नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने शहर की एक अदालत को बताया कि सुनंदा पुष्कर ने अपनी मौत से 9 दिन पहले अपने पति शशि थरूर को एक ई-मेल लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि 'मुझे जीने की कोई इच्छा नहीं... मैं बस मौत की दुआ मांगती हूं।'
दिल्ली पुलिस ने सोमवार को अदालत से गुजारिश की कि इस ई-मेल को मृत्यु से पहले का बयान माना जाना चाहिए। अदालत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थरूर को इस मामले में आरोपी के तौर पर तलब किया जाए या नहीं, इस पर 5 जून को अपना आदेश सुनाएगी। पुलिस ने यह भी कहा कि सुनंदा की मौत जहर की वजह से हुई थी और उनके कमरे से अल्प्राक्स की 27 टैबलेट भी बरामद हुईं लेकिन यह साफ नहीं है कि उन्होंने कितनी गोलियां खाई थीं।
आरोप पत्र का हवाला देते हुए दिल्ली पुलिस ने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल को बताया कि सुनंदा के शरीर पर चोट के कुछ निशान मिले थे, जो मौत होने से पहले के थे और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह बात सामने आई।
पुलिस ने दावा किया कि 8 जनवरी 2014 को थरूर को भेजे एक ई-मेल में उन्होंने लिखा, 'मुझे जांच की परवाह नहीं। मुझमें जीने की इच्छा नहीं है... मैं बस मौत की दुआ कर रही हूं।' पुलिस ने अदालत से कहा कि सुनंदा के मेल और सोशल मीडिया के संदेशों को मृत्यु से पहले दिए गए बयान की तरह माना जाना चाहिए।
विशेष लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 113 ए का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा माना जा सकता है कि अगर उन्होंने आत्महत्या की है तो मौत से पहले जरूर उनके साथ क्रूरता की गई होगी। अदालत इस तथ्य का संज्ञान ले सकती है कि यह मामला उकसावे का है, क्योंकि मौत शादी के 7 साल के भीतर हुई है और कानून के तहत यह उकसावे का एक मामला बनता है। कानून की धारा 113 ए के तहत एक अदालत मामले की सभी परिस्थितियों को देखते हुए यह मान सकती है कि अगर किसी महिला ने शादी के 7 साल के भीतर आत्महत्या की है तो उसे आत्महत्या के लिए उसके पति या पति के किसी रिश्तेदार ने उकसाया है।
सुनंदा के साथ क्रूरता हुई यह दिखाने के लिए उन्होंने थरूर पर बीमार पत्नी का खयाल न रखने का भी आरोप लगाया, जो तेज बुखार से ग्रस्त थीं। श्रीवास्तव ने कहा कि सुनंदा कविताएं लिखा करती थीं जिसकी विषयवस्तु दिखाती है कि उनके साथ सब ठीक नहीं था।
दिल्ली पुलिस ने 14 मई को तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य थरूर पर सुनंदा को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था। दिल्ली पुलिस ने अदालत से कहा कि थरूर को साढ़े 4 साल पुराने मामले में आरोपी के तौर पर तलब किया जाना चाहिए। उसने दावा किया कि उसके पास पर्याप्त सबूत हैं। दिल्ली पुलिस ने तकरीबन 3,000 पन्नों के आरोप पत्र में थरूर को एकमात्र आरोपी के तौर पर नामजद किया है। पुलिस ने आरोप लगाया था कि उन्होंने अपनी पत्नी के साथ क्रूरता की। थरूर के घरेलू नौकर नारायण सिंह को मामले में एक महत्वपूर्ण गवाह बनाया गया है।
सुनंदा 17 जनवरी 2014 को राष्ट्रीय राजधानी के एक होटल में मृत पाई गई थीं। कांग्रेस नेता पर आईपीसी की धारा 498 ए (क्रूरता) और 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के आरोप लगाए गए हैं। धारा 498 ए के तहत अधिकतम 3 साल के कारावास की सजा का प्रावधान है जबकि धारा 306 के तहत अधिकतम 10 साल की जेल हो सकती है। दिल्ली पुलिस ने 1 जनवरी 2015 को आईपीसी की धारा 302 के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। थरूर को इस मामले में अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। (भाषा)