Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

कश्मीर में आतंकवाद, 29 साल 46 हजार लाशें...

सुरेश एस डुग्गर
श्रीनगर। कश्मीर घाटी में पिछले 29 सालों में करीब 46 हजार लोगों की जान जा चुकी है। इनमें आम नागरिकों के साथ आतंकवादी भी शामिल हैं। हालांकि इन मरने वाले आतंकियों में ज्यादा संख्‍या सीमाओं पर मारे गए आतंकियों की है। 
 
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस महीने की 21 तारीख तक कश्मीर में 29 सालों का अंतराल 46000 लोगों को लील गया। इनमें 24000 आतंकी भी शामिल हैं, जिन्हें विभिन्न मुठभेड़ों में सुरक्षाबलों ने मार गिराया। हालांकि इन मरने वाले आतंकियों में ज्यादा संख्‍या सीमाओं पर मारे गए आतंकियों की है। उस समय जब उन्होंने पाक कब्जे वाले कश्मीर से भारतीय क्षेत्र में घुसने की कोशिश की।
 
कश्मीर में फैले आतंकवाद का एक रोचक तथ्य। कश्मीर में तथाकथित जेहाद और आजादी की लड़ाई को आरंभ करने वाले थे कश्मीरी नागरिक और बाद में जो मुठभेड़ों में मरने लगे वे हैं पाकिस्तानी और अफगानी नागरिक। पाकिस्तानी तथा अफगानी नागरिक इसलिए मरने लगे क्योंकि वे कश्मीर के आतंकवाद को आगे बढ़ाने का ठेका लेकर आए हुए हैं। फिलहाल मारे गए 24 हजार आतंकियों में 11000 विदेशी आतंकियों का आंकड़ा भी शामिल है।
 
ऐसा भी नहीं है कि बिना कोई कीमत चुकाए सुरक्षाबलों ने इन आतंकियों को ढेर कर दिया हो, बल्कि आतंकियों को मुठभेड़ों में मार गिराने की कीमत भी सुरक्षाबलों को चुकानी पड़ी है। कभी यह कीमत आत्मघाती हमलों के रूप में तो कभी सीमाओं पर आतंकियों के साथ जूझते हुए। आंकड़े कहते हैं कि 29 साल का अरसा 7000 सुरक्षाकर्मियों को लील गया अर्थात अगर 5 आतंकी मारे गए तो उनके बदले में एक सुरक्षाकर्मी की जान कश्मीर में अवश्य गई है।
 
यहीं पर मौत का चक्र रुका नहीं। मौत का आंकड़ा दिनोदिन अपनी रफ्तार को तेज करता गया था। परिणामस्वरूप आतंकियों के साथ-साथ नागरिक भी आतंकियों की गोलियों का शिकार हुए। जिन कश्मीरी नागरिकों को कभी तथाकथित आजादी तथा भारतीय उपनिवेशवाद से मुक्ति दिलवाने की बात आतंकवादियों ने की थी, उन्हें नहीं मालूम था कि एक दिन वे उन्हें जिन्दगी से ही मुक्ति दिलवा देंगे।
 
हुआ वही जो आतंकवाद में होता आया है। मारे गए लोगों में जहां प्रथम स्थान पर आतंकियों का आंकड़ा था तो दूसरे स्थान पर आम नागरिकों का। दोनों में थोड़ा सा ही अंतर था। कुल 16000 नागरिक इन 29 सालों में मौत के ग्रास बन गए।
 
ऐसा भी नहीं है कि जेहाद छेड़ने वाले मुस्लिम आतंकियों ने सिर्फ हिन्दुओं या फिर सिखों को मौत के घाट उतारा हो इस अरसे के भीतर, बल्कि चौंकाने वाली बात यह है कि मारे गए 16000 नागरिकों में 14 हजार से अधिक की संख्या उन मुस्लमानों की है, जिन्हें ‘आजादी’ दिलवाने की बात आज भी आतंकी करते हैं। शायद उनकी आजादी के मायने यही रहे होंगे।

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

Modi-Jinping Meeting : 5 साल बाद PM Modi-जिनपिंग मुलाकात, क्या LAC पर बन गई बात

जज साहब! पत्नी अश्लील वीडियो देखती है, मुझे हिजड़ा कहती है, फिर क्या आया कोर्ट का फैसला

कैसे देशभर में जान का दुश्मन बना Air Pollution का जहर, भारत में हर साल होती हैं इतनी मौतें!

नकली जज, नकली फैसले, 5 साल चली फर्जी कोर्ट, हड़पी 100 एकड़ जमीन, हे प्रभु, हे जगन्‍नाथ ये क्‍या हुआ?

लोगों को मिलेगी महंगाई से राहत, सरकार बेचेगी भारत ब्रांड के तहत सस्ती दाल

सभी देखें

नवीनतम

दीपोत्सव 2024 : 1100 वेदाचार्य करेंगे सरयू आरती, अंतरराष्ट्रीय कलाकारों की होगी रामलीला, बनेंगे नए रिकॉर्ड

UP की सभी 9 सीटों पर SP लड़ेगी उपचुनाव, अखिलेश यादव का ऐलान

महाराष्ट्र : MVA के दलों में 85-85 सीट पर बनी बात, पढ़िए कहां फंसा है पेंच

Meerut : एनसीआर में पेट्रोल पंपों पर मिल रहा मिलावटी तेल, पेट्रोलियम पदार्थ के काले कारोबार का भंड़ाफोड़, 6 आरोपी पुलिस हिरासत में

Wayanad Election : प्रियंका गांधी ने घोषित की संपत्ति, जानिए कितनी अमीर हैं कांग्रेस महासचिव

આગળનો લેખ
Show comments