नई दिल्ली। हां, मैंने उस युवक से शादी जरूर की थी, लेकिन अब मैं उसके साथ नहीं रहना चाहती। मैं अपने माता-पिता के साथ ही रहना चाहती हूं।
यह शब्द सुप्रीम कोर्ट में उस लड़की ने कहे, जिसने एक मुस्लिम युवक से प्रेम विवाह किया था। उस युवक ने विवाह के लिए हिन्दू धर्म अपनाकर अपना नाम भी आर्यन आर्य कर लिया था। दरअसल, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई थी।
33 वर्षीय मुस्लिम युवक ने 23 वर्षीय हिन्दू जैन महिला से रायपुर में शादी रचाई थी। इसके लिए युवक ने अपना धर्म भी बदल लिया था। युवक ने यह कहते हुए 17 अगस्त को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी कि लड़की के माता-पिता और एक हिन्दू ग्रुप ने उन्हें जबरन अलग कर दिया था।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानविलकर तथा डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने युवक के वकील निखिल नैयर की याचिका का संज्ञान लेते हुए धमतरी के पुलिस अधीक्षक को महिला को 27 अगस्त को कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था।
यह कहा लड़की ने : महिला ने कोर्ट में कहा कि वो अपने पति के साथ नहीं बल्कि माता-पिता के साथ रहना चाहती है। जब चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने उसके घरवालों को कोर्टरूम से बाहर भेजकर फिर से उससे पूछा कि उस पर कोई दबाव तो नहीं है, लड़की ने इससे इंकार कर दिया।
हालांकि लड़की ने इस बात से इनकार नहीं किया कि उसने उस युवक से शादी नहीं की। लड़की ने यह भी कहा था कि कहा कि उससे बहलाकर शादी की गई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वो वैवाहिक स्थिति पर कोई टिप्पणी नहीं कर कहा है, लेकिन पीठ ने कहा कि लड़की की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए क्योंकि वह पूरी तरह बालिग है।