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कश्मीर में दहशत, डरे हुए तीन और पुलिसकर्मियों ने नौकरी छोड़ दी

सुरेश एस डुग्गर
रविवार, 2 सितम्बर 2018 (18:26 IST)
श्रीनगर। कश्मीर में एक अजीब-सी दहशत का माहौल है। यह दहशत अगर आतंकियों के परिवारों में भी है, तो पुलिसकर्मियों तथा उनके परिवारों में भी। नतीजा सामने है। 3 और पुलिसकर्मियों ने दहशत के चलते अपनी नौकरी छोड़ दी है। उन पर अपने परिवारों का दबाव था, क्योंकि एक के घर पर आतंकी दस्तक दे चुके थे और एक के परिजन को अपहृत कर चुके थे। दरअसल, कश्मीर में पुलिस और आतंकियों के बीच जो चूहे-बिल्ली का खेल चल रहा है उसमें दोनों ही के परिवार पिस रहे हैं।
 
यह सच है कि कश्मीर में अगवा किए गए पुलिसकर्मियों के रिश्तेदारों को रिहा किए जाने के बाद भी पुलिस प्रशासन खौफ में है। आतंकियों की धमकी से पुलिसकर्मी बुरी तरह डरे हुए हैं और 3 अफसरों ने तो पुलिस की नौकरी छोड़ दी। जानकारी के मुताबिक आतंकियों की धमकी के बाद त्राल में 3 एसपीओ ने इस्तीफा दे दिया। आतंकी इनमें से एक एसपीओ के घर में घुस गए थे।
 
याद रहे हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नाइकू के पिता असदुल्ला नाइकू की गिरफ्तारी के बाद आतंकी बुरी तरह भड़क गए थे। आतंकी नाइकू ने धमकी देते हुए कहा था कि पुलिस ने हमें आंख के बदले आंख और कान के बदले कान की नीति का पालन करने के लिए मजबूर किया है।
 
साथ ही उसने पुलिसकर्मियों को सलाह दी है कि वे अपनी नौकरियों को छोड़ दें या खराब से खराब स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहें। इसके बाद आतंकियों ने अलग-अलग जगहों से पुलिसकर्मियों के 11 रिश्तेदारों को अगवा कर लिया था। इससे पुलिस प्रशासन भी दहशत में आ गया और आतंकी नाइकू के पिता असदुल्ला की रिहाई के बाद सभी लोगों को छोड़ दिया गया था।
 
दरअसल, पिछले कुछ अरसे से आतंकियों तथा पुलिस के बीच यह चूहे-बिल्ली का खेल चल रहा है। कभी आतंकी किसी पुलिस वाले के घर में घुसकर उनके परिजनों को निशाना बना रहे हैं, तो कभी धमकी देते हुए घर में तोड़फोड़ कर रहे हैं। पुलिस भी इन घटनाओं को हल्के से नहीं ले रही। जवाबी कार्रवाई कह लीजिए या फिर बदले की कार्रवाई कि आतंकियों के परिजनों को भी ऐसे ही हालात का सामना करना पड़ रहा है।
 
पिछली बार स्थिति उस समय और बिगड़ गई थी, जब पुलिस-आतंकी के चूहे-बिल्ली के खेल में तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पुलिस को 'सलाह' देते हुए कहा था कि वे आतंकियों के परिजनों को तंग न करें और बदले की कार्रवाई न करें। हालांकि उनका साथ ही में कहना था कि ऐसा करने से स्थानीय आतंकियों के आत्मसमर्पण की मुहिम में दिक्कतें पैदा हो सकती हैं।
 
इस वर्ष अप्रैल के महीने में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के पांव तले उस समय जमीन खिसक गई थी, जब आतंकियों ने एक डीएसपी रैंक के घर पर धावा बोलते हुए उनके परिजनों को जान से मारने की धमकी देते हुए घर में तोड़फोड़ की थी। उसके बाद से ही चूहे-बिल्ली का खेल आरंभ हुआ था।
 
अप्रैल में ही लश्कर-ए-तैयबा के चीफ महमूद शाह ने कश्मीर के अखबारों को भेजे गए संदेश में राज्य पुलिस पर आरोप लगाया था कि वह आतंकियों के परिवारों को प्रताड़ित कर रही है। इस संदेश में उसने 'धमकी' भी दी थी कि अगर यूं ही चलता रहा तो पुलिस अधिकारियों के परिवार उनकी गिरफ्त से दूर नहीं होंगे। अब हिज्ब के कमांडर नाइकू ने मोर्चा संभाला है।
 
अब हालात यह है कि मामले को लेकर पुलिस और आतंकी गुट आमने-सामने हैं। परिणाम यह है कि दोनों पक्षों के बीच हो रहे वाक्-युद्ध के कारण पुलिस तथा आतंकियों के परिवार डरे हुए हैं। हालांकि पुलिस अधिकारी ऐसे किसी डर की पुष्टि तो नहीं करते थे लेकिन कुछ आतंकी परिवारों के सदस्यों का मानना था कि दोनों की लड़ाई में परिवारों के अन्य सदस्य ही पिस जाएंगे।

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