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Fixed Deposit को ज्‍यादा तरजीह दे रहे लोग, जानिए क्‍या है कारण...

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गुरुवार, 12 अक्टूबर 2023 (21:56 IST)
Survey report regarding fixed deposits : ब्याज दर अधिक होने के कारण लोग अब सावधि जमा को तरजीह दे रहे रहे हैं। इससे चालू और बचत खातों (कासा) में जमा होने वाली राशि में कमी आई है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। बैंक जो पैसा जुटाते हैं, उसमें चालू और बचत खाता में जमा रकम कम लागत वाली राशि है। इन खातों में अधिक जमा राशि का मतलब बैंकों के लिए बेहतर मार्जिन है।
 
उद्योग मंडल फिक्की और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) द्वारा गुरुवार को जारी एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, बुनियादी ढांचा, कपड़ा और रसायन जैसे क्षेत्रों में दीर्घकालिक ऋण मांग में निरंतर वृद्धि देखी गई है।
 
खाद्य प्रसंस्करण और धातु लोहा एवं इस्पात में भी पिछले छह महीनों में दीर्घकालीन कर्ज वितरण में तेजी देखी गई है। फिक्की-आईबीए के 17वें दौर के सर्वे के अनुसार, बुनियादी ढांचे में ऋण प्रवाह में वृद्धि देखी जा रही है। सर्वे में 67 प्रतिशत प्रतिभागियों ने दीर्घकालिक ऋण में वृद्धि का संकेत दिया है, जबकि पिछले दौर में यह आंकड़ा 57 प्रतिशत था।
 
सर्वेक्षण में कहा गया है कि अगले छह महीनों में गैर-खाद्य उद्योग क्षेत्र में कर्ज में वृद्धि देखने को मिल सकती है। सर्वे में शामिल करीब 42 प्रतिशत प्रतिभागियों को उम्मीद है कि गैर-खाद्य उद्योग में कर्ज में वृद्धि 12 प्रतिशत से अधिक होगी। जबकि पिछले दौर में 36 प्रतिशत ने यह संभावना जताई थी।
 
इसके अनुसार, ऊंची ब्याज दरों को देखते हुए लोगों का झुकाव सावधि जमा की ओर है। सर्वेक्षण के मौजूदा दौर में आधे से अधिक प्रतिभागी बैंकों (57 प्रतिशत) ने कुल जमा में ‘कासा’ जमा की हिस्सेदारी में कमी दर्ज की। वहीं सावधि जमा में तेजी आई है।
 
सर्वेक्षण में कहा गया है कि संपत्ति की गुणवत्ता के संबंध में 75 प्रतिशत बैंकों ने पिछले छह महीनों में अपनी गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के स्तर में कमी दर्ज की है, जबकि पिछले चरण में 90 प्रतिशत बैंकों ने ऐसा बताया था।
 
इसमें कहा गया कि सार्वजनिक क्षेत्र के 90 प्रतिशत बैंकों ने एनपीए स्तर में कमी का हवाला दिया है, जबकि निजी क्षेत्र के 80 प्रतिशत बैंकों ने एनपीए में गिरावट की बात कही है। सर्वेक्षण के अनुसार, मौजूदा चरण में लगभग 54 प्रतिशत बैंकों को लगता है कि सकल एनपीए अगले छह महीनों में तीन-चार प्रतिशत के बीच रहेगा।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)

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