मुंबई। शिवसेना ने सीबीआई निदेशक के तौर पर बहाल किए गए आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने के फैसले को मोदी सरकार का जल्दबाजी में लिया गया फैसला करार दिया। पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार ने वर्मा को अपना बचाव करने का मौका न देकर 'गलत परंपरा' शुरू की है।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा सीबीआई प्रमुख के पद से स्थानांतरित कर दमकल सेवा, सिविल डिफेंस एवं होम गार्ड का महानिदेशक बनाए जाने के एक दिन बाद ही वर्मा ने इस्तीफा दे दिया था। उच्चतम न्यायालय ने 8 जनवरी को सीबीआई निदेशक के तौर पर वर्मा को बहाल कर दिया था।
भ्रष्टाचार के आरोप-प्रत्यारोप के चलते करीब तीन महीने पहले उनसे और सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना से सरकार ने उनकी शक्तियां वापस लेकर उन्हें लंबी छुट्टी पर भेज दिया था। शिवसेना ने संपादकीय में पूछा कि राफेल सौदे को लेकर आरोपों के बीच जब प्रधानमत्री अपने बचाव के लिए हर मंच का प्रयोग कर सकते हैं तो यही मौका अपदस्थ सीबीआई प्रमुख को क्यों नहीं दिया गया?
पूरे प्रकरण का संदर्भ देते हए पार्टी ने सवाल किया कि क्या कुछ लोगों के मन में बसे इस डर के चलते वर्मा को पद से हटाया गया कि अगर वर्मा एक दिन भी एजेंसी की अध्यक्षता करते तो सीबीआई के पिटारे से कई राज बाहर आ जाते? पार्टी ने पूछा कि और उन आरोपों का क्या कि उन्हें इसलिए हटाया गया क्योंकि राफेल सौदे में उन्होंने सरकार को आरोपी बनाया होता और एक अपराध दर्ज कर सकते थे?
शिवसेना ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय का 'समर्थन' हासिल करने वाले अस्थाना ने सीबीआई को सरकार का गुलाम बनाने की कोशिश की। राफेल सौदे पर मोदी पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने कहा कि मोदी के 'वकीलों' के पास कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सवालों का जवाब नहीं है।