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अयोध्या में और पत्थर पहुंचे, राम मंदिर की हलचल बढ़ी

अयोध्या में और पत्थर पहुंचे, राम मंदिर की हलचल बढ़ी
, मंगलवार, 5 सितम्बर 2017 (17:25 IST)
अयोध्या। अयोध्या में विवादित श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थर का लाने का सिलसिला राजस्थान से शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के गठन के बाद से पत्थरों की तीसरी खेप सोमवार देर शाम यहां पहुंच गई है। 
 
श्रीराम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई की तारीख मुकर्रर होने के बीच अयोध्या में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) की गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं। इसका परिणाम है कि मंदिर निर्माण के लिए यहां पत्थरों को लाने का सिलसिला तेज होने लगा है। उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के गठन के बाद से पत्थरों की तीसरी खेप सोमवार देर शाम यहां पहुंच गई है। 
 
विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया कि राजस्थान से तीन ट्रक कलर पत्थर अयोध्या आए हैं, जिन्हें रामसेवकपुरम् में उतरवाया गया है। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद अब तक दस ट्रक पत्थर अर्थात करीब छह हजार घनफुट पत्थर आ चुके हैं। रामसेवकपुरम् कार्यशाला में बड़े-बड़े पत्थरों को काटने की मशीन लगी है, जिसके माध्यम से पत्थर काटा जाता है और उसे फिर श्रीराम जन्मभूमि न्यास की कार्यशाला में तराशने के लिए भेजा जाता है।
 
उन्होंने बताया कि अयोध्या में अभी भी कई हजार घनफुट पत्थर लाए जाने शेष हैं। प्रस्तावित राम मंदिर मॉडल के अनुसार मंदिर निर्माण के लिए करीब एक लाख 75 हजार घनफुट पत्थरों की आवश्यकता है, जिसमें से एक लाख घनफुट पत्थरों को तराशा जा चुका है। 
 
श्रीराम जन्मभूमि न्यास की कार्यशाला के प्रभारी अन्नू भाई सोनकर का कहना है कि राम मंदिर निर्माण के लिए 212 स्तंभ लगाए जाने हैं जिसमें पहली मंजिल पर 106 एवं दूसरी मंजिल पर 106 स्तंभ लगेंगे। इन स्तंभों के निर्माण का कार्य पूर्ण कराया जा चुका है।
 
विहिप सूत्रों का कहना है कि मंदिर आंदोलन के समय वर्ष 1989-90 में देश के सवा लाख ग्राम सभाओं में शिलाओं के पूजन के साथ सवा-सवा रुपए की राशि मंदिर निर्माण के लिए रामभक्तों से एकत्र की गई है जो कि आठ करोड़ हो गई थी। इस धनराशि के ब्याज से न्यास का कार्य चल रहा था, लेकिन बैंकों ने धीरे-धीरे ब्याज की दर घटानी शुरू की तो न्यास का कार्य बाधित होने लगा। फिलहाल विश्व हिन्दू परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक सिंहल ने देश के बड़े दानदाताओं से धन के बजाय सीधे पत्थरों की मांग की थी। आज पत्थर दान करने वालों की भी लंबी कतार लग गई है। 
 
गौरतलब है कि सितंबर 1990 में स्थापित श्रीराम जन्मभूमि न्यास कार्यशाला में 90 कारीगरों द्वारा तराशी का काम किया जा रहा था, जो अब तीन की संख्या में है। विहिप के प्रवक्ता ने बताया कि पत्थरों का राजस्थान से न आना भी कारीगरों की संख्या घटने का कारण है। लेकिन अब पत्थरों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है इसलिए पत्थरों को तराशने के लिए कारीगरों की संख्या भी बढ़ सकती है। हालांकि कारीगरों की संख्या बढ़ाने और घटाने का कार्य श्रीराम जन्मभूमि न्यास के सदस्य और पदाधिकारियों की बैठक में होता है। (वार्ता)

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