नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एएम सप्रे की अध्यक्षता वाली समिति को सभी राज्यों में सड़क सुरक्षा की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी तथा उसके मानदंडों के अमल पर राज्य-विशिष्ट दिशानिर्देश के लिए एक रूपरेखा तैयार करने के वास्ते 2 सप्ताह के भीतर एक बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने इस बात को लेकर सहमति व्यक्त की कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 136ए (सड़क सुरक्षा की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और प्रवर्तन) को लागू करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
मोटर वाहन अधिनियम को 2019 में संशोधित किया गया था, ताकि राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य के नियंत्रण वाले राजमार्गों, सड़कों और शहरी इलाकों में सड़क सुरक्षा की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और प्रवर्तन के लिए धारा 136ए के प्रावधानों को शामिल किया जा सके। अब मुद्दा विभिन्न राज्य सरकारों के सहयोग से प्रदेश-विशिष्ट दिशानिर्देशों को तैयार करके धारा 136ए के प्रावधानों के उचित क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना है।
पीठ ने कहा, मोटर वाहन अधिनियम की धारा 215बी ने एक सलाहकार की भूमिका में एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड के गठन का मार्ग प्रशस्त किया है। रूपरेखा की दृष्टि से यह न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएम सप्रे, सरकारी अधिकारी और न्यायमित्र के लिए उपयुक्त होगा कि वे तौर-तरीके निर्धारित करें। बैठक 2 सप्ताह के भीतर बुलाई जा सकती है।
न्यायमित्र बैठक में बनी आम सहमति के बारे में अदालत को रिपोर्ट कर सकते हैं। मामला अब फरवरी के पहले सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान ने कहा कि सरकार धारा 136(2) के तहत पहले ही नियम बना चुकी है।
शीर्ष अदालत ने देश में सड़क सुरक्षा के मुद्दे पर एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सप्रे की अध्यक्षता में समिति गठित की थी। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की 2021 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष के दौरान कुल मिलाकर 4,12,432 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1,53,972 लोगों की जान चली गई और 3,84,448 लोग घायल हुए।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)