Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

सिंधु की नदियों से पाकिस्तान को कम पानी देगा भारत!

सिंधु की नदियों से पाकिस्तान को कम पानी देगा भारत!
नई दिल्ली , शनिवार, 24 दिसंबर 2016 (12:53 IST)
नई दिल्ली। पाकिस्तान को ध्यान में रखते हुए भारत ने सिंधु जल समझौते के तहत सिंधु घाटी की नदियों के पानी के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के लिए अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं।
 
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, एक उच्चस्तरीय अंतर-मंत्रालयी टास्क फोर्स की बैठक में जमीनी स्तर पर कार्य को तेज करने के लिए बेहतर आपसी समन्यव की खातिर पंजाब और जम्मू-कश्मीर को साथ लाने पर बात हुई।
 
इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव नृपेंद्र मिश्रा ने की। बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर में प्रस्तावित पनबिजली परियजोनओं के कार्य को तेज करने और भंडारण क्षमता सहित जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने पर विचार-विमर्श किया गया, ताकि सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों के पानी का इस्तेमाल किया जा सके।
 
इस बैठक में पंजाब के मुख्य सचिव ने भी भाग लिया, क्योंकि इस प्रक्रिया में रावी, ब्यास और सतलुज जैसी नदियों के कारण इस पूरी प्रक्रिया में पंजाब की भागीदारी काफी अहम है।
 
इस पहली बैठक का उद्देश्य सिंधु जल समझौते के तहत भारत के हिस्से वाले पानी का पूरी तरह इस्तेमाल करने संबंधी मंसूबों का संकेत देना था। इसमें दोनों राज्यों को कहा गया है कि जितनी जल्दी हो सके वे अपनी-अपनी ग्राउंड रिपोर्ट पेश करें। टास्क फोर्स की अगली बैठक जनवरी में होगी।
 
उल्लेखनीय है कि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सिंधु जल समझौते के तहत, तीन 'पूर्वी' नदियों - ब्यास, रावी और सतलुज का नियंत्रण भारत को, तथा तीन 'पश्चिमी' नदियों - सिंधु, चिनाब और झेलम का नियंत्रण पाकिस्तान को दिया गया।
 
संधि के अनुसार भारत को उनका उपयोग सिंचाई, परिवहन और बिजली उत्पादन हेतु करने की अनुमति है। इस दौरान इन नदियों पर भारत द्वारा परियोजनाओं के निर्माण के लिए सटीक नियम निश्चित किए गए। यह संधि पाकिस्तान के डर का परिणाम थी कि नदियों का आधार (बेसिन) भारत में होने के कारण कहीं युद्ध आदि की स्थिति में उसे सूखे और अकाल आदि का सामना न करना पड़े।
 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

दंगल का बॉक्स ऑफिस पर पहला दिन