Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

सत्ता के ‘हिंदुत्व’ गेमप्लान में फंस गई शिवसेना, पार्टी इतिहास की सबसे बड़ी टूट का खतरा

विकास सिंह
बुधवार, 22 जून 2022 (16:45 IST)
देश की राजनीति में सत्ता की गारंटी माने जाने वाला ‘हिंदुत्व’ का सियासी अश्वमेध घोड़ा अब महाराष्ट्र पहुंच गया है। महाराष्ट्र में सियासी उठापटक की राजनीति एक बार फिर हिंदुत्व पर आकर टिक गई है। शिवसेना से बगावत करने वाले कट्टर शिवसैनिक एकनाथ शिंदे लगातार खुद को बाला साहेब ठाकरे का पक्का शिव सैनिक बताते हुए उनके हिंदुत्व को आगे ले जाने की बात कह रहे है। 
 
एकनाथ शिंदे ने बुधवार सुबह कहा कि "हम बालासाहेब के शिव सैनिक हैं। हमने शिवसेना नहीं छोड़ी है और हम शिवसेना नहीं छोड़ेंगे। लेकिन हम बालासाहेब की विचारधारा के आधार पर राजनीति करने जा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, "आज हम बालासाहेब की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं। और आप सभी जानते हैं कि बालासाहेब ने इस देश को हिंदुत्व की विचारधारा दी है। हम हिंदुत्व से समझौता नहीं करेंगे।"
ALSO READ: महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का इस्तीफा संभव, विधानसभा भंग करने के दांव पर फंसेगा पेंच
शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे की छवि एक कट्टर और वफादार शिव सैनिक की रही है। उद्धव ठाकरे के बाद पार्टी में नंबर-2 की हैसियत रखने वाले एकनाथ शिंदे की शिवसेना पर तगड़ी पकड़ रही है। एकनाथ शिंदे अगर अपने हिंदुत्व को आगे बढ़ाने के  मिशन में कामयाब होते हैं तो यह शिवसेना के इतिहास में सबसे बड़ी टूट होगी। 
 
हिंदुत्व के सहारे शिवसेना का सियासी सफर-महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना का 1966 में गठन करने वाले बाल ठाकरे हिंदू ह्द्रय सम्राट के नाम से जाने जाते थे। महाराष्ट्र की राजनीति में पांच दशक से अधिक समय तक अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बाल ठाकरे दरअसल मराठी गौरव और हिंदुत्व के प्रतीक थे।

बाल ठाकरे ने 19 जून 1966 को अपनी राजनीतिक पार्टी शिवसेना का गठन किया और देखते ही देखते हिंदू हद्य सम्राट बन गए। हिंदुत्व के बल पर भी शिवसेना ने 1987 में पहला चुनाव जीता था। इसके बाद भाजपा और शिवसेना हिंदुत्व के मुद्दें पर एक साथ आकर खड़े हो गए थे। 
 
हिंदुत्व पर बैकफुट पर उद्धव ठाकरे- बाला साहेब ठाकरे के बाद शिवसेना की कमान उद्धव ठाकरे के हाथ में आने के बाद हिंदुत्व का मुद्दा लगातार गर्माता जा रहा है। 2019 का विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ने वाले उद्धव ठाकरे ने जब कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई तो सबसे पहले कठघरे में ‘हिंदुत्व’ ही आया और भाजपा ने आरोप लगाया कि सत्ता और मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए उद्धव ठाकरे ने बाला साहेब ठाकरे के ‘हिंदुत्व’ से समझौता कर लिया है। 
 
2019 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा हर मंच से उद्धव ठाकरे को घेरते हुए कह रही है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन कर शिवसेना अब हिंदुत्व विचारधारा वाली पार्टी नहीं रही है। वहीं पिछले दिनों महाराष्ट्र में गर्माए हनुमान चालीसा के पाठ पर भी उद्धव ठाकरे पर हिंदुत्व की विचारधारा से समझौता करने का आरोप लगाया गया।

 
‘हिंदुत्व’ पर राज ठाकरे की सीधी चुनौती-ऐसा नहीं है कि शिवसेना के सामने पहली बार ‘हिंदुत्व’ के मुद्दें पर टूट का संकट खड़ा हुआ है। 2006 में बाला साहेब ठाकरे के भतीजे और  शिवसेना के दिग्गज नेता और उद्धव ठाकरे के भाई राज ठाकरे ने हिंदुत्व के मुद्दें पर ही पार्टी को तोड़ दिया था। तब राजठाकरे के साथ हजारों शिवसैनिक पार्टी छोड़कर चले गए थे। राजठाकरे ने बाला साहेब को अपनी राजनीति के केंद्र में रखकर हिंदुत्व और मराठी मानुष के नाम पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नाम से अपनी नई पार्टी का गठन किया था। 
ALSO READ: महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के लिए ‘मध्यप्रदेश फॉर्मूला’, क्या बच पाएगी उद्धव ठाकरे सरकार?
शिवसेना से इस्तीफा देने पर राज ठाकरे ने कहा था कि बाला साहेब ठाकरे हमेशा उनके मार्गदर्शक रहेंगे। अपने तीखे बयानों के चलते उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र में हिंदुत्व के एक नया चेहरा बन गए। पिछले दिनों महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा विवाद में राज ठाकरे ने अपनी हिंदुत्ववादी नेता की छवि को और मजबूत किया और वह उद्धव ठाकरे को सीधे चुनौती देने लगे है।  
 
हिंदुत्व पर ही टिकी महाराष्ट्र की भविष्य की राजनीति- अगर एकनाथ शिंदे अपनी मुहिम में कायाब हो जाते है तो महाराष्ट्र में अगली सरकार का गठन में ‘हिंदुत्व’ का मुद्दा केंद्र में होगा। विधानसभा के मौजूदा सियासी समीकरण और एकनाथ शिंदे के 46 विधायकों के साथ होने के दावे को अगर सहीं माना जाए तो महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन हो सकता है। ऐसे में एकनाथ शिंदे भाजपा के साथ मिलकर नई सरकार का गठन कर सकते है। वहीं अगर नई सरकार का गठन नहीं होता है और महाराष्ट्र मध्यावधि चुनाव की ओर आगे बढ़ता है तो भी हिंदुत्व का मुद्दा ही केंद्र में होगा। 

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

प्रियंका गांधी ने वायनाड सीट पर तोड़ा भाई राहुल गांधी का रिकॉर्ड, 4.1 लाख मतों के अंतर से जीत

election results : अब उद्धव ठाकरे की राजनीति का क्या होगा, क्या है बड़ी चुनौती

एकनाथ शिंदे ने CM पद के लिए ठोंका दावा, लाडकी बहीण योजना को बताया जीत का मास्टर स्ट्रोक

Sharad Pawar : महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों से राजनीतिक विरासत के अस्तित्व पर सवाल?

UP : दुनिया के सामने उजागर हुआ BJP का हथकंडा, करारी हार के बाद बोले अखिलेश, चुनाव को बनाया भ्रष्टाचार का पर्याय

सभी देखें

नवीनतम

Maharashtra Election Results 2024 : महाराष्ट्र में 288 में महायुति ने जीती 230 सीटें, एमवीए 46 पर सिमटी, चुनाव परिणाम की खास बातें

Maharashtra elections : 1 लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज करने वालों में महायुति के 15 उम्मीदवार शामिल

प्रियंका गांधी ने वायनाड सीट पर तोड़ा भाई राहुल गांधी का रिकॉर्ड, 4.1 लाख मतों के अंतर से जीत

पंजाब उपचुनाव : आप ने 3 और कांग्रेस ने 1 सीट पर जीत दर्ज की

Sharad Pawar : महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों से राजनीतिक विरासत के अस्तित्व पर सवाल?

આગળનો લેખ
Show comments