Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

पत्रकार के खिलाफ FIR पर Supreme Court की फटकार, जानिए क्‍या है पूरा मामला...

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024 (21:31 IST)
Uttar Pradesh News : उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश में एक महिला पत्रकार के खिलाफ दर्ज 4 प्राथमिकियों के सिलसिले में उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया। पीठ ने पत्रकार ममता त्रिपाठी की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी।
 
न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति पीके मिश्रा और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने पत्रकार ममता त्रिपाठी की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया गया है। त्रिपाठी ने दावा किया कि ये प्राथमिकी राजनीति से प्रेरित है और प्रेस की स्वतंत्रता को दबाने के प्रयास के तहत दर्ज की गई हैं।
ALSO READ: IIT सीट गंवाने वाले दलित युवक को Supreme Court ने दिया मदद का आश्वासन
उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, यह निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ता (त्रिपाठी) के खिलाफ संबंधित लेख के संबंध में कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाए। मामले की सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी।
 
त्रिपाठी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने दलील दी कि अभिषेक उपाध्याय नामक एक पत्रकार ने पहले उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और राज्य में सामान्य प्रशासन में जाति विशेष की सक्रियता संबंधी एक कथित रिपोर्ट के लिए उनके खिलाफ प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया था।
ALSO READ: क्‍या जेल में बंद आरोपी दूसरे केस में अग्रिम जमानत का हकदार है, Supreme Court ने दिया यह फैसला...
दवे ने उपाध्याय की याचिका पर उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि वह त्रिपाठी के खिलाफ दर्ज इन प्राथमिकियों में से एक में सह-आरोपी हैं और उनकी याचिका पर शीर्ष अदालत ने अक्टूबर की शुरुआत में उन्हें किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया था।
 
उपाध्याय मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि पत्रकारों के खिलाफ केवल इसलिए आपराधिक मामला नहीं दर्ज किया जाना चाहिए क्योंकि उनके लेखन को सरकार की आलोचना के रूप में देखा जाता है। दवे ने कहा कि यह सरासर उत्पीड़न है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों के खिलाफ केवल ‘एक्स’ पर उनकी पोस्ट के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई है।
ALSO READ: कोर्ट बच्चे को चल संपत्ति नहीं मान सकता, जानिए Supreme Court ने क्‍यों कहा ऐसा
अधिवक्ता अमरजीत सिंह बेदी के जरिए दायर अपनी याचिका में त्रिपाठी ने कहा कि चार प्राथमिकी क्रमशः अयोध्या, अमेठी, बाराबंकी और लखनऊ में दर्ज की गई थीं। याचिका में कहा गया है, ये प्राथमिकी राजनीति से प्रेरित हैं और याचिकाकर्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करके प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है।
 
इसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता ने अपनी खबरों के माध्यम से उत्तर प्रदेश राज्य में घटित तथ्यों और घटनाओं की जानकारी देने का प्रयास किया है। याचिका में कहा गया है, यह कहा गया है कि स्वतंत्र प्रेस लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और उसे तथ्य, राय और विश्लेषण प्रकाशित करने से नहीं रोका जा सकता, चाहे वह सत्ताधारी प्रतिष्ठान को कितना भी अप्रिय क्यों न लगे।
ALSO READ: Supreme Court का समलैंगिक विवाह पर खुली अदालत में सुनवाई से इंकार
अनुच्छेद 19(1)(ए) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि पत्रकारों को यहां उपलब्ध संरक्षण इस बात की पुष्टि करता है कि सरकार की नीति की आलोचना प्राथमिकी का आधार नहीं बन सकती। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

महाराष्ट्र चुनाव : NCP शरद की पहली लिस्ट जारी, अजित पवार के खिलाफ बारामती से भतीजे को टिकट

कबाड़ से केंद्र सरकार बनी मालामाल, 12 लाख फाइलों को बेच कमाए 100 करोड़ रुपए

Yuvraj Singh की कैंसर से जुड़ी संस्था के पोस्टर पर क्यों शुरू हुआ बवाल, संतरा कहे जाने पर छिड़ा विवाद

उमर अब्दुल्ला ने PM मोदी और गृहमंत्री शाह से की मुलाकात, जानिए किन मुद्दों पर हुई चर्चा...

सिख दंगों के आरोपियों को बरी करने के फैसले को चुनौती, HC ने कहा बहुत देर हो गई, अब इजाजत नहीं

सभी देखें

नवीनतम

Maharashtra : पुणे में पानी की टंकी गिरी, 5 श्रमिकों की मौत, 5 अन्य घायल

Cyclone Dana : चक्रवात दाना पर ISRO की नजर, जानिए क्या है अपडेट, कैसी है राज्यों की तैयारियां

भारत के 51वें CJI होंगे जस्टिस संजीव खन्ना, 11 नवंबर को लेंगे शपथ

चीन के साथ समझौते पर क्‍या बोले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

Nvidia और Reliance के बीच हुआ समझौता, भारत में मिलकर बनाएंगे AI इंफ्रास्ट्रक्चर

આગળનો લેખ
Show comments