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बर्फबारी के बाद लौटने लगी हैं कश्मीर के टूरिज्म की उम्मीदें (देखें फोटो)

बर्फबारी के बाद लौटने लगी हैं कश्मीर के टूरिज्म की उम्मीदें (देखें फोटो)
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सुरेश एस डुग्गर

, शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2021 (20:01 IST)
जम्मू। कश्मीर में होने वाली बर्फबारी चाहे लोगों के लिए परेशानी पैदा करती हो, लेकिन उनके लिए राहत और सुकून लेकर आती है जिनका भविष्य, रोजी-रोटी पर्यटन उद्योग से जुड़ा हुआ है। पर्यटन उद्योग का भविष्य ही बर्फबारी से जुड़ा हुआ है, यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है। अब इसे भुनाने की कोशिश गुलमर्ग और पहलगाम में आरंभ हो गई है।
 
वादी-ए-कश्मीर के अधिकतर इलाकों में बर्फबारी के बाद फिर से घाटी में पर्यटकों के पहुंचने के कारण कश्मीरियों को यह उम्मीद बंधने लगी है कि इस बार टूरिस्टों का रेला आएगा कश्मीर में। यही नहीं बर्फबारी से जहां पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग खुश हैं, वहीं पर्यटन विभाग भी इसे एक अच्छा शगुन मान रहा है।
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कश्मीर के कई ऐसे इलाकों में खूब बर्फबारी हुई है। इन इलाकों में गुलमर्ग, पहलगाम, सोनमर्ग और श्रीनगर की डल झील शामिल हैं। गुलमर्ग तथा पहलगाम में बर्फबारी को देखते हुए पर्यटन विभाग गुलमर्ग में तीन दिवसीय टूरिस्ट फेस्टिवल की शुरुआत करने जा रहा है, जिसमें देश-विदेश से पर्यटकों के यहां पहुंचने की संभावना है।
 
कश्मीर हाउस बोट एसोसिएशन के प्रमुख मुहम्मद अजीम तोमान के मुताबिक वर्ष 2019 में जुलाई तक काफी पर्यटक घूमने के लिए घाटी आए जिससे पर्यटन उद्योग को काफी फायदा पहुंचा था। उन्होंने बताया कि कि बाद में हालात इतने बिगड़ गए कि एक भी पर्यटक घाटी आने के लिए तैयार नहीं हुआ।
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तोमान के मुताबिक अब पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों की नजर सिर्फ विंटर फेस्टिवल पर टिक जाती है क्योंकि इसमें शामिल होने के लिए लोगों ने रुचि दिखाई है।
 
पर्यटन विभाग के निदेशक के मुताबिक यह फेस्टिवल गुरुवार से शुरू हो गया है, जिसमें कश्मीर की संस्कृति के अलावा कई ऐसी चीजों को आकर्षण का केंद्र बनाया गया है, जिनके लिए कश्मीर पूरे विश्व में मशहूर है। उन्होंने बताया कि फेस्टिवल के दौरान कश्मीरी वाजवान और स्कीइंग के कई मुकाबले आयोजित किए जाएंगे ताकि ज्यादासे ज्यादा पर्यटक यहां घूमने की योजना बनाकर यहां की रंगीनियों का मजा ले सकें। 
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इतना जरूर है कि बर्फबारी किसानों तथा आम नागरिकों के चेहरों पर खुशी की लकीर खींचने में जरूर कामयाब हो रही है। बर्फबारी के कारण दरियाओं में जलस्तर की बढ़ोतरी ने गर्मियों में बिजली उत्पादन से छुटकारा दिलाने की उम्मीद भी बढ़ाई है। वर्तमान में कश्मीर में 12 से 16 घंटे बिजली कटौती का सामना लोगों को करना पड़ रहा है।
 

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