Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अटकाए जाते हैं विकास में रोड़े : मोदी

पूरे विश्व में कोई भी देश ऐसा नहीं है जो किसी अन्य देश के उपनिवेश के रूप में मौजूद हो लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उपनिवेशवादी मानसिकता समाप्त हो गई है।

अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अटकाए जाते हैं विकास में रोड़े : मोदी
, शुक्रवार, 26 नवंबर 2021 (23:51 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत एकमात्र देश है, जो पेरिस समझौते के लक्ष्यों को समय से पहले पूरा करने की ओर अग्रसर है, लेकिन इसके बावजूद उपनिवेशवादी मानसिकता के चलते देश पर पर्यावरण के नाम पर तरह-तरह के दबाव बनाए जाते हैं।
 
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से देश में भी ऐसी ही मानसिकता के चलते अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर या अन्य चीजों का सहारा लेकर अपने ही देश के विकास में रोड़े अटकाए जाते हैं।
 
राजधानी स्थित विज्ञान भवन के प्लेनरी हॉल में उच्चतम न्यायालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय संविधान दिवस समारोह का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने इस उपनिवेशवादी मानसिकता को दूर करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि इसके लिए सबसे बड़ी शक्ति और सबसे बड़ा प्रेरणा स्रोत भारत का संविधान ही है।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरे विश्व में कोई भी देश ऐसा नहीं है जो किसी अन्य देश के उपनिवेश के रूप में मौजूद हो लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उपनिवेशवादी मानसिकता समाप्त हो गई है।
 
उन्होंने कहा कि हम देख रहे हैं कि यह मानसिकता अनेक विकृतियों को जन्म दे रही है। इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण हमें विकासशील देशों की विकास यात्राओं में आ रही बाधाओं में दिखाई देता है। जिन साधनों से, जिन मार्गों पर चलते हुए, विकसित विश्व आज के मुकाम पर पहुंचा है, आज वही साधन, वही मार्ग, विकासशील देशों के लिए बंद करने के प्रयास किए जाते हैं।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जो पेरिस समझौते के लक्ष्यों को समय से पहले हासिल करने की ओर अग्रसर है फिर भी पर्यावरण के नाम पर भारत पर भांति-भांति के दबाव बनाए जा रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि यह सब उपनिवेशवादी मानसिकता का ही परिणाम है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि हमारे देश में भी ऐसी ही मानसिकता के चलते अपने ही देश के विकास में रोड़े अटकाए जाते हैं। कभी अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर तो कभी किसी और चीज़ का सहारा लेकर।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के आंदोलन में जो संकल्प शक्ति पैदा हुई, उसे और अधिक मजबूत करने में यह उपनिवेशवादी मानसिकता बहुत बड़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि हमें इसे दूर करना ही होगा। और इसके लिए, हमारी सबसे बड़ी शक्ति, हमारा सबसे बड़ा प्रेरणा स्रोत, हमारा संविधान ही है।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार और न्यायपालिका, दोनों का ही जन्म संविधान की कोख से हुआ है, इसलिए दोनों ही जुड़वां संतानें हैं। उन्होंने कहा कि संविधान की वजह से ही दोनों अस्तित्व में आए हैं। इसलिए, व्यापक दृष्टिकोण से देखें तो अलग-अलग होने के बाद भी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।
webdunia
उन्होंने सत्ता के पृथक्करण की अवधारणा के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि आजादी के 75 वर्ष के बाद के 25 वर्षों के अमृत काल में संविधान की भावना के अंतर्गत सामूहिक संकल्प दिखाने की आवश्यकता है क्योंकि आम आदमी उससे अधिक का हकदार है जो उसके पास वर्तमान में है।
 
उन्होंने कहा कि सत्ता के पृथक्करण की मजबूत नींव पर, हमें सामूहिक उत्तरदायित्व का मार्ग प्रशस्त करना है, एक रोडमैप बनाना है, लक्ष्य निर्धारित करना है और देश को उसकी मंजिल तक ले जाना है।
 
शास्त्रों का उद्धरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी समाज या देश की ताकत उसकी एकता और एकजुट प्रयासों में होती है और जो मजबूत राष्ट्र के हितैषी होते हैं, वह एकता की प्रशंसा करते हैं तथा उस पर जोर देते हैं।
 
उन्होंने कहा कि राष्ट्र के हितों को सर्वोपरि रखते हुए, यही एकता देश की सभी संस्थाओं के प्रयासों में होनी चाहिए। आज जब देश अमृत काल में अपने लिए असाधारण लक्ष्य तय कर रहा है, दशकों पुरानी समस्याओं के समाधान तलाश करते हुए भविष्य के लिए संकल्प ले रहा है, तो यह सबके साथ से ही पूरी होगी।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयास संविधान की भावना का सबसे सशक्त प्रकटीकरण है। सरकार की ओर से चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान के लिए समर्पित सरकार, विकास में भेद नहीं करती।
 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश देश के सबसे गरीब राज्य : नीति आयोग