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सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को दिया यह निर्देश

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मंगलवार, 28 फ़रवरी 2017 (22:19 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सहारा समूह को निर्देश दिया कि वह अपने मुखिया सुब्रत राय को जेल से बाहर रखने के लिए सेबी-सहारा खाते में 7 अप्रैल तक 5092.6 करोड रुपए जमा कराए। न्यायालय ने कहा कि यह धनराशि निवेशकों को लौटाई जाएगी।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एके सिकरी की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सहारा समूह को अपनी संपत्तियां बेचने के लिए छह महीने का वक्त और देने से इंकार कर दिया परंतु धन लौटाने के लिए उसे न्यायालय को सौंपी गयी सूची में शामिल संपत्तियों को बेचने की अनुमति दे दी।
 
पीठ ने टिप्पणी की कि यदि सहारा समूह सात अप्रैल तक 5092.6 करोड रूपए की राशि में से ‘पर्याप्त धन’ जमा कराता है तो न्यायालय दूसरी संपत्तियों को बेचने के लिए समय आगे बढा सकता है। न्यायाधीशों ने कहा कि सहारा समूह इन सूचियों में से एक में शामिल 15 में से 13 संपत्ति बेचकर राशि जमा करा सकता है और वह दूसरी सूची में शामिल देनदारियों से मुक्त संपत्तियों को भी बेच सकता है।
 
पीठ ने कहा कि इस तथ्य के मद्देनजर हम अवमाननाकर्ता को सूची के भाग-एक में शामिल संपत्तियों में 14 और 15 में अंकित को छोडकर शेष संपत्ति तथा भाग-बी में शामिल देनदारी मुक्त अन्य संपत्तियों को बेचने और 5092.6 करोड रूपए 7 अप्रैल से पहले जमा कराने की अनुमति देते हैं। यह धनराशि सेबी-सहारा धन वापसी खाते में जमा करायी जाएगी।  न्यायालय ने कहा कि यदि उस समय तक पर्याप्त धन जमा कराया जाता है तो शीर्ष अदालत समय सीमा बढा सकती है।’’ 
 
पीठ ने न्यूयार्क स्थित प्लाजा होटल में सहारा की हिस्सेदारी 55 करोड़ अमेरिकी डॉलर में खरीदने की इच्छुक रियल एस्टेट फर्म से कहा कि वह सौदे को लेकर अपनी गंभीरता को दिखाने के लिए शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में 10 अप्रैल से पहले 750 करोड रुपए जमा कराए।
 
सेबी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविन्द दातार ने कहा कि इनमें से एक संपत्ति फार्मूला वन रेसिंग टीम फोर्स इंडिया में कंपनी की साझेदारी से संबंधित है जिसे नीलामी से अलग रखा जाए। उन्होंने कहा कि सेबी ने सूची में शामिल कुछ संपत्तियों को बेचने का प्रयास किया था परंतु वह असफल रहा। उन्होंने इनकी ई-नीलामी करने का सुझाव दिया। 
 
सहारा समूह की ओर से अदालत में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि गारंटी के तौर पर अदालत समूह की कुछ संपत्तियों को मामले के साथ संबद्ध कर सकती है और समूह अपनी ओर से यह वचन देगा कि यदि वह 22 माह में राशि का भुगतान नहीं करता है तो इन संपत्तियों को बेचा जा सकता है।
 
इस पर पीठ ने कहा कि इस मामले में ई-नीलामी प्रणाली क्यों नहीं अपनाई जा सकती, जैसा कि स्पेक्ट्रम की नीलामी में किया जाता है? सिब्बल ने कहा कि समूह पहले ही 16 संपत्तियां बेच चुका है और धन पहुंचाया है और वह जो भी संभव है उसे बेचने को तैयार है। (भाषा)

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