। उनका तबादला पुणे से किया गया था, जहां उन्होंने लोगों को धमकाया था और अपनी निजी ऑडी कार पर लाल बत्ती भी लगाई थी। उक्त कार पर ‘महाराष्ट्र सरकार’ भी लिखा हुआ था।
 
पुणे के जिलाधिकारी सुहास दिवासे ने राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव नितिन गाडरे को एक पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि वे प्रशासनिक जटिलताओं से बचने के लिए खेडकर को दूसरे जिले में तैनाती देने पर विचार करें, जिसके बाद इस विवादास्पद अधिकारी को वाशिम भेज दिया गया।
दिवासे ने कनिष्ठ कर्मचारियों के साथ कथित आक्रामक व्यवहार, अतिरिक्त कलेक्टर अजय मोरे के चैंबर पर अवैध कब्जा और ऑडी पर लाल बत्ती लगाने तथा दिन के समय इसे लगाकर चलने से संबंधित उल्लंघनों सहित खेडकर के व्यवहार के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।
 
निजी कंपनी को आरटीओ का नोटिस : पुणे क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) ने वहां की एक निजी कंपनी को नोटिस जारी किया है, जो खेडकर द्वारा इस्तेमाल की गई ऑडी कार की पंजीकृत मालिक है। एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि एक संबंधित घटनाक्रम में नवी मुंबई पुलिस ने महाराष्ट्र सरकार को रिपोर्ट दी है कि खेडकर ने एक डीसीपी रैंक के अधिकारी पर चोरी के एक मामले में पकड़े गए एक व्यक्ति को रिहा करने के लिए दबाव बनाने की कोशिश की थी।
यह घटना 18 मई को पनवेल पुलिस थाने में हुई थी, जिसमें खेडकर ने पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) विवेक पानसरे को फोन किया और उनसे चोरी के एक मामले में गिरफ्तार एक ट्रांसपोर्टर ईश्वर उत्तरवाडे को रिहा करने का आग्रह किया। (भाषा) फोटो सौजन्‍य : सोशल मीडिया
Edited By : Chetan Gour 

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