बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और लालू के बेटे तेजस्वी यादव ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह दुष्कर्म मामले में राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुला खत लिखा है। उन्होंने कहा कि मैं दुखी हूं, जिन बच्चियों की खिलौनों से खेलने की उम्र थी, वे खुद खिलौना बन गईं।
यादव ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता होने से पहले मैं सात बहनों का भाई हूं और कई बच्चियों का चाचा और मामा भी हूं। बच्चियों के साथ हुई इस अमानवीय घटना से मैं सो नहीं पाया हूं। उन्होंने कटाक्ष किया कि वो अनाथ और मासूम लड़कियां किसी का वोट बैंक नहीं थीं, इसलिए हमें क्या लेना-देना?
तेजस्वी ने आगे लिखा कि क्या वो बेटियां नहीं थीं? या उन्हें इस धरती पर केवल शोषण के लिए लाया गया था। हर तरह से लुटी पिटी बेटियां जब सरकार के पालने में आई थीं तो उन्होंने खुद को महफूज समझा होगा, उन्होंने सोचा कि वे अब सही जगह आ गई हैं। मगर वो रोती रहीं, कराहती रहीं, चीखती रहीं, मरती रहीं। वो हवस के पुजारियों के साथ हर रात लुटती रहीं और सरकार गहरी नींद में सोती रहीं।
लालू पुत्र ने यह दो पेज का पत्र ट्विटर पर पोस्ट किया है। इस पर टिप्पणियां भी काफी देखने को मिलीं। एक व्यक्ति ने लिखा कि नीतीश कुमार के राजनीतिक करियर का अंत चल रहा है। एक व्यक्ति ने सवाल उठाते हुए कहा कि मुज़फ़्फ़रपुर कांड में 'तीन महीने बाद शर्मसार हुए नीतीश कुमार'....शर्म भी इतने महीनों बाद आती है? वहीं एक व्यक्ति ने तेजस्वी पर ही कटाक्ष कर दिया। उसने लिखा कि क्या यह पत्र आपने खुद ही लिखा है। एक अन्य व्यक्ति ने लिखा कि तेजस्वीजी कभी देश के खिलाफ नारा लगाने वाले के खिलाफ भी पत्र लिख दिया करो।
एक अन्य व्यक्ति ने लिखा कि चिंता लाजिमी है, लेकिन साथ साथ अपनी पार्टी से भी गंदगी निकाल लें प्रभु। एक ने तेजस्वी की तारीफ करते हुए लिखा कि हिन्दुस्तान का युवा आपको उम्मीद की निगाह से देख रहा है। एक अन्य व्यक्ति ने आरोप लगाते हुए लिखा कि कथाकथित बिहार के युवा नेता, यह मणि यादव कौन है भाई, आपके सहायक सचिव जो आपको हर चीज में सहायता कर रहे हैं। अब इन पर देह व्यापार का आरोप लगा है। कुछ इनके बारे में भी पत्र लिख दीजिए तो मैं भी जानूंगा।