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नरेन्द्र मोदी के भाषण की तीन बड़ी बातें...

नरेन्द्र मोदी के भाषण की तीन बड़ी बातें...
, सोमवार, 11 सितम्बर 2017 (12:55 IST)
स्वामी विवेकानंद के शिकागो भाषण की 125वीं जयंती पर विज्ञान भवन से पूरे देश को संबोधित करते हुए स्वच्छता, विविधता और आधुनिकता के मुद्दे पर जमकर कटाक्ष किए। स्वामी जी के बहाने मोदी का भाषण ज्यादा समय तक युवाओं पर ही केन्द्रित रहा। आइए जानते हैं नरेन्द्र मोदी के भाषण की तीन बड़ी बातें...
 
स्वच्छता : स्वच्छता पर जोर देते हुए प्रधानंमत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हम अस्पतालों और डॉक्टरों की वजह से स्वस्थ नहीं हैं, हम सफाई वालों की वजह से स्वस्थ हैं। विश्वविद्यालयों की छात्र राजनीति पर कटाक्ष करते हुए मोदी ने कहा कि चुनाव के दौरान कई वादे किए जाते हैं, मगर भी छात्र नेता ने आज तक यह नहीं कहा होगा कि हम अपने परिसर को साफ रखेंगे। चुनाव के दूसरे दिन चारों तरफ कचरा ही दिखाई देगा। फिर कहते हैं वंदे मातरम। देश में गंदगी फैलाने वालों को वंदे मातरम कहने का हक नहीं है। मोदी ने कहा कि मैंने एक बार शौचालय फिर देवालय की बात कही थी तो मेरे बाल खींचे गए थे। 
 
विविधता : नरेन्द्र मोदी ने देश मे विविधता और भाषाई एकता की बात करते हुए कहा कि रोज डे और न जाने ऐसे कितने ही डे विश्वविद्यालयों में मनाए जाते हैं, क्यों नहीं हरियाणा के विवि में तमिलनाडु डे मनाया जाए या फिर पंजाब की यूनिवर्सिटी में केरल डे मनाया जाए। सभी उनके जैसी वेशभूषा एक दिन पहनकर आएं। क्यों नहीं किसी अन्य विश्वविद्यालय में पंजाब डे मनाया जाए और वहां के गुरुओं की परंपरा को याद किया जाए। यदि हम ऐसा करेंगे तो ही एक भारत और श्रेष्ठ भारत बनेगा। हमें वह करना चाहिए जिससे देश की ताकत बढ़े, देश की सामर्थ्य बढ़े। रचनात्मकता के बिना देश आगे नहीं बढ़ सकता। 
 
आधुनिकता : हम पहले क्या थे यह निश्चित ही महत्वपूर्ण है, लेकिन आज हम क्या यह उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि हमारी बहुत अच्छी और गौरवपूर्ण विरासत है। मगर हमारा दुर्भाग्य है कि हम गौरव गान से आगे बढ़ने को तैयार नहीं हैं। हमें अपने गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना चाहिए। यदि सभी देशवासी ठान लें तो हिन्दुस्तान 125 करोड़ कदम आगे निकल जाएगा।
 
उन्होंने आधुनिकता पर विशेष बल देते हुए कहा कि जो बात किसी समय सही हो, जरूरी नहीं कि वह आज भी सही हो, यदि वह गलत है तो हमें आवाज उठाकर उसे ‍नष्ट करने के लिए निकल पड़ना चाहिए। ऐसा करेंगे तो ही देश आगे बढ़ पाएगा। हमें बुराइयों के खिलाफ लड़ना चाहिए और अपने भीतर की बुराइयों को दूर करना चाहिए।

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