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हरियाणा 2021 : राज्य की राजनीति पर रहा किसानों के प्रदर्शन का साया, ओलंपिक पदक बने मुस्कुराहट की वजह

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शनिवार, 25 दिसंबर 2021 (17:06 IST)
चंडीगढ़। हरियाणा में 2021 का ज्यादातर हिस्सा दिल्ली और राजस्थान से जुड़ी इसकी सीमाओं पर किसानों के आंदोलन के नाम रहा। दिल्ली के टीकरी और सिंघू बॉर्डर पर राजमार्ग महीनों तक किसानों के आंदोलन के कारण जाम रहे तथा इसने केन्द्र की भाजपा नीत सरकार पर अत्यधिक दबाव बनाया। इस उठापटक के बीच टोक्यो ओलंपिक में भाला फेंकने के खेल में नीरज चोपड़ा को मिले स्वर्ण पदक ने सबके चेहरे पर मुस्कुराहट ला दी।

हालांकि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर प्रदर्शन करने वाले किसानों में ज्यादातर संख्या पंजाब और हरियाणा के किसानों की थी। राज्य की भाजपा नीत सरकार पर इस आंदोलन का बहुत गहरा असर पड़ा। सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर उठापटक हुई, उपचुनाव हुआ और हिंसक प्रदर्शन भी हुए।

इस उठापटक के बीच टोक्यो ओलंपिक में भाला फेंकने के खेल में नीरज चोपड़ा को मिले स्वर्ण पदक ने सबके चेहरे पर मुस्कुराहट ला दी। आंदोलन की पीड़ा और पदक की मुस्कुराहट दोनों ही कोविड महामारी की पृष्ठभूमि में महसूस हुए। अन्य सभी राज्यों की तरह हरियाणा को भी अप्रैल-मई में चिकित्सकीय ऑक्सीजन और वेंटिलेटर का इंतजाम करने के लिए तेजी से हाथ-पांव मारने पड़े।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल हरियाणा के जिलों (जैसे गुरुग्राम और फरीदाबाद) के अस्पतालों को दिल्ली और अन्य पड़ोसी राज्यों से पहुंचे मरीजों का बोझ भी झेलना पड़ा। विधानसभा में हरियाणा सरकार का रुख हमेशा यही रहा कि राज्य में ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी मरीज की मौत नहीं हुई।

राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-जननायक जनता पार्टी (जजपा) गठबंधन को बार-बार और लगातार किसानों का गुस्सा झेलना पड़ा। जनवरी, 2020 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर कृषि कानूनों (अब निरस्त) का लाभ समझाने के लिए करनाल के कैमला गांव में ‘किसान महापंचायत’ को संबोधित करने वाले थे, लेकिन किसानों ने सभा स्थल पर जमकर तोड़फोड़ की।

खट्टर का हेलीकॉप्टर जिस अस्थाई हेलीपैड पर उतरने वाला था, किसानों ने उस पर कब्जा कर लिया, जिसके कारण बाद में पुलिस को पानी की बौछार करनी पड़ी और आंसूगैस के गोले दागने पड़े। वहीं हिसार में कोविड-19 अस्पताल का उद्घाटन करने पहुंचे मुख्यमंत्री के कार्यक्रम स्थल तक किसानों का मार्च रोकने के लिए पुलिस को आंसूगैस के गोले दागने पड़े।

भाजपा की एक बैठक की ओर बढ़ रहे किसानों के मार्च को रोकने के उद्देश्य से बस्तारा टोल प्लाजा पर पुलिस ने किसानों पर लाठियां बरसाईं, लेकिन यह घटना करनाल के उपमंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) द्वारा पुलिसवालों को दिए गए निर्देशों का वीडियो सार्वजनिक होने के कारण ज्यादा चर्चा में रही।

उक्त वीडियो में आईएएस अधिकारी को पुलिसकर्मियों से यह कहते सुना गया कि अगर प्रदर्शनकारी हद पार करते हैं तो उनका सिर फोड़ दो। घटना के कुछ दिन बाद हजारों की संख्या में किसान करनाल जिला मुख्यालय में धरने पर बैठ गए और एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के (सेवानिवृत्त) न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच आयोग का भी गठन किया। इन प्रदर्शनों का उपमुख्यमंत्री दुष्यंत सिंह चौटाला पर भी खूब दबाव बना। विपक्षी दल कांग्रेस ने जजपा पर सत्ता के लालच में किसानों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। इससे पहले जजपा के विधायक भी किसानों के समर्थन में उनके साथ खड़े हुए।

इन सबके बीच, दुष्यंत चौटाला ने आश्वासन दिया कि इन कृषि कानूनों से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली पर कोई असर नहीं होगा। उन्होंने कहा, अगर एमएसपी में गड़बड़ी होती है तो मैं सरकार से इस्तीफा दे दूंगा।

इस पूरे मामले में पद से इस्तीफा दिया चौटाला खानदान के दूसरे बेटे और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के नेता अभय चौटाला ने। जजपा इनेलो से अलग होकर बनी है। अभय चौटाला ने किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए ऐलनाबाद के विधायक के रूप में पद से इस्तीफा दे दिया, हालांकि अक्टूबर में हुए उपचुनाव में वह फिर से मैदान में थे। इस उपचुनाव में ओमप्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला को जीत जरूर मिली, लेकिन जीत का अंतर पहले से बहुत कम था।

इस उपचुनाव में विपक्षी दल कांग्रेस को बड़ा झटका लगा और उसके उम्मीदवार पवन बेनीवाल तीसरे स्थान पर रहे। जजपा समर्थित भाजपा उम्मीदवार गोबिंद कांडा ने अभय चौटाला को यहां कड़ी टक्कर दी। जजपा के भीतर अलग मत रखने वालों पर दबाव बनाने के उद्देश्य से कांग्रेस ने इस साल की शुरुआत में विधानसभा में खट्टर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी पेश किया। हालांकि यह प्रस्ताव गिर गया।

विपक्ष के नेता भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा, इस अविश्वास प्रस्ताव से स्पष्ट हो जाएगा कि कौन विधायक सरकार के साथ है और कौन किसानों के साथ खड़ा है। महामारी के बीच हुए टोक्यो ओलंपिक में हरियाणा के ‘छोरे-छोरियों’ ने देशवासियों का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। पानीपत जिले के खांडरा गांव के रहने वाले नीरज चोपड़ा ने भारत की ओर से पहली बार ट्रैक एंड फील्ड में ओलंपिक पटक जीता। रवि दहिया ने रजत पदक और दूसरे पहलवान बजरंग पूनियां ने कांस्य पदक जीता।

पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पद जीता। करीब चार दशक बाद ओलंपिक से पदक लेकर घर लौटी इस हॉकी टीम में दो खिलाड़ी हरियाणा के थे। वहीं पदक पाने से बेहद कम अंतर से चूकी महिला हॉकी टीम में नौ खिलाड़ी हरियाणा की थीं।

पिछले महीने, विपक्षी दल कांग्रेस ने राज्य में सबसे बड़े नौकरी घोटाले को लेकर हरियाणा सरकार पर निशाना साधा। हरियाणा लोक सेवा आयोग के उपसचिव अनिल नागर को डेंटल सर्जन पद के अभ्यर्थियों से रिश्वत लेकर परीक्षा परिणाम में हेरफेर करने के आरोप में पद से बर्खास्त कर दिया गया और गिरफ्तार किया गया।

इससे पहले, कांग्रेस सदस्यों के प्रदर्शन के बीच, हरियाणा विधानसभा ने एक विधेयक पारित किया जो सरकार को हिंसक प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक/ निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से उसकी वसूली करने का अधिकार देता है।

वहीं राज्य विधानसभा ने अगस्त में हरियाणा परिवार पहचान विधेयक, 2021 पारित किया, जिसका लक्ष्य प्रत्येक परिवार के लिए विशिष्ट पहचान संख्या जारी करना और उनके लिए सरकारी सेवाओं तक सरलता से पहुंचने के लिए डेटाबेस तैयार करना था। साल के अंत तक आते-आते तमाम घटनाओं में कुछ सांप्रदायिक रंग भी घुला और गुरुग्राम में कुछ जगहों पर जुमे की नमाज पढ़े जाने को लेकर तनाव पैदा हो गया।

यहां तक कि प्रशासन द्वारा जुमे की नमाज के लिए तय जगह पर भी दक्षिणपंथी संगठनों ने हंगामा किया, नारेबाजी की और उस मैदान में कभी हवन तो कभी क्रिकेट मैच का आयोजन किया। इन घटनाओं के बीच पुलिस ने पूरी मुश्तैदी बरती और कहीं कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब ने इस मुद्दे पर कार्रवाई का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय में आवेदन दिया है।(भाषा)

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