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पति के पराक्रम के तेज ने नहीं छलकने दिए आंसू - अशोक चक्र से सम्मानित वानी की पत्नी

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शुक्रवार, 25 जनवरी 2019 (17:03 IST)
नई दिल्ली। अशोक चक्र से सम्मानित शहीद लांस नायक नजीर अहमद वानी की पत्नी मेहजबीन ने कहा कि उनके पति के पराक्रम का ओज ऐसा था जिसने उनकी शहादत की खबर सुनकर भी आंखों से आंसू नहीं बहने दिए।


शोपियां में डेढ़ महीने पहले आतंकवाद विरोधी अभियान में शहीद हुए वानी को शांति काल में दिए जाने वाले भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार- अशोक चक्र से सम्मानित किए जाने के सरकार के ऐलान के बाद मेहजबीन ने यह बात कही। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शनिवार को वानी को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित करेंगे।

मेहजबीन ने कहा, उनके शहीद हो जाने की खबर जानने के बाद मैं रोई नहीं। एक अंदरुनी संकल्प था जिसने मुझे रोने नहीं दिया। पेशे से शिक्षक एवं दो बच्चों की मां मेहजबीन ने कहा कि नाजिर का प्यार एवं निडर व्यक्तित्व, युवाओं को अच्छा नागरिक बनने की दिशा में प्रोत्साहित करने का प्रेरणास्रोत है।

दक्षिण कश्मीर के एक स्कूल में 15 साल पहले हुई मुलाकात में दोनों के बीच पहली नजर का प्यार हो गया था। हालांकि इस बारे में उन्होंने और जानकारी देने से इनकार कर दिया। जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में चेकी अश्मुजी के रहने वाले वानी आतंकवाद का रास्ता छोड़कर 2004 में भारतीय सेना की 162 इंफेंट्री बटालियन (प्रादेशिक सेना) से जुड़े थे।

मेहजबीन ने कहा, वह मुझसे बेहद प्यार करते थे। वह मेरे मार्गदर्शक थे। वह हम सभी को हमेशा अपने आसपास के लोगों को खुश रखने, लोगों की समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रोत्साहित करते थे।

मेहजबीन ने कहा, एक शिक्षक के तौर पर मैं अपने राज्य के लोगों को अच्छा नागरिक बनाने के लिए खुद को समर्पित करती हूं। मैंने युवाओं को सही राह पर लाने का संकल्प लिया है और इसके लिए मुझे अपने पति- दुनिया के सबसे अच्छे पति से प्रेरणा मिल रही है।

25 नवंबर की उस घटना को याद करते हुए मेहजबीन ने कहा कि वह अपने मायके में थीं जब उन्हें यह स्तब्ध करने वाली खबर मिली। मेहजबीन ने एक साक्षात्कार में कहा, उन्होंने बीती शाम ही मुझे फोन कर हालचाल पूछा था। मैंने उनसे खुद का ध्यान रखने के लिए कहा। लेकिन किस्मत को उनके लिए कुछ और ही मंजूर था।

मेहजबीन और नाजिर के दो बेटे हैं। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, वह एक बहादुर सैनिक एवं शुरुआत से ही एक हीरो थे। उन्होंने अपने गृह राज्य जम्मू-कश्मीर में शांति कायम रखने के लिए सेवाएं दीं। वानी को इससे पहले 2007 और फिर 2018 में वीरता के लिए सेना पदक से भी सम्मानित किया गया था। 

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