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Predator drone : 'राफेल घोटाले की तरह ही है अमेरिका से ड्रोन की डील', 25000 करोड़ रुपए में 31 ड्रोनों की खरीदी

Predator drone : 'राफेल घोटाले की तरह ही है अमेरिका से ड्रोन की डील', 25000 करोड़ रुपए में 31 ड्रोनों की खरीदी
, बुधवार, 28 जून 2023 (20:18 IST)
  • 31 ड्रोन खरीदी का सौदा हुआ
  • 880 करोड़ रुपए प्रति ड्रोन
  • 25 हजार करोड़ रुपए दिए 
 
नई दिल्ली। Predator drone : कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की अमेरिकी यात्रा पर चढ़ी झूठ की चमक जैसे ही छंटी तो अमेरिका से पुराने ड्रोन महंगे दाम पर खरीदने का पर्दा उठा और असलियत सामने आ गई, इसलिए मोदी सरकार को इस सौदे में पारदर्शिता को लेकर अब जवाब देना चाहिए।
 
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने यहां पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फेंस में सरकार से पूछा जो तकनीक पुरानी पड़ चुकी है और अमेरिका खुद उससे आगे की तकनीक के ड्रोन तैयार कर रहा है तो फिर पुराने यानी प्रिडेटर ड्रोन को नवीनतम बताकर खरीद करने की क्या वजह है।
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pm modi in amrica
उन्होंने इस सऊदी कुली का सरकार से यह भी सवाल किया कि जो प्रीडेटर ड्रोन दूसरे देश चार गुना कम कीमत पर खरीदते हैं, उन्हें प्रधानमंत्री 880 करोड़ रुपए प्रति ड्रोन के हिसाब से क्यों खरीद रहे हैं। पहले जब देश मे 'रुस्तम' और 'घातक' ड्रोन बनाने के लिए डीआरडीओ को 1786 करोड़ रुपए दिए तो फिर अमेरिका को लगभग इसी मारक स्तर के 31 ड्रोन खरीद के लिए 25 हजार करोड़ देने की क्या जरूरत थी।
 
प्रवक्ता ने इस सौदे में नियमों के उल्लंघन का भी आरोप लगाया और कहा कि सौदे को रक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक किए बिना इस महंगे सऊदी को कैसे मंजूरी दी गई। उनका यह भी सवाल था कि क्या प्रधानमंत्री को यह पता नहीं था कि जिस सऊदी को वह महंगे दाम पर खरीद रहे हैं उसे दूसरे कई देशों ने उससे बहुत कम दाम पर खरीदा है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका के ये ड्रोन आउट डेटेड टेक्नोलॉजी वाले हैं और ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के बिना भारत को मिलेंगे। यानी आप कबाड़ भी सस्ते के बजाए महंगे दाम पर खरीद रहे हैं। आखिर कौन हैं वो ड्रोनाचार्य जो पुराने ड्रोन महंगे दाम पर खरीदवा रहा है।
 
खेड़ा ने सवाल किया कि ड्रोन सौदे को मंजूरी देने के लिए रक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक क्यों नहीं हुई। दूसरे देशों की तुलना में ड्रोन के लिए ज्यादा कीमत क्यों है। जब वायुसेना को इन ड्रोन की आसमान छूती कीमतों पर आपत्ति थी तो डील में जल्दबाजी क्यों हुई और वायुसेना के 18 ड्रोन की मांग की बजाय 31 ड्रोन का सौदा क्यों किया। रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत का क्या हुआ। एजेंसियां
Edited By : Sudhir Sharma

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